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Author Topic: श्री साईं सत्चरित का एक दिवसीय परायण और उसका महत्व .  (Read 3361 times)

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Offline Pratap Nr.Mishra

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सभी साई अनुयाईओ  को साई राम



विषय :     श्री  साईं  सत्चरित  का  एक  दिवसीय  पाठ.

प्रेणना :  श्री सतनारायण कथा एवंग श्री राम चरित मानस का एक दिवसीय पाठ

उद्देश  : 

    * बाबा की लीलाओं का स्मरण और उनकी जीवनी से परिचय

    * बाबा के अनमोल वचनों और विचारो को घर घर तक पहुचाना जिससे  सच्चे अर्थो मे सभी बाबा के द्वारा दी

       गई शिक्षाओ का आपने दैनिक जीवन  मे अनुसरण कर सके और दूसरो को भी प्रेरित करने का प्रयास करे.

    * मनोवांछित फल की प्राप्ति

मेरा और मेरी पत्नी का सुखद अनुभव और इस जीवन का सर्वसेष्ट कार्य.

आजसे चार साल पहले बाबा की बहुत बड़ी अनुकम्पा मेरे और मेरी पत्नी पर हुई  .उनकी प्रेणना और दया से और सभी
के सहयोग से मेने बाबा का एक छोटा सा मंदिर का निर्माण करवाया. आज मंदिर मे बाबा के चारो पहर की आरती एवंग
सभी  कार्यक्रम सहज  रीती-रिवाज से मनाया  जाता है . 14th April बाबा का  स्थापना दिवस बड़े ही  हर्षोउल्लास से
मनाया  जाता है .

इस साल 14th April के कुछ दिन पहले मेरी पत्नी के अच्चानक ये विचार आया की क्यों न इस दिन श्री रामायण पाठ
की तरह श्री साईं सत्चरित का भी एक दिवसीय पाठ उसी तरह से रखा जाये. विचार सम्पूर्ण रूप से अनजाना था और ना
मेरी पत्नी को ना ही किसी अन्य को इसके बारे में कोई जानकारी थी.पहली बार हमारे यहाँ होने जा हा था इसलिए वो बहुत
ही चिंतित और आशंकित थी . श्री साईं सत्चरित का साप्ताहिक परायण  विदित काफी बरसो से चला आ रहा है . क्या एक
दिवसीय परायण करना उचित भी होगा या नहीं.?  क्या कोई भूल चुक तो नहीं हो जाएगी ?  ऐसे कई विचारो से मेरी पत्नी
बुरी तरह से ससंकित थी .

ये विचार जब बाबा ने ही मन मे प्रेरित किये है तो इसका शुभारम्भ और समापन भी श्री साईनाथ ही करेगे, ऐसा विचार कर
पत्नी ने सुबह 8 बजे से स्थापना दिवस के दिन  श्री साईं सत्चरित का एक दिवसीय पाठ  मंदिर मे आरम्भ कर दिया . जैसे
श्री  रामायण के  पाठ  करने की जो  विधि है उसी के समरूप इस  पाठ की  भी विधि  है. बाबा के  सम्मुख फल-फूल नेवेद
इत्यादि रखकर मुख्य पठन के स्थान  पर एक भक्त श्री साईं सत्चरित का पाठ करता रहता है और समान्तर अन्य साईं प्रेमी
भी श्री साईं सत्चरित पाठ कर सकते है .मुख्य स्थान पर थोड़े   थोड़े अंतराल में  भक्त बदलते जाते है और इस तरह सम्पूर्ण
श्री साईं सत्चरित का पाठ सम्पूर्ण हो जाता है

शुरुआत मे मेरी पत्नी पढ़ती रही और साथ मे मंदिर के पंडितजी का भी बहुत बड़ा योगदान रहा . धीरे-धीरे साईं प्रेमी आते गए.
पहले उन्हें बड़ा ही आजीब सा महसूस हुआ पर जब इसको करने का उदेश और इसके महत्त्व का आभास हुआ तो फिर ताता सा
ही लग गया पाठ पढने का. धूप आरती के कुछ समय पूर्व ही  सम्पूर्ण पाठ का समापन हुआ और फल-फूल, नेवेद से बाबा की
आरती  हुई .मेरी पत्नी को सदा ऐसा ही आभास  होता रहा की बाबा स्वयम: शुरू से अंत तक वहा  पर विराजमान होकर कार्य का
समापन करवा रहे है .

