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Author Topic: What Does Being On This Forum Mean To You??  (Read 5701 times)

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Offline SaiSevak!9

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  • The Darkest Skies Have The Brightest Stars!
Re: What Does Being On This Forum Mean To You??
« Reply #15 on: April 19, 2011, 10:46:18 PM »
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  • It feels nice..very nice!:)

    Thnku baba  ;D
    When we help others in pain n help the needy, baba adds it to our account in his 'Bank of Blessings'.If we add our good karmas this way,we are actually helping Sai to use it and at the time of need - Quote from Star Sai

    Before Asking Sai That What He's Doing To Keep Us Happy,Ask Yourself That What You Are Doing To Keep Sai Happy?!

    Lastly,
    You Are The Cutest Sai!! :D

    Offline suresh192

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    Re: What Does Being On This Forum Mean To You??
    « Reply #16 on: May 24, 2011, 09:22:10 AM »
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  • Dear friends,

    For me this forum is like  I am is sai's darbar where Baba is in center and all of us sitting next to him and
    taking from our hearts to Baba and Baba  listening and guiding us .

    Jai sai Baba

    Offline rakesh410

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    Re: What Does Being On This Forum Mean To You??
    « Reply #17 on: May 24, 2011, 10:08:00 AM »
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  • i dont know, should it mean something?

    Offline saitulasi9

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    Re: What Does Being On This Forum Mean To You??
    « Reply #18 on: June 20, 2011, 10:59:41 PM »
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  • please paray for my sons 1st yr MBBS examination please baba help  him to get sucess in his examination thank u baba om sai sri sai jaya jaya sai om sai ram

    Offline Pratap Nr.Mishra

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: What Does Being On This Forum Mean To You??
    « Reply #19 on: June 30, 2011, 11:26:34 AM »
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  • जय साईं राम

    क्यों और क्या कारण है  इस फोरम से जुड़ने का ??

    सर्वप्रथम सभी साईं प्रेमियों को मेरा नमस्कार,

    क्यों इस फोरम से जुड़ा ?

    मै एक छोटा सा साईं सेवक हु. बाबा के बारे में जानने की जिज्ञासा मेरे अंतःकरण में सदा ही विद्यमान रहती है. जब मै शिर्डी प्रथम बार गया था तो केवल एक शर्धालू से जादा कुछ नहीं था जिसे   बाबा से  केवल और केवल खुद की इच्छाओ की प्राप्ति करना था. क्योकि अन्य साईं प्रेमियों से  बस यही जाना था या जान सका था कि बाबा के पास जाने से सभी  वांछनीय मनोकामनाये प्राप्त होती है .

     इंसान जब बुरी तरह से परेशानियो से घिरा होता है और उसे उससे निकलने का कोई भी रास्ता नहीं दिखता तो हर तरेह की कोशिस करता है परेशानियो से निजात पाने कीऔर उस समय उसको बस एक ही सहारा नजर आता है वो है भगवान का . वो मंदिर,मस्जिद ,गिरजा,मजार और जोतिषियो के चक्कर काटने लगता है .मन्नते मांगता है,दुआ करता है. कभी -कभी अंश्विस्वसो के अधिनस्त होकर ऐसी बड़ी गलती कर जाता है जिससे उसकी परेशानिया कम होने की जगह और बढ जाती है.  मै भी वही कर रहा था जो प्राय: साधारणता :सभी उस परिस्थियो में करते है.

    मै नहीं जानता कि मेरे या मेरे परिवार के कोन से पुराने अच्छे कर्मो की वजह से मुझे बाबा ने शिर्डी बुलाया था . मेरे मन में केवल यही था कि सबकुछ तो करके देख लिया अब बाबा से भी प्राथना करके देखते है . ना मुझमे उस समय इतनी शर्धा ही थी नाही ही भक्ति. मै भी एक आगंतुक की भाति बाबा के दरबार में परिवार सहित आपनी मनोकामनायो की पूर्ति के लिए याचना करने गया था . मै द्वारकामाई में गया और बाबा को नमन करने के पश्चात वहा बाबा की विशाल तस्वीर के सामने मायूस होकर बेठ गया . मै नहीं जानता मै उस  क्षण मुझे क्या हुआ और क्यों पर बाबा की छवि को निहारते -निहारते खुद बा खुद आँखों से आँसू बहने लगे और मन एकदम शांत सा प्रतीत होने लगा . परेशानियो की वजह से मेरा मन सदा जो अशांत ही रहा करता  था एकदम शांत हो गया और एक ऐसा  अनुभव होने लगा की बाबा जैसे कह रहे है कोई चिन्ता मत कर तेरी परेशानियो से तुजेह निजात
    दिला दिया है. मेरे पास वो शब्द ही नहीं है जिससे मै उस  क्षण का सही रूपसे वर्णन कर पाऊ. मै उस घटना का वर्णन करते हुए आज भी रोमांचित हो उठता हु . मै सच्चे दिल से ये कहना चाहुगा कि जिस आत्मिक शांति कि अनुभूति मुझे हुई थी वो मुझे पहले कभी भी नहीं हुई थी.

