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Author Topic: Only pain , sorrow, suffers n smile can share with God!!  (Read 16053 times)

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Offline saibetino1

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Re: Only pain , sorrow, suffers n smile can share with God!!
« Reply #30 on: March 15, 2007, 11:17:18 PM »
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  • Om Sai Ram Om Sai ram

    Sai Ram Tana ji
           
                     Asia nahin hooga ki mein na aao , app ko pata hai mein soote jagate sirf yeha ke logo ke baarein suchoti hoo even meri kal se tabiyatt thodi gad bad hai magar mujhe soone se jaayda yeha aan acha lagta hai ... mein yeha jaroor aaongi .. actually i luv u ll n my SAI BABA

    thnx .
    sai ram sai ram

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: Only pain , sorrow, suffers n smile can share with God!!
    « Reply #31 on: March 16, 2007, 10:31:39 PM »
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  • जय सांई राम।।।

    सुखी आदमी  

    एक बार पाटलिपुत्र में प्रवचन के दौरान महात्मा बुद्ध से उनके शिष्य आनन्द ने पूछा, 'भन्ते आपके सामने हजारों लोग बैठे हैं, बताइए इनमें सबसे सुखी कौन है?' बुद्ध ने कहा, 'वह देखो, सबसे पीछे जो दुबला-फटेहाल आदमी बैठा है, वह सबसे सुखी है।' इस उत्तर से आनन्द संतुष्ट नहीं हुआ। उसने कहा, 'यह कैसे हो सकता है?' बुद्ध बोले, 'अभी बताता हूं।' उन्होंने बारी-बारी से सामने बैठे लोगों से पूछा, 'तुम्हें क्या चाहिए?'

    किसी ने धन मांगा, किसी ने संतान, किसी ने बीमारी से मुक्ति तो किसी ने अपने दुश्मन पर विजय, तो किसी ने मुकदमे में जीत की प्रार्थना की। एक भी आदमी ऐसा नहीं निकला जिसने कुछ न मांगा हो। अंत में उस फटेहाल आदमी की बारी आई। बुद्ध ने पूछा, 'कहो भाई, तुम्हें क्या चाहिए?' उस आदमी ने कहा, 'कुछ भी नहीं। अगर भगवान को कुछ देना ही है तो बस इतना कर दें कि मेरे अंदर कभी कुछ चाह ही पैदा न हो। मैं तो अपने को बड़ा सुखी मानता हूं।'

    तब बुद्ध ने आनन्द से कहा, 'आनन्द! जहां चाह है, वहां सुख नहीं हो सकता।'   

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saibetino1

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    Re: Only pain , sorrow, suffers n smile can share with God!!
    « Reply #32 on: March 16, 2007, 10:48:44 PM »
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  • Om Sai Ram Om Sai ram,

                Sai Ram Rameshji ,
                                            Sahi kha rahe hai app .........

                            Ye Khawashyie asi hai ki khatam hoti nahin,
                             Asman ka man hai ki vo jameen se mile ,
                             mera man hai ki sara jha bas mujhe hi mile,
                             ye bhi bade ajeeb  baat hai ,
                             ki kabhi bhi khwashiye poori hooti hi nahin.


                Khwasiyo ka ant nahin , jindagi khatam hoo jayegi , magar inka aant nahin .Kher dekhate hai hum khud par kitana control rakhate aur har haal mein khush rahane ki koshish karte ... SAI ne cha tau khawashiye khatam bhi hoo jayengi.

    SAI RAM SAI RAM
    neelam
    « Last Edit: March 16, 2007, 10:52:07 PM by saibetino1 »

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: Only pain , sorrow, suffers n smile can share with God!!
    « Reply #33 on: March 16, 2007, 11:27:57 PM »
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  • जय सांई राम।।।

    कंहा जा रहा है तू ए जाने वाले,  अन्घेरा है मन का दिया तू जला ले....कंहा जा रहा है....

