ओम साईं राम 
मां
एक ऐसा शब्द 
जो सबसे पहले बच्चे की जुबां पर होता है 
एक ऐसा प्राणी 
जिसके बच्चे को चोट लगती है 
तो उसका दिल रोता है 
एक ऐसा रिश्ता 
जो जीव को इस दुनिया से जोडता है 
चाहे और सब रिश्ते साथ छोडें
ये रिश्ता नहीं छोडता है 
एक एहसास 
जो दुनिया के हर बच्चे को जताता है 
कि दुनिया में वो खास है,
उसकी अहमियत बताता है 
एक बंधन 
जो जब जुडता है
तो प्यार की सारी सीमाएं तोड देता है 
जो बच्चे की हर परेशानी 
खुद पर ओढ लेता है 
एक नाता 
जो सीधा है,सच्चा है,अटूट है, अभिन्न है 
जो ईशवर के ज़मीं पर होने की निशानी है,चिन्ह है 
एक विश्वास 
जो अडिग है, पूरा है, असीम है, गहरा है
ज़िन्दगी की धूप पर उसके आंचल का पहरा है
एक जज़्बा
जो निर्मल है, निस्वार्थ है,पाक है,पावन है 
जिसके होने से ये दुनिया सुन्दर है, मनभावन है 
जय साईं राम