    बस यही से मुझे और मेरी पत्नी को इस जीवन का मकसद मिल गया . मै थोडा जिज्ञासु प्रकृति का व्यक्ति हु . मैंने  तटक्षण से
    ही बाबा के बारे में जानकारिया हासिल करने लगा और अभी भी लगा हुआ हु . आज कई बरस हो गए पर जिज्ञासा वेसी की वेसी
    ही है जो पहली बार उतपन्न हुई थी. ये वो तृष्णा है जो कभी भी तृप्त नहीं हो सकती ना ही मै तृप्ति की चाहत रखता हु. बाबा से यही
    प्राथना है की सदा मुझे कुछ नया करने की  प्रेरणा देते रहे जिससे इस जीवन में  थोडा अंश मात्र भी दुसरे के लिए कुछ कर सकू
    मै इस अथाह ज्ञान के सागर से अभी तक केवल कुछ बुँदे ही संचित कर पाया हु .

    बाबा ने मुझ पर और मेरे परिवार पर बहुत बार अनुकम्पा की है और अभी भी करते आ रहे है. क्यों मै और मेरा परिवार बाबा के सानिध्य
     और शरणागत हुए इसका वर्णन मैंने गिया .

     क्या कारण है इस फोरम मे आने का ?
    श्री साईं सत्चरित और बाबा से सम्बंधित अन्य पुस्तकों का अध्यन करने के पश्च्यात भी मै   भी अभी भी अपने ज्ञान के गागर मे चंद बुँदे ही समेट सका हु . जब मै आपने चारो ओर साईं भक्तो ,साईं समाज संघ ,साईं प्रचारक ,साईं मंडली इत्यादि को देखता था तो यही समझता था की येही बाबा के सच्चे अनुयाई है जो बाबा के वचनों ओर विचारो का अनुसरण कर रहे है. पर दुर्भाग्यवास मुझे वेसा अनुभव नहीं हुआ . शायद ये मेरी संकुचित सोच या समझ हो जो मै समझने मे असमर्थ रहा. समाज मे व्याप्त बाबा के प्रति कई गलत भ्रान्तियो से भी सम्मुख हुआ. बाबा के नाम का दुष्प्रचार होते हुए भी देखा ओर सुना. बाबा के नाम का सहारा लेकर कई दुराचारियो को दुराचार करते हुए भी देखा. मंदिरों मे, संस्थाओ मे बाबा के प्रेमिओ
    मे भी आपसी  कटुता ओर गुट बंदी करते हुए पाया . बाबा जो अंधविश्वास के शक्त खिलाफ थे वही अंधविश्वास बाबा के नाम का सहारा लेकर कुछ
    अज्ञानी व्यक्ति पहला रहे है . ओर ना जाने कैसी -कैसी अप्भ्रन्तिया समाज मे व्याप्त होती जा रही है .

    मै इन सब चीजों को देखकर बहुत ही दुखित होता था . कभी साहस जुटा के किसी ज्ञानी व्यक्ति से जिसे बाबा के बारे मे पर्याप्त जानकारी है ,कहा भी तो
    ये उतर मिलता था की बाबा खुद ही देख लेगे .  एक अनुयाई होने के नाते हर साईं प्रेमी की ये नैतिक जिमादारी भी बनती है की गुरु के विचारो का
    सही तरह से पहलाये ओर गलत भ्रान्तियो ,अपवादों ओर अन्ध्विस्वसो का भी खंडन करे . मैंने कुछ हदतक प्रयास किया भी पर मेरा प्रयास निष्फल
    रहा .शायद बाबा ही बार -बार निष्फल करके मेरी परीक्षा ले रहे है.