    सिर्फ यह समझ आ जाये अच्छी तरह कि हम कंहा जा रहै है, क्या चाहते है? सब कुछ समझ आ जायेगा।  ख्वाहिश करना कोई बुरी बात नही, लेकिन ख्वाहिश कैसी हो उसका फैसला करना है।  याँ जो ख्वाहिश हम कर रहे हैं क्या उसके काबिल भी है?  ख्वाहिश से ज्यादा उस ख्वाहिश के बारे में हमे भलि भांति मालुम होना चाहिये।  अपने साथ सब कुछ अच्छा ही अच्छा हो इसकी तो ख्वाहिश है सबको लेकिन उसके लिये हमें क्या करना है, कैसे निभाना है उसका मालुम नही हमे। तो ऐसी ख्वाहिश हमारी पूरी भी हो जाये खुदा ना खाश्ता, तो वो टिकेगी नही हमारे पास ज्यादा देर। तो फिर क्या फायदा ऐसी ख्वाहिशें पालने का।

    इसी तरह हम सबकी ख्वाहिश बाबा को पाने की है, लेकिन बाबा को पाने के यम-नियम क्या है उसका मालूम नही। तो फिर???????

    यंहा कभी किसी को मुकमिल जहाँ नही मिलता.......

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: Only pain , sorrow, suffers n smile can share with God!!
    « Reply #34 on: March 18, 2007, 12:28:20 AM »
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  • सांई राम।।।

    सुख कहां है?--कुछ विचार

    मन में आ रहे अनेक विचारों को व्यक्त करने के प्रयास में पता नहीं कितना मैं अर्थपूर्ण सही लिख पा रहा हूँ आप सब भी अपने अपने विचार रखें।

    सुबह उठ कर खिडकी से बाहर का दृश्य मन में एक नयी स्फ़ूर्ति भर देता है। हरे पेड और झिलमिलाते पत्तों के बीच से झांकती सुनहरी किरण। ऐसी नैसर्गिक अद्भुत छवि मन के किसी कोने में जा कर हमेशा के लिये कैद हो जाती है। क्यों मन होता है खुश सुबह की लालिमा को महसूस कर और कहीं शाम की लालिमा देख उस सौन्दर्य में भी दुख के पुट का अभास सा होता है? उगने और डूबने में फ़र्क होता है मगर क्यों होती हैं दोनो ही दृश्यों में समानता? जीवन के हर मंच पर ऐसे विरोधाभास लिये हुये समान दृश्य क्यों प्रकट होते रहते हैं? क्या नहीं है मृत्यु भी कहीं जन्म के समान ही? दार्शनिक शेक्स्पीयर ने जीवन की व्याख्या करते हुये बुढ़ापे को शैशव के साथ जोड दिया है। इसी सुबह से शाम और जन्म से मृत्यु के बीच खेल खेले जाते हैं, चमत्कार गढ़े जाते हैं और लीलायें रची जाती हैं। आधे भरे तश्तरी को आधा खाली भी कहा जाता है और जिया जाता है जीवन सुख की खोज में। उस आधी खाली तश्तरी को भरने की कोशिश में सारा जीवन बीत जाता है। सुख का मोती ढूंढने की कोशिश में हर सीप को खोल कर देखते हैं हम। वो सीप हमें नहीं मिलता है। क्यों? कहां चूक जाते हैं हम? सच ज़्यादा गूढ नहीं, अगर ये समझ लें कि खुशी हम में ही बंद है, हमारा सच्चा साथी तो हमारा मन है, हम खुद हैं, तो खुशी हमारे पास ही होगी हमेशा।

