जय सांई राम
कविता और अन्य जिनको भी अपनों के बिछड़ने के ग़म के दौर से निकलना पड़ रहा है के लिये श्रदांजलि स्वरूप यह गीत प्रस्तुत है। क्योंकि ज़िन्दगी नाम है चलने का। जाने वाले कभी लौट के नही आते लेकिन जाने वालों की याद सदा साथ रहती है।
नदिया चले, चले रे धारा
चन्दा चले, चले रे तारा
तुझको चलना होगा...
जीवन कहीं भी ठहरता नहीं है
आँधी से तूफ़ाँ से डरता नहीं है
नाव तो क्या, बह जाये किनारा
बड़ी ही तेज समय की है धारा
तुझको चलना होगा...
पार हुआ वो रहा जो सफ़र में
जो भी रुका, फ़िर गया वो भँवर में
तू ना चलेगा तो चल देंगी राहें
मंजिल को तरसेंगी तेरी निगाहें..
तुझको चलना होगा..
ॐ सांई राम।।।