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Author Topic: चाणक्य निति  (Read 13254 times)

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Offline Pratap Nr.Mishra

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  • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
चाणक्य निति
« on: March 26, 2013, 10:15:30 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    कोई काम करने के पहले स्वयं से तीन प्रश्न कीजिये ;

    १. मै ये क्यों कर रहा हूँ ?

    २. इसके परिणाम क्या हो सकते हैं ?

    ३. क्या मै सफल होऊंगा ?

    और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढ़ें

    ॐ साईं राम

    Offline Pratap Nr.Mishra

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #1 on: March 26, 2013, 10:30:32 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    अपने बच्चे को पहले पाँच साल तक खूब प्यार करो,
    छःसाल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन
                  और संस्कार दो,
    सोलह साल से उनके साथ मित्रता करो,
    आपकी संतान ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है |

    ॐ साईं राम

    Offline SaiSonu

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    Re: चाणक्य निति
    « Reply #2 on: March 26, 2013, 11:20:02 PM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः




    कोयल की सुन्दरता उसका स्वर है, स्त्री की सुन्दरता उसका पतिव्रत धर्म है| कुरूप की सुन्दरता विद्या है और तपस्वी की सुन्दरता क्षमाशीलता है|



    ॐ साईं नाथाय नमः


    मेरे दू:ख के दिनो में वो ही-मेरे काम आते हैं, जब कोई नहीं आता तो मैरे साईं आते हैं..

    Offline SaiSonu

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    Re: चाणक्य निति
    « Reply #3 on: March 28, 2013, 09:11:35 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    "वह जो अपने परिवार से अत्यधिक जुड़ा हुआ है , उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है,क्योंकि सभी दुखों कि जड़ लगाव है || इसलिए खुश रहने कि लिए अत्यधिक लगाव छोड़ देना चाहिए ||" -चाणक्य

    ॐ साईं नाथाय नमः
    मेरे दू:ख के दिनो में वो ही-मेरे काम आते हैं, जब कोई नहीं आता तो मैरे साईं आते हैं..

    Offline Pratap Nr.Mishra

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #4 on: March 28, 2013, 10:20:51 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    संतुलित दिमाग से जैसी कोई सादगी नहीं है, संतोष जैसा कोई सुख नहीं है, लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं है,और दया जैसा कोई पुण्य नहीं है.

    ॐ साईं राम

    Offline Pratap Nr.Mishra

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #5 on: March 28, 2013, 10:28:20 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः


            यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम्.

            लोचनाभ्य विहीनस्य दर्पणः किम् करिष्यति.


    चाणक्य के वचन हैं कि  जिसके पास बुद्धि नहीं है ,कोई भी शास्त्र उसका कोई भला नहीं कर सकते हैं. नेत्रहीन  व्यक्ति  का दर्पण क्या कर सकता है?

    बुद्धि किसी भी प्राणी को दिया परमात्मा का सबसे बड़ा वरदान है. इस बुद्धि  के कारण ही मनुष्य अन्य जीवों से श्रेष्ठ है और बुद्धि ही परमात्मा को पाने का एक मात्र अवलम्ब है.

    ॐ साईं राम

    Offline Pratap Nr.Mishra

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #6 on: March 29, 2013, 09:19:00 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    दूसरों की गलतियों से सीखो अपने ही उपर प्रयोग करके सीखने को  तुम्हारी आयु कम पड़ेगी |

    ॐ साईं राम

    Offline SaiSonu

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    Re: चाणक्य निति
    « Reply #7 on: March 29, 2013, 09:56:11 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः




    ॐ साईं नाथाय नमः
    मेरे दू:ख के दिनो में वो ही-मेरे काम आते हैं, जब कोई नहीं आता तो मैरे साईं आते हैं..

    Offline Pratap Nr.Mishra

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #8 on: March 30, 2013, 02:14:36 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को अगर आग लगा दी जाये तो वह पूरा जंगल जला देता है, उसी प्रकार एक पापी पुत्र पुरे परिवार को बर्वाद कर देता है.

    ॐ साईं राम

    Offline Pratap Nr.Mishra

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: चाणक्य निति
    « Reply #9 on: March 30, 2013, 10:09:55 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    चाणक्य के आदर्श और व्यावहारिक गुणों से संबंधित कुछ खास बातें :-

    * जो लोग हमेशा दूसरों की बुराई करके खुश होते हो। ऐसे लोगों से दूर ही रहें। क्योंकि वे कभी भी आपके साथ धोखा कर सकते है। जो किसी और का ना हुआ वो भला आपका क्या होगा।

    * जीवन में पुरानी बातों को भुला देना ही उचित होता है। अत: अपनी गलत बातों को भुलाकर वर्तमान को सुधारते हुए जीना चाहिए।

    * जीवन काल में बहुत जरूरी है कि अपने ऊपर आने वाले संकट के लिए कुछ धन हमेशा बचाकर रखें। बुरे समय में यही आपका रक्षाकवच बनेगा।

    * किसी भी व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा ईमानदार नहीं होना चाहिए। बहुत ज्यादा ईमानदार लोगों को ही सबसे ज्यादा कष्ट उठाने पड़ते हैं।

    * अगर कोई व्यक्ति कमजोर है तब भी उसे हर समय अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।


    ॐ साईं राम



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    Re: चाणक्य निति
    « Reply #10 on: April 01, 2013, 09:05:09 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    जो मुख पर तो चिकनी-चुपड़ी बाते बनाये और पीठ पीछे कार्य को बिगाड़ दे,एसे मित्र को त्याग देना चाहिए ,क्योकि वह तो उस घड़े के समान है जिसके उपर तो दूध लगा हो और भीतर विष भरा हो |

    ॐ साईं राम

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    Re: चाणक्य निति
    « Reply #11 on: April 01, 2013, 10:08:25 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    पत्नी का विरह,अपने जनों से प्राप्त अनादर,बचा हुआ ऋण ,दुष्ट रजा की सेवा,दरिद्रता और मूर्खो की सभा ----ये सब अग्नि के विना ही शारीर को जलाते  हैं |

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    Re: चाणक्य निति
    « Reply #12 on: April 01, 2013, 10:15:42 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    दुर्जन और सर्प - इन दोनों में सर्प अच्छा है,दुर्जन नहीं,क्योकि सर्प काल आने पर ही कटता है परन्तु दुर्जन तो पद-पद पर हानि पहुंचता है |

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    Re: चाणक्य निति
    « Reply #13 on: April 01, 2013, 10:24:04 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    मुर्ख से दूर रहना ,उसे त्याग देना ही उचित है क्योकि वह प्रत्यक्ष रूप से दो पैरोंवाला पशु है | वह वचनरुपी वाणों से मनुष्य को ऐसे ही बींधता है , जैसे अदृष्ट काँटा शारीर में घुसकर शारीर को बींधता रहता है |

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    Re: चाणक्य निति
    « Reply #14 on: April 02, 2013, 05:49:52 AM »
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  • ॐ साईं नाथाय नमः

    मनुष्य को चाहिए कि मन के द्वारा विचारे हुये कार्य को वाणी द्वारा प्रगट न करे  अपितु मनन पूर्वक उसकी रक्षा करते हुए चुपके  चुपके उसको कार्य में परिणत कर दे |

    ॐ साईं राम

     


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