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Author Topic: क्यों और क्या कारण है इस फोरम से जुड़ने का ??  (Read 23390 times)

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Offline Pratap Nr.Mishra

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  • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
जय साईं राम    जय साईं राम   जय साईं राम   जय साईं राम    जय साईं राम    जय साईं राम   जय साईं राम   जय साईं राम    जय साईं राम    जय साईं राम
क्यों और क्या कारण है  इस फोरम से जुड़ने का ??

सर्वप्रथम सभी साईं प्रेमियों को मेरा नमस्कार,

क्यों इस फोरम से जुड़ा ?

मै एक छोटा सा साईं सेवक हु. बाबा के बारे में जानने की जिज्ञासा मेरे अंतःकरण में सदा ही विद्यमान रहती है. जब मै शिर्डी प्रथम बार गया था तो केवल एक शर्धालू से जादा कुछ नहीं था जिसे   बाबा से  केवल और केवल खुद की इच्छाओ की प्राप्ति करना था. क्योकि अन्य साईं प्रेमियों से  बस यही जाना था या जान सका था कि बाबा के पास जाने से सभी  वांछनीय मनोकामनाये प्राप्त होती है .

 इंसान जब बुरी तरह से परेशानियो से घिरा होता है और उसे उससे निकलने का कोई भी रास्ता नहीं दिखता तो हर तरेह की कोशिस करता है परेशानियो से निजात पाने कीऔर उस समय उसको बस एक ही सहारा नजर आता है वो है भगवान का . वो मंदिर,मस्जिद ,गिरजा,मजार और जोतिषियो के चक्कर काटने लगता है .मन्नते मांगता है,दुआ करता है. कभी -कभी अंश्विस्वसो के अधिनस्त होकर ऐसी बड़ी गलती कर जाता है जिससे उसकी परेशानिया कम होने की जगह और बढ जाती है.  मै भी वही कर रहा था जो प्राय: साधारणता :सभी उस परिस्थियो में करते है.

मै नहीं जानता कि मेरे या मेरे परिवार के कोन से पुराने अच्छे कर्मो की वजह से मुझे बाबा ने शिर्डी बुलाया था . मेरे मन में केवल यही था कि सबकुछ तो करके देख लिया अब बाबा से भी प्राथना करके देखते है . ना मुझमे उस समय इतनी शर्धा ही थी नाही ही भक्ति. मै भी एक आगंतुक की भाति बाबा के दरबार में परिवार सहित आपनी मनोकामनायो की पूर्ति के लिए याचना करने गया था . मै द्वारकामाई में गया और बाबा को नमन करने के पश्चात वहा बाबा की विशाल तस्वीर के सामने मायूस होकर बेठ गया . मै नहीं जानता मै उस  क्षण मुझे क्या हुआ और क्यों पर बाबा की छवि को निहारते -निहारते खुद बा खुद आँखों से आँसू बहने लगे और मन एकदम शांत सा प्रतीत होने लगा . परेशानियो की वजह से मेरा मन सदा जो अशांत ही रहा करता  था एकदम शांत हो गया और एक ऐसा  अनुभव होने लगा की बाबा जैसे कह रहे है कोई चिन्ता मत कर तेरी परेशानियो से तुजेह निजात
दिला दिया है. मेरे पास वो शब्द ही नहीं है जिससे मै उस  क्षण का सही रूपसे वर्णन कर पाऊ. मै उस घटना का वर्णन करते हुए आज भी रोमांचित हो उठता हु . मै सच्चे दिल से ये कहना चाहुगा कि जिस आत्मिक शांति कि अनुभूति मुझे हुई थी वो मुझे पहले कभी भी नहीं हुई थी.

बस यही से मुझे और मेरी पत्नी को इस जीवन का मकसद मिल गया . मै थोडा जिज्ञासु प्रकृति का व्यक्ति हु . मैंने  तटक्षण से
ही बाबा के बारे में जानकारिया हासिल करने लगा और अभी भी लगा हुआ हु . आज कई बरस हो गए पर जिज्ञासा वेसी की वेसी
ही है जो पहली बार उतपन्न हुई थी. ये वो तृष्णा है जो कभी भी तृप्त नहीं हो सकती ना ही मै तृप्ति की चाहत रखता हु. बाबा से यही
प्राथना है की सदा मुझे कुछ नया करने की  प्रेरणा देते रहे जिससे इस जीवन में  थोडा अंश मात्र भी दुसरे के लिए कुछ कर सकू
मै इस अथाह ज्ञान के सागर से अभी तक केवल कुछ बुँदे ही संचित कर पाया हु .

बाबा ने मुझ पर और मेरे परिवार पर बहुत बार अनुकम्पा की है और अभी भी करते आ रहे है. क्यों मै और मेरा परिवार बाबा के सानिध्य
 और शरणागत हुए इसका वर्णन मैंने गिया .

क्या कारण है इस फोरम मे आने का ?