आज उसके बाद से मंदिर मे और भसाईं प्रेमिओ  ने आपने -अपने घरो मे श्री साईं सत्चरित का एक दिवसीय परायण  करना शुरू
कर दिया है.  मुझे जिस आत्मिक शांति का आभास आपको केवल उसका विवरण देने से हो रहा है ,कल्पना करिए की उस समय
मेरी पत्नी किस आनंद और आत्मिक सुख के सागर में  गोते लगा रही होंगी .

मुझे और मेरी पत्नी को एक बार फिर बाबा ने इस कार्य के  लिए काबिल समझा इसके लिए हमलोग सदा ही बाबा के ऋणी है और
यही बाबा से प्राथना करते है की सदा ही बाबा अपनी अनुकम्पा हमपे बनाये रखे और इसी तरह से बाबा के वचनों और विचारो को
फेलाने में सहयोग करते रहे .

सम्पूर्ण कार्य के कर्ता श्री साईनाथ महाराजजी है .हमलोग तो केवल एक माध्यम मात्र है जो करम कर रहे है.

बाबा का हमलोग कोटि-कोटि धन्यबाद करते है और प्राथन करते है की सदा ही अपने चरणों मे शरण देना .

श्री साईनाथ महाराज की जय



                                                                "जाहे विधि राखे साईं ,ताई विधि रहिये "

Offline saib

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Dear Pratap,

This is really awesome. To complete Parayan of Sri Sai Satcharitra in one day. Means to be in the own world of Baba for entire day. If one starts with complete faith (and concentration)  and love, surely result will be amazing.

Thanks for this great Idea. Many times I think we are so busy in life. But, we always spare time for other activities, then why find it difficult to get time only for Baba. Perhaps it is the rule of Lord to allow only those who have Love and devotion for lord.

May Baba Bless all of Us!

om sri sai ram!
om sai ram!
Anant Koti Brahmand Nayak Raja Dhi Raj Yogi Raj, Para Brahma Shri Sachidanand Satguru Sri Sai Nath Maharaj !
Budhihin Tanu Janike, Sumiro Pavan Kumar, Bal Budhi Vidhya Dehu Mohe, Harahu Kalesa Vikar !
........................  बाकी सब तो सपने है, बस साईं ही तेरे अपने है, साईं ही तेरे अपने है, साईं ही तेरे अपने है !!

Offline Pratap Nr.Mishra

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  • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
Dear saibji Sai Ram

Thanks for your encouragement .

Saibji it's just like the Ek Divashiye Ramayan Path (Completion of Shri Ram Chariit Manas in a day),

Shri ram Charit Manas  is a great epic and having a lot of lessons than the Shri Sai Satcharit .

When it is possible to read the whole Ramayan in 24 hours , then there should not be any  difficulty

to complete Shri Sai Satcharit  in a day.

Every months or two we do arrange Shri Sai Satcharit Path in our Sai temple . Initially  there was a

lot of resistance and obstacles which we had to face  but now slowly slowly sai lovers know the

importance and value of this and participating with great faith and devotion.

I and my wife always be great full to Baba who given us such a beautiful   idea . We are a small servant

of Shri Sainath and just trying to spread the great precious words and ideas what baba has given to us .

At last i pray to you and all sai lovers that just start this with great faith and devotion and i have firm believe

that Sai will be help you in every step of your life.

