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Author Topic: चाणक्य निति  (Read 13253 times)

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Offline Pratap Nr.Mishra

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  • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
Re: चाणक्य निति
« Reply #15 on: April 02, 2013, 12:33:02 PM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    उस गौ से क्या लाभ जो न तो दूध देती हो और न गर्भधारण करती हो ? ठीक इसी प्रकार उस पुत्र से क्या लाभ जो न तो विद्वान हो और न ही ईश्वरभक्त हो |

    ॐ साईं राम

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #16 on: April 02, 2013, 12:34:31 PM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    जैसे मछली दर्शन से,कछुवी ध्यान से, पक्षिणी स्पर्श से अपने-अपने बच्चों का सदा पालन-पोषण करती हैं ,ऐसे ही श्रेष्ठ पुरुष की संगति मनुष्यों का पालन-पोषण करती है |

    ॐ साईं राम

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #17 on: April 03, 2013, 01:25:05 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए ; विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं.

    किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना.

    ॐ साईं राम

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #18 on: April 03, 2013, 01:36:08 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    सारस की तरह एक बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए और अपने उद्देश्य को स्थान की जानकारी, समय और योग्यता के अनुसार प्राप्त करना चाहिए.

    जो सुख-शांति व्यक्ति  को आध्यात्मिक शान्ति के अमृत से संतुष्ट होने पे मिलती है वो लालची लोगों को बेचैनी से इधर-उधर घूमने से नहीं मिलती.

    वो जिसका ज्ञान बस किताबों तक सीमित है और जिसका धन दूसरों के कब्ज़े मैं है, वो ज़रुरत पड़ने पर ना अपना ज्ञान प्रयोग कर सकता है ना धन.

    एक अनपढ़ व्यक्ति का जीवन उसी तरह से बेकार है जैसे की कुत्ते की पूँछ , जो ना उसके पीछे का भाग ढकती  है ना ही उसे कीड़े-मकौडों के डंक से बचाती है.


    ॐ साईं राम

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #19 on: April 03, 2013, 06:59:20 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    व्यक्ति नीचे दी हुए ३ चीजो से संतुष्ट रहे...

    १. खुदकी पत्नी २. वह भोजन जो विधाता ने प्रदान किया. ३. उतना धन जितना इमानदारी से मिल गया.

    लेकिन व्यक्ति को नीचे दी हुई ३ चीजो से संतुष्ट नहीं होना चाहिए...

    १. अभ्यास २. भगवान् का नाम स्मरण. ३. परोपकार

    इन दोनों के मध्य से कभी ना जाए..

    १. दो ब्राह्मण.
    २. ब्राह्मण और उसके यज्ञ में जलने वाली अग्नि.
    ३. पति पत्नी.
    ४. स्वामी और उसका चाकर.
    ५. हल और बैल.

    ॐ साईं राम

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #20 on: April 04, 2013, 01:26:18 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    हंस वहा रहते हैं जहा पानी होता है , पानी सूखने पे वे उस जगह को छोड़ देते हैं , आप किसी आदमी को ऐसा व्यवहार न करने दे की वह  आपके पास आता जाता  रहे ।

    ॐ साईं राम

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #21 on: April 04, 2013, 01:32:03 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    जिस प्रकार एक फूल में खुशबू  है , तील में तेल है , लकड़ी में अग्नि है , दूध में घी है , गन्ने में गुड है , उसी प्रकार आप अगर ठीक से देखते हैं तो हर व्यक्ति में परमात्मा है ।

    ॐ साईं राम

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    Re: चाणक्य निति
    « Reply #22 on: April 04, 2013, 09:22:09 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    मुर्ख का सदा ही त्याग कर देना चाहिए क्योंकि वह दो पैरों वाले पशु जैसा होता है तथा अपने बेन्ध देने वाले वाक्यों से उसी प्रकार ह्रदय को कष्ट पहुंचाता रहता है जैसे दिखाई न देने वाला कांटा पाँव में चुभकर पीड़ा पहुंचाता रहता है|

    ॐ साईं नाथाय नमः
    मेरे दू:ख के दिनो में वो ही-मेरे काम आते हैं, जब कोई नहीं आता तो मैरे साईं आते हैं..

