जय सांई राम।।।
वास्तव में जो बाहर दिखता है वह संसार नहीं है। मन की मान्यता का नाम ही संसार है। यदि मनुष्य अपना नाता बाबा से जोड़ ले तो उसका जीवन सुखदायी हो जाता है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार आप जब तक सब कुछ भूलकर सत्संग या पूजा पाठ में समय लगाते हैं उस समय तक आपके सारे दुख समाप्त हो जाते हैं और जैसे ही आप पूजा या सत्संग से उठते हैं, फिर उसी स्थिति में लौट आते हैं। इसलिए यदि आप बाबा सांई से हमेशा के लिए नाता जोड़ लेंगे तो स्थायी रूप से आपके दुख समाप्त हो जाएंगे।
ज्ञानी भक्त प्रहलाद को ईश्वर के अन्य भक्तो से अलग श्रेणी प्रदान करते हुए जब ईश्वर ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर कुछ मांगने को कहा तो उन्होंने कुछ भी मांगने से पहले तो मना कर दिया पर प्रभु के अत्यधिक जोर देने पर प्रहलाद ने कहा कि प्रभु आप यदि मुझे कुछ देना ही चाहते हैं तो मुझे ऐसी इच्छा दें जिससे कि मेरे हृदय में कुछ मांगने की इच्छा ही नहीं हो। भक्त जिस भाव से प्रभु का भजन करता है वह उन्हें उसी भाव से उनकी सेवा करते हैं।
बाबा का भी यही कहना था कि मैं अपने ज्ञानी भक्तों के चरण की धूली शरीर पर पड़ने से पवित्र हो जाता हूं। बाबा कहते थे कि जब उनका भक्त सर्वस्व छोड़कर सिर्फ उनके प्रति ही समर्पित हो जाता है तो वे सदा के लिये उनके हो जाते हैं। "फिर मेरे भक्तों को रोटी, कपड़ा और मकान की फिक्र नही करनी पड़ती, मै हर धड़ी उनकी जरूरतों का इन्तज़ाम करता रहता हूँ क्योंकि वो मेरी जिम्मेदारी हो जाती है"।
बोलो सच्चिदानंद सदगुरू सांईनाथ महाराज की जय। जयकारा सच्ची सांई माँ का।
ॐ सांई राम।।।