जय सांई राम।।।
करण भाई जय सांई राम। भाई ये निर्भर करता है कि तुम अपने मन की बात किस व्यक्ति से करते हो। अगर वो तुम्हारे मन का मीत मित्र है तो उसमे कोई हर्ज़ नही। मेरा तो मानना है कि अपने मन का मीत अगर तुमने बाबा सांई को बना लिया तो मन में इस तरह का तुम्हारा सवाल ही नही पैदा होगा। वैसे भी हमारे मन मे इस तरह के उल ज़लूल वहम पैदा होते ही रहते है। इसलिये मैं तुम्हे यही सलाह दूंगा कि बाबा सांई से बात करना सीखो। बहुत आसान है यह।
अन्त में एक बात गांठ बांध लो कि भगवान कभी भी किसी से नाराज़ नही होते। हाँ हमारे हर किये गये कर्म का पुरुस्कार यां दंड जब हमें मिलता है तो उसका अन्दाज़ हम यह लगाकर करते है कि भगवान हमसे नाराज़ है यां खुश है। भगवान इन सबसे परे है। इस तरह हम ही अपने कर्ता और हम ही अपने कारण़ बन जाते हैं।
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई।
ॐ सांई राम।।।
Jai Sai Ram Karan Ji,
Kisi ko apne mann kii baat batana galat nahi hai par ye to sabse achchi baat hai kii jo baat hamare mann me hai wo sabse pehle Baba ko batai jaye to bahut achcha hai. But mere hisaab se to apne mann kii baat sabse pehle Baba ko phir apne sabse kareeb friend ko ya aap jisse sabse jyada pyar karte hai usko batane se aapki khushi double ho jati hai……..aapne ye to padha hi hoga na…………….
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बेधुश्च सखा त्वमेव ।।
त्वमेव विघा द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्व मम देव देव ।।
ye pata hai na aapko, hum chache kisii ko kitna hi apne kareeb samjhe parantu Baba (Bhagwan) hamare sabse kareeb hote hai.......Main ye nahi kehti kii Bhagwaan ke alaba koi hamare kareeb nahi hota, But jab hum Bhagwan ke kareeb hote hai tabhi hume Bhagwan ke roop me hamare friend, aur hamare sabse kareeb insaan milte hai, jaise ki mujhe mere husband ke roop me Ravi mile hai.........and I hope aapke pass bhi koi hai.....Anyway aap apne dil kii baat kisi se share karenge to aapki khushi double ho jayegi. pls try this..........
All the Best to ur mission.
Jai sai Ram.
:) :) :) :) :) Always Smile
जय सांई राम।।।
वैसे करण भाई वो बात है क्या? कोई लड़की का चक्कर तो नहीं? हाँ अगर कोई सांसारिक बात है तो वो आजकल का इन्सान इतना चालाक है कि वो खुद कोई न कोई तिकरम़ लगा कर अपनी समस्या को हल करने की कोशिश में है, लेकिन जब उससे अपनी समस्या का हल नही निकलता तो अपने बाबा सांई के पास पहुंच कर उनको तंग करना शुरु कर देता। वैसे भी हमारे बाबा खुद हैरान है कि आखिर आज के इन्सान को चाहिये क्या? बाबा एक समस्या का समाधान करते है तो इन्सान एक और नई समस्याओं की गुत्थी लेकर उनके पास पंहुच जाता है। कोई एक बच्चे की दुआ करता है तो कोई अपने बच्चों से दुखी है। किसी को अच्छी नौकरी मिल जाती है तो वो उससे भी उपर वाली की चाह करता है। किसी की शादी नही होती तो दूसरी ओर किसी पति-पत्नि की आपस में नही बनती। कंही कोई खुश नही। यह संसार का माया जाल है ही ऐसा। हर दिन इन्सान कोई ना कोई नया कारण ढूंढ कर अपने आप से दुखी हुआ चला जा रहा है। कंही किसी को भी सन्तुष्टि नहीं।
वैसे भी भाई अगर तुमने अपनी मन की बात किसी से कर भी ली तो उसमे हर्ज भी क्या है ना? ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? अगर धोखा भी मिला तो उससे भी तुम्हे कुछ सीखने को ही मिलेगा। यह तुमने सुना भी होगा कि "बन्द मुठ्ठी लाख की खुल गई तो खाक की"। अगर तुम्हे मन की बात बिना किसी को बताए काम चल सकता है तो वो तुम खुद तय करो तो ज्यादा समझदारी है। और अगर वाकई किसी से बात किये बगैर तुम्हारा काम नही चल रहा तो - बाबा सांई से बेहतर तुम्हे ओर कौन मिलेगा। वंहा तुम्हारा राज़ राज़ ही रहेगा। मै तो हमेशा ऐसा ही करता हूँ।
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई।
ॐ सांई राम।।।