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चाणक्य निति
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Topic: चाणक्य निति (Read 13269 times)
0 Members and 1 Guest are viewing this topic.
Pratap Nr.Mishra
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राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
Re: चाणक्य निति
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Reply #30 on:
April 11, 2013, 10:10:34 AM »
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ॐ साईं नाथाय नमः
आत्याधिक सुन्दरता के कारन सीताहरण हुआ, अत्यंत घमंड के कारन रावन का अंत हुआ, अत्यधिक दान देने के कारन रजा बाली को बंधन में बंधना पड़ा, अतः सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए.
ॐ साईं राम
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Pratap Nr.Mishra
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राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
Re: चाणक्य निति
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Reply #31 on:
April 12, 2013, 11:58:21 AM »
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ॐ साईं नाथाय नमः
जो जन्म से अंध है वो देख नहीं सकते. उसी तरह जो वासना के अधीन है वो भी देख नहीं सकते. अहंकारी व्यक्ति को कभी ऐसा नहीं लगता की वह कुछ बुरा कर रहा है. और जो पैसे के पीछे पड़े है उनको उनके कर्मो में कोई पाप दिखाई नहीं देता.
ॐ साईं राम
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Pratap Nr.Mishra
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राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
Re: चाणक्य निति
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Reply #32 on:
April 12, 2013, 11:59:13 AM »
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ॐ साईं नाथाय नमः
एक लालची आदमी को भेट वास्तु दे कर संतुष्ट करे. एक कठोर आदमी को हाथ जोड़कर संतुष्ट करे. एक मुर्ख को सम्मान देकर संतुष्ट करे. एक विद्वान् आदमी को सच बोलकर संतुष्ट करे.
ॐ साईं राम
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Pratap Nr.Mishra
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Re: चाणक्य निति
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Reply #33 on:
April 13, 2013, 01:19:18 PM »
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ॐ साईं नाथाय नमः
लोभ से बड़ा दुर्गुण क्या हो सकता है. पर निंदा से बड़ा पाप क्या है. जो सत्य में प्रस्थापित है उसे तप करने की क्या जरूरत है. जिसका ह्रदय शुद्ध है उसे तीर्थ यात्रा की क्या जरूरत है. यदि स्वभाव अच्छा है तो और किस गुण की जरूरत है. यदि कीर्ति है तो अलंकार की क्या जरुरत है. यदि व्यवहार ज्ञान है तो दौलत की क्या जरुरत है. और यदि अपमान हुआ है तो मृत्यु से भयंकर नहीं है क्या.
ॐ साईं राम
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Pratap Nr.Mishra
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राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
Re: चाणक्य निति
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Reply #34 on:
April 13, 2013, 01:20:19 PM »
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ॐ साईं नाथाय नमः
एक हाथ की शोभा गहनों से नहीं दान देने से है. चन्दन का लेप लगाने से नहीं जल से नहाने से निर्मलता आती है. एक व्यक्ति भोजन खिलाने से नहीं सम्मान देने से संतुष्ट होता है. मुक्ति खुद को सजाने से नहीं होती, अध्यात्मिक ज्ञान को जगाने से होती है.
ॐ साईं राम
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SaiSonu
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Re: चाणक्य निति
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Reply #35 on:
June 19, 2013, 09:04:48 AM »
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ॐ साईं नाथाय नमः
ॐ साईं नाथाय नमः
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मेरे दू:ख के दिनो में वो ही-मेरे काम आते हैं, जब कोई नहीं आता तो मैरे साईं आते हैं..
SaiSonu
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Re: चाणक्य निति
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Reply #36 on:
June 21, 2013, 08:55:50 AM »
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ॐ साईं नाथाय नमः
बुद्धिमान व्यक्ति को श्रेष्ठ कुल की कन्या से ही विवाह करना चाहिए, उसे सौन्दर्य के पीछे नहीं भागना चाहिए | कुलीन का रंग-रूप भले ही सामान्य हो, किन्तु व्यक्ति को अपना संबंध कुलीन घराने की कन्या से ही करना चाहिए | इसके विपरीत नीच कुल की सुन्दर कन्या से केवल उसका रूप देखकर विवाह करना उचित नहीं है | -- आचार्य चाणक्य
ॐ साईं नाथाय नमः
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मेरे दू:ख के दिनो में वो ही-मेरे काम आते हैं, जब कोई नहीं आता तो मैरे साईं आते हैं..
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