श्री साईं सत्चरित और बाबा से सम्बंधित अन्य पुस्तकों का अध्यन करने के पश्च्यात भी मै   भी अभी भी अपने ज्ञान के गागर मे चंद बुँदे ही समेट सका हु . जब मै आपने चारो ओर साईं भक्तो ,साईं समाज संघ ,साईं प्रचारक ,साईं मंडली इत्यादि को देखता था तो यही समझता था की येही बाबा के सच्चे अनुयाई है जो बाबा के वचनों ओर विचारो का अनुसरण कर रहे है. पर दुर्भाग्यवास मुझे वेसा अनुभव नहीं हुआ . शायद ये मेरी संकुचित सोच या समझ हो जो मै समझने मे असमर्थ रहा. समाज मे व्याप्त बाबा के प्रति कई गलत भ्रान्तियो से भी सम्मुख हुआ. बाबा के नाम का दुष्प्रचार होते हुए भी देखा ओर सुना. बाबा के नाम का सहारा लेकर कई दुराचारियो को दुराचार करते हुए भी देखा. मंदिरों मे, संस्थाओ मे बाबा के प्रेमिओ
मे भी आपसी  कटुता ओर गुट बंदी करते हुए पाया . बाबा जो अंधविश्वास के शक्त खिलाफ थे वही अंधविश्वास बाबा के नाम का सहारा लेकर कुछ
अज्ञानी व्यक्ति पहला रहे है . ओर ना जाने कैसी -कैसी अप्भ्रन्तिया समाज मे व्याप्त होती जा रही है .

मै इन सब चीजों को देखकर बहुत ही दुखित होता था . कभी साहस जुटा के किसी ज्ञानी व्यक्ति से जिसे बाबा के बारे मे पर्याप्त जानकारी है ,कहा भी तो
ये उतर मिलता था की बाबा खुद ही देख लेगे .  एक अनुयाई होने के नाते हर साईं प्रेमी की ये नैतिक जिमादारी भी बनती है की गुरु के विचारो का
सही तरह से पहलाये ओर गलत भ्रान्तियो ,अपवादों ओर अन्ध्विस्वसो का भी खंडन करे . मैंने कुछ हदतक प्रयास किया भी पर मेरा प्रयास निष्फल
रहा .शायद बाबा ही बार -बार निष्फल करके मेरी परीक्षा ले रहे है.

एक दिन मै Google search मे बाबा के विचार टाइप करते ही मुझे ये फोरम दिखी ओर मैंने ततछर्ण  अपना नाम रजिस्टर करवा दिया .मुझे ऐसा
प्रतीत हुआ की बाबा ने मुझे सही जगह मे पंहुचा दिया है जहा से मे अपने विचार व्यक्त कर सकुगा . मै ऐसा मानता हु की शायद मेरे विचार गलत
भी हो पर सकारात्मक तर्कसंगत द्वारा ही गलत प्रमाणित किये जायेगे नाकि बस ऐसे ही. सकारात्मक तर्क-वितर्क  से ही किसी भी चीज़ का सुंदर
परिणाम निकलता है  नाकि किसी एक के कहने से उसे बिना समझे ओर आत्मसात किये  ग्रहण करने से. माफ़ करियेगा सृजनता की  उत्पति
सकारात्मक तक-वितर्क से ही होती है.

मुझे ऐसा प्रतीत होता है की इस फोरम के माध्यम से ही बाबा के आदर्शो ,उस्सुलो ,वचनों ओर विचारो को सही रूप मे समाज मे फेलाया जा सकता
है . आपलोगों के प्रयास मे मै भी सामिल होना चाहता हु. श्री साईं सत्चरित ही केवल ओर केवल एक माध्यम है जिसके घर -घर तक पहुचने  से
समाज मे व्यप्त सब भ्रान्तिया,अंधविश्वास ,कुरीतिया ओर दुष्प्रचार खुद बा खुद ही समाप्त होने लगे गे.

बाबा को सभी जानते है पर बाबा की जानिये . यही अनमोल की ही सही मार्ग है जीवन में जीने का .

काफी अंतराल के बाद आपने मन की बात कह पाया हु . शायद मेरा विवरण बहुत लम्बा हो गया है पर कृपा करके एक बार जरूर पढियेगा
जिससे मुझे पता चल सके की मै कहा तक सही हु ओर कहा तक गलत. सकारात्मक ओर नकारात्मक दोनों ही  टिप्पनी सर आखो मे .

अंत मे मै कोई लेखक या उपन्यासकार नहीं हु .एक साधारण सा साईं सेवक हु जो अज्ञानतावस काफी सरे प्रशनो के समाधान ना मिलने से
परेशान है ओर उसी की तलाश मे भटक रहा है.  किसी भी कारण से अगर किसी भी साईं प्रेमी को मेरी बातो से कष्ट या असंतुष्टि हुई हो तो
मै तहे दिल से  छमापार्थी  हु.


जय साईं राम     जय साईं राम     जय साईं राम     जय साईं राम        जय साईं राम         जय साईं राम         जय साईं राम           जय साईं राम

Offline ashokjain

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Dear Pratap Ji,

This world is a constant flux of good and bad. In the limited time which we have in human life, we can try our best to focus on good things. There is some good in everybody and not so good too in everybody. When we are too much disturbed by not so good things around us, we actually should strive to be a source of light. Being extremely good in conduct and in our thoughts while being untouched by our surroundings is something which will do a world of good to us and to everyone else.

Welcome to the forum. Sai Baba's blessing be with you and your family. Peace and love.

Om Sai Ram.

regards.

Please visit the link below:

http://sathyasaibaba.spiritualindia.org/

Offline saikripa.dimple

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Om Sai RAm

nice exp. Pratap ji,

baba always says, " teri chinta tujhse kahi jyada tere baba ko hai."
Jai Sai Ram
Sai teri "Kami" bhi hai, tera "Ehsaas" bhi hai....

Sai tu "Door" bhi hai mujhse par "Paas" bhi hai......

Khuda ne yun nwaza hai teri "Bhakti" se mujhko.....

Kii.............

Khuda ka "Shukr" bhi hai aur khud pe "Naaz" bhi hai..

Offline ROHINIYASHASWI

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sai baba mai apko mera problem post kar chuki hu. Ap kab muje solution denge.

 


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