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Author Topic: सभी साईं प्रेमिओ को गुरु पर्व की शुभकामनाये ओर हार्दिक बधाई  (Read 1906 times)

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Offline Pratap Nr.Mishra

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  • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
साई राम        साई राम        साई राम      साई राम      साई राम      साई राम
                       


सभी साईं प्रेमिओ को गुरु पर्व की शुभकामनाये ओर हार्दिक बधाई                                     


गुरु पर्व के शुभ अवसर की पर एक छोटी सी कविता  बाबा के श्री चरणों मे अर्पित करता हू .


मैं एक बहुत ही साधारण बाबा का सेवक हू .भाषा का मुझे ज्ञान नहीं है न ही छन्दों का मेल
 ही जनता हू बस अनायास ही मन मे ये विचार आया की इस वर्ष   बाबा  को  एक  कविता
 ही  भेट  सरूप  अर्पित करूँगा . पूर्व  ही  होने  वाली  गलतियो के लिए छमापार्थी हू .


गुरु पर्व के शुभ अवसर पर 
करके कोटि -कोटि प्रणाम
अब मै करने जा रहा हू
बाबा   की लीलाओं का गुणगान ||

श्रधा और सबुरी ही है
साई के दो महान मन्त्र
जिनके सेवन करने पर ही
रहता जीवन मे आनंद  ||

श्रधा ओर सबुरी को हमने
अपने मन मंदिर में डाल लिया
अब तो केवल इस जीवन में 
साई का ही दमन थाम लिया ||

बाबा से विनती है मेरी
गलती मेरी माफ़ करो
सदा मेरे  दिल में रहकर
मेरा भी कल्याण करो  ||

सोते जागते हर पल केवल
साईं का ही ध्यान रहे
उनकी  शिक्षाओ को फेलाके
औरो  का भी  कल्याण करे.  ||

साई   मेरे बहुत दयालु
सबकी विनती सुनते है
भक्तो को सुख देने खातिर
कितना दुःख खुद सहते है ||
 
बाबा मै हू मूर्ख अज्ञानी
कैसे सुनाऊ तुम्हारी  कहानी
कृपा तुम्हारी  हो जाये मुझपर
मूर्ख से मै भी बन जाऊ ज्ञानी ||
 
कागज कलम दावत ले
बेठा हू  तेरे घर के द्वारे 
जल्दी से अपनी कृपा के कुछ 
फूल बिखेर दो मेरे आगे ||

ग्यारह वचनों को देकर
तुमने  किया कल्याण है
हमसब ठहरे मूर्ख  अज्ञानी
समझ न पाये ये तेरी दया का दान है ||
 
गरीबो  का  बन के  मसीहा 
तुमने   दिया  ये  सन्देश  है
आपस  मे  क्यों  बैर  करो  तुम
जब  सबका  का  मालिक  एक  है  ||
 
रहता तुम्हारी  हरदम जुबा पे
अल्लाह मालिक का ही नाम है
हिन्दू मुस्लिम सब है भाई
येही तेरा फरमान है ||
 
तुम्हारी जुबा पे हर वक्त  रहता
केवल एक ही  नाम रे 
अल्लाह मालिक भला करेंगे
हर बन्दे का काम रे ||

श्रधा और सबुरी से करलो
तुम मेरा ही ध्यान रे
मैं तुमको दे ही  दुगा
मुक्ति का वरदान रे ||
 
मोह माया के जान मे फंसके
न किसी से कर  तू छल
आज तू जो बोयेगा कल वही ही  काटेगा
अरे नादान अब तू जा सम्भल ||
 
पानी से तुमने दीप जलाके
सबको कर दिया  हैरान
तेरी लीला को कैसे कोई जाने
हम जैसा मूर्ख  पापी और सैतान || 

श्यामा को भयंकर साँप ने कटा
बाबा के दर को वो भागा
तुमने अपनी वाणी से ही
साँप के विष को निकाल  डाला ||
 
बबर शेर को भी  तुमने
अपने पास बुला डाला
देकर अपना आशीर्वाद उसे   
इस जीवन से मुक्त कर डाला ||
 
माँ के प्यार के खातिर
ऐसा तुमने महान काम किया
तात्या को जीवनदान देकर
खुद मृत्यु को ग्रहण किया ||
 
कभी किसी ने न देखा होगा
न ही किसी ने ये काम किया
माँ को वचन निभाने के खातिर
अपना जीवन दान दिया ||
 

अहंकार के वश मे होकर
नानाजी कर बेठे नादानी
बाबा ने उनके दंभ को तोडा
बताके संस्कृत को मुंह जुबानी ||

