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Sai Literature => Sai Thoughts => Topic started by: Pratap Nr.Mishra on March 26, 2013, 10:15:30 AM

Title: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on March 26, 2013, 10:15:30 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

कोई काम करने के पहले स्वयं से तीन प्रश्न कीजिये ;

१. मै ये क्यों कर रहा हूँ ?

२. इसके परिणाम क्या हो सकते हैं ?

३. क्या मै सफल होऊंगा ?

और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढ़ें

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on March 26, 2013, 10:30:32 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

अपने बच्चे को पहले पाँच साल तक खूब प्यार करो,
छःसाल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन
              और संस्कार दो,
सोलह साल से उनके साथ मित्रता करो,
आपकी संतान ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है |

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: SaiSonu on March 26, 2013, 11:20:02 PM
ॐ साईं नाथाय नमः




कोयल की सुन्दरता उसका स्वर है, स्त्री की सुन्दरता उसका पतिव्रत धर्म है| कुरूप की सुन्दरता विद्या है और तपस्वी की सुन्दरता क्षमाशीलता है|



ॐ साईं नाथाय नमः


Title: Re: चाणक्य निति
Post by: SaiSonu on March 28, 2013, 09:11:35 AM
ॐ साईं नाथाय नमः

"वह जो अपने परिवार से अत्यधिक जुड़ा हुआ है , उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है,क्योंकि सभी दुखों कि जड़ लगाव है || इसलिए खुश रहने कि लिए अत्यधिक लगाव छोड़ देना चाहिए ||" -चाणक्य

ॐ साईं नाथाय नमः
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on March 28, 2013, 10:20:51 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

संतुलित दिमाग से जैसी कोई सादगी नहीं है, संतोष जैसा कोई सुख नहीं है, लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं है,और दया जैसा कोई पुण्य नहीं है.

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on March 28, 2013, 10:28:20 AM

ॐ साईं नाथाय नमः


        यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम्.

        लोचनाभ्य विहीनस्य दर्पणः किम् करिष्यति.


चाणक्य के वचन हैं कि  जिसके पास बुद्धि नहीं है ,कोई भी शास्त्र उसका कोई भला नहीं कर सकते हैं. नेत्रहीन  व्यक्ति  का दर्पण क्या कर सकता है?

बुद्धि किसी भी प्राणी को दिया परमात्मा का सबसे बड़ा वरदान है. इस बुद्धि  के कारण ही मनुष्य अन्य जीवों से श्रेष्ठ है और बुद्धि ही परमात्मा को पाने का एक मात्र अवलम्ब है.

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on March 29, 2013, 09:19:00 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

दूसरों की गलतियों से सीखो अपने ही उपर प्रयोग करके सीखने को  तुम्हारी आयु कम पड़ेगी |

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: SaiSonu on March 29, 2013, 09:56:11 AM
ॐ साईं नाथाय नमः


(http://sphotos-e.ak.fbcdn.net/hphotos-ak-ash3/c0.0.800.382/p843x403/8102_441227625959566_1177446523_n.jpg)

ॐ साईं नाथाय नमः
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on March 30, 2013, 02:14:36 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को अगर आग लगा दी जाये तो वह पूरा जंगल जला देता है, उसी प्रकार एक पापी पुत्र पुरे परिवार को बर्वाद कर देता है.

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on March 30, 2013, 10:09:55 AM


ॐ साईं नाथाय नमः

चाणक्य के आदर्श और व्यावहारिक गुणों से संबंधित कुछ खास बातें :-

* जो लोग हमेशा दूसरों की बुराई करके खुश होते हो। ऐसे लोगों से दूर ही रहें। क्योंकि वे कभी भी आपके साथ धोखा कर सकते है। जो किसी और का ना हुआ वो भला आपका क्या होगा।

* जीवन में पुरानी बातों को भुला देना ही उचित होता है। अत: अपनी गलत बातों को भुलाकर वर्तमान को सुधारते हुए जीना चाहिए।

* जीवन काल में बहुत जरूरी है कि अपने ऊपर आने वाले संकट के लिए कुछ धन हमेशा बचाकर रखें। बुरे समय में यही आपका रक्षाकवच बनेगा।

* किसी भी व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा ईमानदार नहीं होना चाहिए। बहुत ज्यादा ईमानदार लोगों को ही सबसे ज्यादा कष्ट उठाने पड़ते हैं।

* अगर कोई व्यक्ति कमजोर है तब भी उसे हर समय अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।


ॐ साईं राम


Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 01, 2013, 09:05:09 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

जो मुख पर तो चिकनी-चुपड़ी बाते बनाये और पीठ पीछे कार्य को बिगाड़ दे,एसे मित्र को त्याग देना चाहिए ,क्योकि वह तो उस घड़े के समान है जिसके उपर तो दूध लगा हो और भीतर विष भरा हो |