    बाबा कहां ऐसे ही सहायता करता है?  बिना उसको समझे, जाने, माने। बिना उसको दोस्त बनाये कंहा संभव कि हम अपने आप से मित्रता करें।  उसके लिये तो हमे वो हमारे 'हम' से मिलाता है जिससे कारण हम ही होते हैं जो अपने को सहारा देते हैं और कठिन समय को पार करते हैं, हम खुद। दर्द मनुष्य को पवित्र करता है। नहीं मानता मैं। पवित्र नहीं शक्ति देता है। समझाता है कि अपने में डूब जाओ, ये सुख कहीं और नहीं तुम में है, ये दर्द,  ये दुख सिर्फ़ तुम्हारी अंदर की शक्ति को बढाने के लिये है। हम क्यों करते हैं पूजा? क्यों बार बार बाबा से मांगते हैं अपनी मुराद? इन्सान अपनी इच्छाओं के वश मे जो होता है। इच्छायें रखना पाप नहीं,  इच्छाओं को पूरा करना भी गलत नहीं, मनुष्य जाति में जन्म ले कर इच्छायें रखना तो स्वाभाविक है और सन्यासी भला कौन हुआ है? मगर इच्छाओं का पूरा न होना भी एक सत्य हो सकता है। तब घुटने टेक, गिड़गिडा़ना कितना ठीक है? कमज़ोर बन कर मांगने से अगर इच्छायें पूरी हो जाती हों तो कर्म का क्या? कर्म कर के भी फ़ल मिलेगा ये कोई ज़रूरी नहीं। मगर भाग कर छुपना, गिड़गिड़ाना, प्रार्थना में हल मांगना क्या कमज़ोरी नहीं? क्या करे कोई तब? जीये, खुल के जीये, कौन जानता है कि सच आत्मा मरती है या नहीं? शायद अमर हो मगर कहां इस ज़िन्दगी की बातें याद रखेगा कोई अगले जन्म तक। खुल के जीयें, इच्छायें पूरी न हों तो दुख भी जीयें। जीवन तो एक रेखाचित्र है। जब उतार आया है तो चढाव भी आयेगा और आज चढाव है तो कल उतार भी हो सकता है। तभी तो ये जीवन है। मगर क्यों अच्छे आदमी भी दुख सहते हैं और बुरे आदमी खुश रहते हैं? और अच्छा कौन है और बुरा कौन? क्या परिभाषा है अच्छे और बुरे की? आज इतना ही...बाद में कभी फिर...

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline saibetino1

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    Re: Only pain , sorrow, suffers n smile can share with God!!
    « Reply #35 on: March 19, 2007, 02:34:15 AM »
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  • Om sai Om sai ....



                  jeene ke liye soocha bhi nahin dard sambhalane hoonge ,
                  muskaraye tau muskarenge , karz utarne hoonge....


     Sukh kha hai ??????? ??? ???  A big ouestion , shayad humare man mein  hai jaise apne likha hai .... kyonki din aur raat , sab ek jaise hai khai kuch upar vale ne fark nahin kiya ...phir hum kaise subha ko sukhi aur dubate hue suraj ko dukhi maan lete hai ... jabki vo ugata hua suraj kisi ke liye dukh hoo sakta hai , aur dubata kisi ki khusiyo ke aane ka sanket....


           pata nahin sukh aur dukh dono ek hi sike ke do rang hai ....mujhe yaad aa raha hai SSC ki ek story jab sai baba apne ek bhakt ke ko ek naukrani ke pass bhjate hai sukh aur dukh samjhane ke liye .... jis se pata chalta hai sab man ka khel hai aur kuch nahin .

              sahi bhi tau hai man jis chiz mein ram jaata hai vo tab khud ko sukhi maan leta hai aur jab nahin ramta tau dukhi .... man ka hua tau sukhi nahin hua tau dukhi .... par badi ajeeb baat hai ki ye bahut hi choote choote bhav bahut andar se insan ko hila dete hai ....shayad jaroori bhi hai ..tabhi hum jindagi ka poora rang dekh paate hai ..jindagi poori tarah se jine chaiye ...sukh aur dukh dono ko saath lekar chale tau acha hai kyonki ye dono tau bahane hai aur har jagha saath hi rahati hai .......ek aayegi tau dosri dabe pao aa hi jayegi isliye dono ko saath mein bithao par dono ke liye taayar rahe yahi jeewan hai ... Sukh mein bhoolo nahin use ..dukh mein vishwas na choode us par se ...


    Ye jeewan hai ...is jeewan ka yahi hai , yahi hai rang roop
    thode aasoo hai thodi khusiya ...
                   Shayad mein khud ko rakh payi hoo

    Sai sai sai sai sai sai

     


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