मस्जिद मे रहकर बाबा ने
गीता का उपदेश दिया
और मंदिर मे रहकर भी
कुरान का पाठ किया ||
 
न मैं हिन्दू न मैं मुस्लिम
हम सब एक ही मालिक के बन्दे है
जब सबका मालिक एक ही है
तो किस बात से ये सब दंगे है ||
 
बाबा ने मोह भंग किया
एक नया देके ज्ञान
दुनिया मे आया जब तू अकेला
 तो क्यों रहता है  परेशान  ||

अहंकार से भरा यह सर
बाबा ने झुकाया है
मैं -मैं हमेशा क्यों तू करता
जब मेरी शरण में आया है ||
 
मैंने (बाबा) तुझको दी जो शिक्षा
पालन तू न कर सका
इसलिये मैंने तुझको समझाने
इस जीवन में दंड दिया ||
 
क्या  तूने पाया क्या तूने खोया
ये सब तेरे कर्मो का ही खेल था
बोया था तब  पेड बाबुल का तूने
फिर आम का क्या कोई मेल था ||
 
मत कर चिंता कर दे अर्पण 
मै बन जाउगा तेरा दर्पण
दर्पण तुजेह सदा सच ही दिखायेगा
गलत रहो पे चलने से बचायगा.||
 
हर समय तू सब प्राणी मे
मुझको ही देख पायेगा
दया  धरम के मार्ग पर चल के
अन्तकाल मुझमे ही समा जायेगा ||
 
वेसे तो मैं सदा रहता हु सबके मन में
पर मेरी आवाज कोई न सुन पा रहा
लगता है जानबूझ कर ही
तू सचाई को झुटला रहा ||
 
इतनी भी न कोई दुरी तुझसे   
जो तू मुझको न सुन रहा
माया  के चक्कर में पड़कर
मेरे वचनों को तू भूल रहा ||
 
खोल ले तू मन  के दरवाजे
सब सुख तुजेह मिल जायेगा
मेरी शरण में तू बैठा है
बुरा न  तेरा होने पायेगा ||.
 
गुरु पर्व में गुरु को मै
कुछ  क्या दे सकता हु
ये जीवन दिया है उन्ही का
चरणों में उनके अर्पण करता हु ||
 
बाबा से करता हु प्राथना 
जोड़ के दोनों हाथ
सदा सभी के दुःख दूर करना
बनके  साईनाथ ||
 
बाबा की  वाणी का तुझको
लेना है अगर महा ज्ञान
श्री साई सत्चरित के पाठ को करके 
हरदिन कर उसका ध्यान ||

बाबा की लीलाओ का
करना है अगर अमृतपान
गुरु पर्व के शुभ अवसर पर
करलो श्री साई सत्चरित का ध्यान ||
 
श्री साई सत्चरित के पाठ से बंधू 
अंदर के चक्षु खुल जाते है
राग ,देवष .मद लोभ मोह सब
क्षण मे  दूर भाग जाते है  ||
 
श्री साई चरित के पाठ से तुझको
वो महा मन्त्र मिल जायेगा
जिसके जपते ही तू फिर न कभी
इस माया  मोह के जाल मे  फंसने पायेगा ||
 
अंत में सबको यह कहता हु
लगाओ जोर का नाद
श्रधा ओर सबुरी बीना
साईं न आयेंगे हाथ ||



ॐ साई नमोह नमः   जय जय साई नमोह नमः    सदगुरु साई नमोह नमः    शिर्डी साई नमोह नमः

Offline arti sehgal

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  • sai ke charno me koti koti pranam
jai sairam
very nice  poem . baba is always with you .
jai sairam
sabke dil me baste hi ushe sai sai kehte hai
jai sainath

Offline tanu_12

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  • "I AM HERE IN YOUR HEART"
OM SAI RAM

PRATAP BHAI

APKO BHI GURU PARV KI HARDIK BADHAYI !

BAHUT ACHI KAVITA LIKHI HAI.... JO SABD HRIDAYE SE NIKALE WO BABA JI KI HI AWAJ HAI.... I FELT SO

THANK U :)

MAY SAI MAA BLESS HELP AND GUIDE U

JAI SAI RAM
Man Ke Gehre Andhiyare Me "Sai" Naam Diye Jaisa

Give Light, and the darkness will disappear of itself...

Offline PiyaSoni

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Omsairam

Pratap ji

Guru Parv ki apko bhi bahut badhayi , Sach mein bahut he sundar kavita likhi hai apne iss parv ke liye ,apke post padh kar sach mein bahut acha lagta hai ....

Pls keep it up sharing with yu

Baba Bless yu always

Sai Samarth..........Shraddha Saburi
"नानक नाम चढदी कला, तेरे पहाणे सर्वद दा भला "

 


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