जय सांई राम।।।
एक ऋषि भोजन करने बैठे थे कि एक याचक ने आकर भोजन की मांग की। खाना पर्याप्त न होने के कारण ऋषि ने साफ मना कर दिया। याचक बोला, 'भोजन न कराएं, पर यह तो बताएं कि आप किस देवता की उपासना करते हैं?' ऋषि बोले, 'मैं प्राण की उपासना करता हूं।' याचक ने पूछा, 'यह प्राण क्या है और आप उसकी कैसे उपासना करते हैं?' ऋषि बोले, 'प्राण तो सर्वव्यापक है। वह सब में विराजमान है। हम इसी इष्टदेव के लिए सब कुछ करते हैं।'
याचक बोला, 'आपके कथनानुसार तो आपका इष्टदेव मेरे अंदर भी विद्यमान है और वही आज आपके समक्ष आहार-याचक बनकर खड़ा है। फिर आप अपने उपास्य की अवमानना क्यों कर रहे हैं?' ऋषि को अपनी भूल का एहसास हुआ। वे बोले, 'आओ, हम मिलकर भोजन करें। तुम्हीं मेरे इष्टदेव हो।'
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
ॐ सांई राम।।।
तेजल मैं यह जान गया हूँ कि तुम एक बहुत होनहार बच्ची हो। मैं चाहूँगा कि तुम जो लिखती हो उस पर अमल करना भी सदा ध्यान में रखना। तभी तुम्हारा लिखना फलित होगा। बड़ों की तरह कापी पेस्ट करने तक ही सीमित मत रहना! समझो, जानो और अमल करना सीखो फिर यहाँ पोस्ट करना। नही तो उन बड़ों और तुममे कोई फर्क नही रह जायेगा जो समय की परीक्षा के वक्त अपनी समस्याओं के सामने अपने घुटने टेक देते है।
सलाम है उन माता पिता को जिनकी तुम सन्तान हो। मै चाहूंगा कि मेरे दूसरे और भी भाई बहन अपने बच्चों को यहां आने के लिये प्रेरित करें।
अपना साई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
JAI SAI RAM!!!
In true love the smallest distance is too great, and the greatest distance can be bridged.
OM SAI RAM!!!
जय सांई राम
आशा और निराशा... यह दो शब्द किसी भी इंसान की जिंदगी में ताउम्र साथ नहीं छोड़ते हैं। कभी आप आशावान होते हैं तो कभी आप पर निराशा की काली घटा छा जाती है। हर व्यक्ति अपने जीवन में सफल होना चाहता है, आपमें से न जाने कितने ऐसे होंगे जो सफलता प्राप्त करने के लिये जी-तोड़ मेहनत कर रहे होंगे... आप अपनी असफलता और निराशा को भुलाकर अपने अन्दर आसमां छूने की ख्वाहिश रखते हैं... तो स्वागत है छू लो आसमां को ...
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
ॐ सांई राम।।।
JAI SAI RAM!!!
"Never Believe what the lines of your hand predict about your future, because people who dont have hands also have a future...Believe in yourself"
OM SAI RAM!!!
JAI SAI RAM!!!
When a simpleton abused him, Buddha listened to him in silence, but when the man had finished, asked him, "Son, if a man declined to accept a present offered to him, to whom would it belong?" The man answered, "To him who offered it". "My son", Buddha said, " I decline to accept your abuse. Keep it for yourself:.
OM SAI RAM!!!