Sai Ram

Offline PiyaSoni

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  • ੴ ਸਤਿ ਨਾਮੁ
"नानक नाम चढदी कला, तेरे पहाणे सर्वद दा भला "

Offline Pratap Nr.Mishra

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साई राम        साई राम        साई राम      साई राम      साई राम      साई राम
                      


सभी साईं प्रेमिओ को गुरु पर्व की शुभकामनाये ओर हार्दिक बधाई                                      


गुरु पर्व के शुभ अवसर की पर एक छोटी सी कविता  बाबा के श्री चरणों मे अर्पित करता हू .


मैं एक बहुत ही साधारण बाबा का सेवक हू .भाषा का मुझे ज्ञान नहीं है न ही छन्दों का मेल
 ही जनता हू बस अनायास ही मन मे ये विचार आया की इस वर्ष   बाबा  को  एक  कविता
 ही  भेट  सरूप  अर्पित करूँगा . पूर्व  ही  होने  वाली  गलतियो के लिए छमापार्थी हू .


गुरु पर्व के शुभ अवसर पर  
करके कोटि -कोटि प्रणाम
अब मै करने जा रहा हू
बाबा   की लीलाओं का गुणगान ||

श्रधा और सबुरी ही है
साई के दो महान मन्त्र
जिनके सेवन करने पर ही
रहता जीवन मे आनंद  ||

श्रधा ओर सबुरी को हमने
अपने मन मंदिर में डाल लिया
अब तो केवल इस जीवन में  
साई का ही दमन थाम लिया ||

बाबा से विनती है मेरी
गलती मेरी माफ़ करो
सदा मेरे  दिल में रहकर
मेरा भी कल्याण करो  ||

सोते जागते हर पल केवल
साईं का ही ध्यान रहे
उनकी  शिक्षाओ को फेलाके
औरो  का भी  कल्याण करे.  ||

साई   मेरे बहुत दयालु
सबकी विनती सुनते है
भक्तो को सुख देने खातिर
कितना दुःख खुद सहते है ||
 
बाबा मै हू मूर्ख अज्ञानी
कैसे सुनाऊ तुम्हारी  कहानी
कृपा तुम्हारी  हो जाये मुझपर
मूर्ख से मै भी बन जाऊ ज्ञानी ||
 
कागज कलम दावत ले
बेठा हू  तेरे घर के द्वारे  
जल्दी से अपनी कृपा के कुछ  
फूल बिखेर दो मेरे आगे ||

ग्यारह वचनों को देकर
तुमने  किया कल्याण है
हमसब ठहरे मूर्ख  अज्ञानी
समझ न पाये ये तेरी दया का दान है ||
 
गरीबो  का  बन के  मसीहा  
तुमने   दिया  ये  सन्देश  है
आपस  मे  क्यों  बैर  करो  तुम
जब  सबका  का  मालिक  एक  है  ||
  
रहता तुम्हारी  हरदम जुबा पे
अल्लाह मालिक का ही नाम है
हिन्दू मुस्लिम सब है भाई
येही तेरा फरमान है ||
 
तुम्हारी जुबा पे हर वक्त  रहता
केवल एक ही  नाम रे  
अल्लाह मालिक भला करेंगे
हर बन्दे का काम रे ||

श्रधा और सबुरी से करलो
तुम मेरा ही ध्यान रे
मैं तुमको दे ही  दुगा
मुक्ति का वरदान रे ||
 
मोह माया के जान मे फंसके
न किसी से कर  तू छल
आज तू जो बोयेगा कल वही ही  काटेगा
अरे नादान अब तू जा सम्भल ||
 
पानी से तुमने दीप जलाके
सबको कर दिया  हैरान
तेरी लीला को कैसे कोई जाने
हम जैसा मूर्ख  पापी और सैतान ||  

श्यामा को भयंकर साँप ने कटा
बाबा के दर को वो भागा
तुमने अपनी वाणी से ही
साँप के विष को निकाल  डाला ||
 
बबर शेर को भी  तुमने
अपने पास बुला डाला
देकर अपना आशीर्वाद उसे  
इस जीवन से मुक्त कर डाला ||
 
माँ के प्यार के खातिर
ऐसा तुमने महान काम किया
तात्या को जीवनदान देकर
खुद मृत्यु को ग्रहण किया ||
 