    एक दिन मै Google search मे बाबा के विचार टाइप करते ही मुझे ये फोरम दिखी ओर मैंने ततछर्ण  अपना नाम रजिस्टर करवा दिया .मुझे ऐसा
    प्रतीत हुआ की बाबा ने मुझे सही जगह मे पंहुचा दिया है जहा से मे अपने विचार व्यक्त कर सकुगा . मै ऐसा मानता हु की शायद मेरे विचार गलत
    भी हो पर सकारात्मक तर्कसंगत द्वारा ही गलत प्रमाणित किये जायेगे नाकि बस ऐसे ही. सकारात्मक तर्क-वितर्क  से ही किसी भी चीज़ का सुंदर
    परिणाम निकलता है  नाकि किसी एक के कहने से उसे बिना समझे ओर आत्मसात किये  ग्रहण करने से. माफ़ करियेगा सृजनता की  उत्पति
    सकारात्मक तक-वितर्क से ही होती है.

    मुझे ऐसा प्रतीत होता है की इस फोरम के माध्यम से ही बाबा के आदर्शो ,उस्सुलो ,वचनों ओर विचारो को सही रूप मे समाज मे फेलाया जा सकता
    है . आपलोगों के प्रयास मे मै भी सामिल होना चाहता हु. श्री साईं सत्चरित ही केवल ओर केवल एक माध्यम है जिसके घर -घर तक पहुचने  से
    समाज मे व्यप्त सब भ्रान्तिया,अंधविश्वास ,कुरीतिया ओर दुष्प्रचार खुद बा खुद ही समाप्त होने लगे गे.

    बाबा को सभी जानते है पर बाबा की जानिये . यही अनमोल की ही सही मार्ग है जीवन में जीने का .

    काफी अंतराल के बाद आपने मन की बात कह पाया हु . शायद मेरा विवरण बहुत लम्बा हो गया है पर कृपा करके एक बार जरूर पढियेगा
    जिससे मुझे पता चल सके की मै कहा तक सही हु ओर कहा तक गलत. सकारात्मक ओर नकारात्मक दोनों ही  टिप्पनी सर आखो मे .

    अंत मे मै कोई लेखक या उपन्यासकार नहीं हु .एक साधारण सा साईं सेवक हु जो अज्ञानतावस काफी सरे प्रशनो के समाधान ना मिलने से
    परेशान है ओर उसी की तलाश मे भटक रहा है.  किसी भी कारण से अगर किसी भी साईं प्रेमी को मेरी बातो से कष्ट या असंतुष्टि हुई हो तो
    मै तहे दिल से  छमापार्थी  हु.

    साईं राम









    Offline ravathy

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    Re: What Does Being On This Forum Mean To You??
    « Reply #20 on: July 01, 2011, 06:18:36 AM »
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  • Sai Ram Pratapji,

    I go through your post very carefully i get to know that how did you attached with Baba  and why do you join this forum.

    In the first phase the story you describe is really heart touching and truly said. It's Baba's leela.nobody can understand

    In the second phase you described about the truth which are happening in our surroundings and we are watching everyday
    silently. I am absolutely agree with your thoughts. By reading your post one think i noticed that you are angry,feared and
    frustrated to see all these things.  You want that every sai devotee follow the same path as baba shown to everyone. You
    want that every followers follow the way according to Shri Sai Satcharit. You want these types of superstition which are spreading
    by the name of baba should be stopped

    Pratapji i appreciate your thoughts because you are hard core follower of baba. Don't try to change the system otherwise
    system will change you. So be patience and lets see what others are doing. Nobody has the time to think about these matters
    even i also. Everybody wants to choose the simple and easy path bcz in this path no obstacles,no pain ,no sorrow . The way
    you describing is the hard path and no so easy to walk. Everyone has their own views and we have to give the same respect. i hope you do too. It's a forum where new ideas should be consider. Lets wait for the others view on your post.

    Everybody wants to change the world but nobody want to change himself.

    Last but not least, thanks for your new ideas and hope you will continue it.

    Sainath please fulfill the desire.

    Sai Ram

     


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