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 01, 2013, 10:08:25 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

पत्नी का विरह,अपने जनों से प्राप्त अनादर,बचा हुआ ऋण ,दुष्ट रजा की सेवा,दरिद्रता और मूर्खो की सभा ----ये सब अग्नि के विना ही शारीर को जलाते  हैं |

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 01, 2013, 10:15:42 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

दुर्जन और सर्प - इन दोनों में सर्प अच्छा है,दुर्जन नहीं,क्योकि सर्प काल आने पर ही कटता है परन्तु दुर्जन तो पद-पद पर हानि पहुंचता है |

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 01, 2013, 10:24:04 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

मुर्ख से दूर रहना ,उसे त्याग देना ही उचित है क्योकि वह प्रत्यक्ष रूप से दो पैरोंवाला पशु है | वह वचनरुपी वाणों से मनुष्य को ऐसे ही बींधता है , जैसे अदृष्ट काँटा शारीर में घुसकर शारीर को बींधता रहता है |

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 02, 2013, 05:49:52 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

मनुष्य को चाहिए कि मन के द्वारा विचारे हुये कार्य को वाणी द्वारा प्रगट न करे  अपितु मनन पूर्वक उसकी रक्षा करते हुए चुपके  चुपके उसको कार्य में परिणत कर दे |

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 02, 2013, 12:33:02 PM


ॐ साईं नाथाय नमः

उस गौ से क्या लाभ जो न तो दूध देती हो और न गर्भधारण करती हो ? ठीक इसी प्रकार उस पुत्र से क्या लाभ जो न तो विद्वान हो और न ही ईश्वरभक्त हो |

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 02, 2013, 12:34:31 PM

ॐ साईं नाथाय नमः

जैसे मछली दर्शन से,कछुवी ध्यान से, पक्षिणी स्पर्श से अपने-अपने बच्चों का सदा पालन-पोषण करती हैं ,ऐसे ही श्रेष्ठ पुरुष की संगति मनुष्यों का पालन-पोषण करती है |

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 03, 2013, 01:25:05 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए ; विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं.

किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना.

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 03, 2013, 01:36:08 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

सारस की तरह एक बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए और अपने उद्देश्य को स्थान की जानकारी, समय और योग्यता के अनुसार प्राप्त करना चाहिए.

जो सुख-शांति व्यक्ति  को आध्यात्मिक शान्ति के अमृत से संतुष्ट होने पे मिलती है वो लालची लोगों को बेचैनी से इधर-उधर घूमने से नहीं मिलती.

वो जिसका ज्ञान बस किताबों तक सीमित है और जिसका धन दूसरों के कब्ज़े मैं है, वो ज़रुरत पड़ने पर ना अपना ज्ञान प्रयोग कर सकता है ना धन.

एक अनपढ़ व्यक्ति का जीवन उसी तरह से बेकार है जैसे की कुत्ते की पूँछ , जो ना उसके पीछे का भाग ढकती  है ना ही उसे कीड़े-मकौडों के डंक से बचाती है.


ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 03, 2013, 06:59:20 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

व्यक्ति नीचे दी हुए ३ चीजो से संतुष्ट रहे...

१. खुदकी पत्नी २. वह भोजन जो विधाता ने प्रदान किया. ३. उतना धन जितना इमानदारी से मिल गया.

लेकिन व्यक्ति को नीचे दी हुई ३ चीजो से संतुष्ट नहीं होना चाहिए...

१. अभ्यास २. भगवान् का नाम स्मरण. ३. परोपकार

इन दोनों के मध्य से कभी ना जाए..

१. दो ब्राह्मण.
२. ब्राह्मण और उसके यज्ञ में जलने वाली अग्नि.
३. पति पत्नी.
४. स्वामी और उसका चाकर.
५. हल और बैल.

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 04, 2013, 01:26:18 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

हंस वहा रहते हैं जहा पानी होता है , पानी सूखने पे वे उस जगह को छोड़ देते हैं , आप किसी आदमी को ऐसा व्यवहार न करने दे की वह  आपके पास आता जाता  रहे ।

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 04, 2013, 01:32:03 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

जिस प्रकार एक फूल में खुशबू  है , तील में तेल है , लकड़ी में अग्नि है , दूध में घी है , गन्ने में गुड है , उसी प्रकार आप अगर ठीक से देखते हैं तो हर व्यक्ति में परमात्मा है ।

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: SaiSonu on April 04, 2013, 09:22:09 AM
ॐ साईं नाथाय नमः

