जय साँई राम।।।
जग को दें बाबा साँई के प्यार की सौगात
सागर के किनारे पर जब कोई लहर,
तट से टकराकर ध्वस्त हो जाती है;
अवश्य ही पीछे से करती हुई हर हर,
कोई दूजी उत्ताल तरंग चली आती है।
प्रकृति के उसी अबाध क्रम में चलते हुए,
जब वर्ष दो हजाऱ छ: का अंत हुआ;
तो भविष्य के गर्भ से उन्मुक्त होकर,
वर्ष दो हजाऱ सात वर्तमान बन गया।
हो ऐसा कि उसके साथ उगे नया सूरज,
जिसके प्रकाश से सारा जग जगमगाये;
चँहु ओर प्रस्फुटित हो जायें हर्ष की लहरें,
जन जन का तन मन प्रफुल्लित हो जाये।
क्षणिक जीवन का मर्म मानव समझ जाये,
हर मानव का धर्म बाबा साँई की मानवता ही बन जाये ;
आईये हम सब मिलकर करें सिर्फ परस्पर प्रेम की ही बात,
नववर्ष में हम जग को दें बाबा साँई के सच्चे प्यार की सौगात।
बाबा साँई आप सबके परिवार पर अपनी कृपा दृष्टि हमेशा बनाऐ रखें।
मेरा साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा मेरा साँई
ॐ साँई राम।।।