कभी किसी ने न देखा होगा
न ही किसी ने ये काम किया
माँ को वचन निभाने के खातिर
अपना जीवन दान दिया ||
 

अहंकार के वश मे होकर
नानाजी कर बेठे नादानी
बाबा ने उनके दंभ को तोडा
बताके संस्कृत को मुंह जुबानी ||

मस्जिद मे रहकर बाबा ने
गीता का उपदेश दिया
और मंदिर मे रहकर भी
कुरान का पाठ किया ||
 
न मैं हिन्दू न मैं मुस्लिम
हम सब एक ही मालिक के बन्दे है
जब सबका मालिक एक ही है
तो किस बात से ये सब दंगे है ||
 
बाबा ने मोह भंग किया
एक नया देके ज्ञान
दुनिया मे आया जब तू अकेला
 तो क्यों रहता है  परेशान  ||

अहंकार से भरा यह सर
बाबा ने झुकाया है
मैं -मैं हमेशा क्यों तू करता
जब मेरी शरण में आया है ||
 
मैंने (बाबा) तुझको दी जो शिक्षा
पालन तू न कर सका
इसलिये मैंने तुझको समझाने
इस जीवन में दंड दिया ||
 
क्या  तूने पाया क्या तूने खोया
ये सब तेरे कर्मो का ही खेल था
बोया था तब  पेड बाबुल का तूने
फिर आम का क्या कोई मेल था ||
 
मत कर चिंता कर दे अर्पण  
मै बन जाउगा तेरा दर्पण
दर्पण तुजेह सदा सच ही दिखायेगा
गलत रहो पे चलने से बचायगा.||
 
हर समय तू सब प्राणी मे
मुझको ही देख पायेगा
दया  धरम के मार्ग पर चल के
अन्तकाल मुझमे ही समा जायेगा ||
 
वेसे तो मैं सदा रहता हु सबके मन में
पर मेरी आवाज कोई न सुन पा रहा
लगता है जानबूझ कर ही
तू सचाई को झुटला रहा ||
 
इतनी भी न कोई दुरी तुझसे  
जो तू मुझको न सुन रहा
माया  के चक्कर में पड़कर
मेरे वचनों को तू भूल रहा ||
 
खोल ले तू मन  के दरवाजे
सब सुख तुजेह मिल जायेगा
मेरी शरण में तू बैठा है
बुरा न  तेरा होने पायेगा ||.
 
गुरु पर्व में गुरु को मै
कुछ  क्या दे सकता हु
ये जीवन दिया है उन्ही का
चरणों में उनके अर्पण करता हु ||
 
बाबा से करता हु प्राथना  
जोड़ के दोनों हाथ
सदा सभी के दुःख दूर करना
बनके  साईनाथ ||
 
बाबा की  वाणी का तुझको
लेना है अगर महा ज्ञान
श्री साई सत्चरित के पाठ को करके  
हरदिन कर उसका ध्यान ||

बाबा की लीलाओ का
करना है अगर अमृतपान
गुरु पर्व के शुभ अवसर पर
करलो श्री साई सत्चरित का ध्यान ||
 
श्री साई सत्चरित के पाठ से बंधू  
अंदर के चक्षु खुल जाते है
राग ,देवष .मद लोभ मोह सब
क्षण मे  दूर भाग जाते है  ||
 
श्री साई चरित के पाठ से तुझको
वो महा मन्त्र मिल जायेगा
जिसके जपते ही तू फिर न कभी
इस माया  मोह के जाल मे  फंसने पायेगा ||
 
अंत में सबको यह कहता हु
लगाओ जोर का नाद
श्रधा ओर सबुरी बीना
साईं न आयेंगे हाथ ||

 


ॐ साई नमोह नमः   जय जय साई नमोह नमः    सदगुरु साई नमोह नमः    शिर्डी साई नमोह नमः [/b]
 

                                                                                  


 
 
« Last Edit: July 10, 2011, 04:09:54 PM by Pratap Nr.Mishra »

 


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