    Offline Pratap Nr.Mishra

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #23 on: April 04, 2013, 11:07:37 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    सिंह से एक गुण, बगुले से एक गुण, मुर्गे से चार गुण, कौए से पाँच गुण,कुत्ते से छ गुण और गधे से तीन गुण ग्रहण करना चाहिए

    मनुष्य कितना ही बडा काम क्यों न करना चाहता हो, उसे चाहिए कि सारी शक्ति लगा कर वह काम करे । यह गुण सिंह से ले |

    समझदार मनुष्य को चाहिए कि वह बगुले की तरह चारों ओर से इन्द्रियों को समेटकर और देश काल के अनुसार अपना बल देख कर सब कार्य साधे |

    ठीक समय से जागना, लडना, बन्धुओंके हिस्से का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लेना, ये चार बातें मुर्गे से सीखे |                     
    एकान्त में स्त्री का संग करना , समय-समय पर कुछ संग्रह करते रहना, हमेशा चौकस रहना और किसी पर विश्वास न करना, ढीठ रहना, ये पाँच गुण कौए से सीखना चाहिए |

    अधिक भूख रहते भी थोडे में सन्तुष्ट रहना, सोते समय होश ठीक रखना, हल्की नींद सोना, स्वामिभक्ति और बहादुरी-- ये गुण कुत्ते से सीखना चाहिये |

    भरपूर थकावट रहनेपर भी बोझा ढोना, सर्दी गर्मी की परवाह न करना, सदा सन्तोष रखकर जीवनयापन करना, ये तीन गुण गधा से सीखना चाहिए |

    ॐ साईं राम

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #24 on: April 05, 2013, 03:49:14 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    मूर्खों के साथ मित्रता नहीं करनी चाहिए उन्हें त्याग देना ही उचित है , क्योकि प्रत्यक्ष रूप से वो दो पैरों वाला पशु के सामान है, जो अपने धारदार वचनों से वैसे ही ह्रदय को छलनी करता है जैसे अदृश्य कांटा शरीर में घुसकर करता है ।

    ॐ साईं राम


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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #25 on: April 05, 2013, 09:47:06 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    वह विद्वान जिसने असंख्य किताबो का अध्ययन बिना सदगुरु के आशीर्वाद से कर लिया वह विद्वानों की सभा में एक सच्चे विद्वान के रूप में नहीं चमकता है. उसी प्रकार जिस प्रकार एक नाजायज औलाद को दुनिया में कोई प्रतिष्ठा हासिल नहीं होती.

    ॐ साईं राम

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    Re: चाणक्य निति
    « Reply #26 on: April 06, 2013, 01:10:02 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    यदि विष मे से भी हो सके तो अमृत निकाल ले.
    यदि सोना गन्दगी मे गिर हो तो उसे उठाये और धोयें और अपनाये.
    यदि कोई निचले कुल मे जनमने वाला भी आपको सर्वोत्तम ज्ञान देता है तो उसे अपनाये.
    उसी तरह यदि कोई बदनाम घर की लड़की जो महान गुणो से संपन्न है यदि आपको सीख देती है तो गहण करे.

    ॐ साईं राम

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    Re: चाणक्य निति
    « Reply #27 on: April 06, 2013, 11:20:24 PM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    ऐसा एक भी दिन ना जाये जब आपने एक श्लोक , आधा श्लोक, चौथाई श्लोक, या केवल श्लोक का एक अक्षर नहीं सिखा , या आपने दान, अभ्यास या कोई पवित्र कार्य नहीं किया .

    ॐ साईं राम

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #28 on: April 08, 2013, 12:14:24 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    जिस व्यक्ति के पास धर्म और दया नहीं है उसे दूर करो. जिस गुरु के पास अध्यात्मिक ज्ञान नहीं है उसे दूर करो. जिस पत्नी के चेहरे पर हरदम घृणा है उसे दूर करो. जिन रिश्तेदारों के पास प्रेम नहीं उन्हें दूर करो.

    ॐ साईं राम

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    Re: चाणक्य निति
    « Reply #29 on: April 11, 2013, 10:09:45 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    रूप और यौवन से सम्पन्न तथा कुलीन परिवार में जन्मा लेने पर भी विद्या हीन पुरुष पलाश के फूल के समान है जो सुन्दर तो है लेकिन खुशबु रहित है.

    ॐ साईं राम

     


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