मुर्ख का सदा ही त्याग कर देना चाहिए क्योंकि वह दो पैरों वाले पशु जैसा होता है तथा अपने बेन्ध देने वाले वाक्यों से उसी प्रकार ह्रदय को कष्ट पहुंचाता रहता है जैसे दिखाई न देने वाला कांटा पाँव में चुभकर पीड़ा पहुंचाता रहता है|

ॐ साईं नाथाय नमः
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 04, 2013, 11:07:37 AM


ॐ साईं नाथाय नमः

सिंह से एक गुण, बगुले से एक गुण, मुर्गे से चार गुण, कौए से पाँच गुण,कुत्ते से छ गुण और गधे से तीन गुण ग्रहण करना चाहिए

मनुष्य कितना ही बडा काम क्यों न करना चाहता हो, उसे चाहिए कि सारी शक्ति लगा कर वह काम करे । यह गुण सिंह से ले |

समझदार मनुष्य को चाहिए कि वह बगुले की तरह चारों ओर से इन्द्रियों को समेटकर और देश काल के अनुसार अपना बल देख कर सब कार्य साधे |

ठीक समय से जागना, लडना, बन्धुओंके हिस्से का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लेना, ये चार बातें मुर्गे से सीखे |                     
एकान्त में स्त्री का संग करना , समय-समय पर कुछ संग्रह करते रहना, हमेशा चौकस रहना और किसी पर विश्वास न करना, ढीठ रहना, ये पाँच गुण कौए से सीखना चाहिए |

अधिक भूख रहते भी थोडे में सन्तुष्ट रहना, सोते समय होश ठीक रखना, हल्की नींद सोना, स्वामिभक्ति और बहादुरी-- ये गुण कुत्ते से सीखना चाहिये |

भरपूर थकावट रहनेपर भी बोझा ढोना, सर्दी गर्मी की परवाह न करना, सदा सन्तोष रखकर जीवनयापन करना, ये तीन गुण गधा से सीखना चाहिए |

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 05, 2013, 03:49:14 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

मूर्खों के साथ मित्रता नहीं करनी चाहिए उन्हें त्याग देना ही उचित है , क्योकि प्रत्यक्ष रूप से वो दो पैरों वाला पशु के सामान है, जो अपने धारदार वचनों से वैसे ही ह्रदय को छलनी करता है जैसे अदृश्य कांटा शरीर में घुसकर करता है ।

ॐ साईं राम

Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 05, 2013, 09:47:06 AM


ॐ साईं नाथाय नमः

वह विद्वान जिसने असंख्य किताबो का अध्ययन बिना सदगुरु के आशीर्वाद से कर लिया वह विद्वानों की सभा में एक सच्चे विद्वान के रूप में नहीं चमकता है. उसी प्रकार जिस प्रकार एक नाजायज औलाद को दुनिया में कोई प्रतिष्ठा हासिल नहीं होती.

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 06, 2013, 01:10:02 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

यदि विष मे से भी हो सके तो अमृत निकाल ले.
यदि सोना गन्दगी मे गिर हो तो उसे उठाये और धोयें और अपनाये.
यदि कोई निचले कुल मे जनमने वाला भी आपको सर्वोत्तम ज्ञान देता है तो उसे अपनाये.
उसी तरह यदि कोई बदनाम घर की लड़की जो महान गुणो से संपन्न है यदि आपको सीख देती है तो गहण करे.

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 06, 2013, 11:20:24 PM


ॐ साईं नाथाय नमः

ऐसा एक भी दिन ना जाये जब आपने एक श्लोक , आधा श्लोक, चौथाई श्लोक, या केवल श्लोक का एक अक्षर नहीं सिखा , या आपने दान, अभ्यास या कोई पवित्र कार्य नहीं किया .

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 08, 2013, 12:14:24 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

जिस व्यक्ति के पास धर्म और दया नहीं है उसे दूर करो. जिस गुरु के पास अध्यात्मिक ज्ञान नहीं है उसे दूर करो. जिस पत्नी के चेहरे पर हरदम घृणा है उसे दूर करो. जिन रिश्तेदारों के पास प्रेम नहीं उन्हें दूर करो.

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 11, 2013, 10:09:45 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

रूप और यौवन से सम्पन्न तथा कुलीन परिवार में जन्मा लेने पर भी विद्या हीन पुरुष पलाश के फूल के समान है जो सुन्दर तो है लेकिन खुशबु रहित है.

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 11, 2013, 10:10:34 AM


ॐ साईं नाथाय नमः

आत्याधिक सुन्दरता के कारन सीताहरण हुआ, अत्यंत घमंड के कारन रावन का अंत हुआ,  अत्यधिक दान देने के कारन रजा बाली को बंधन में बंधना पड़ा, अतः सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए.

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 12, 2013, 11:58:21 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

जो जन्म से अंध है वो देख नहीं सकते. उसी तरह जो वासना के अधीन है वो भी देख नहीं सकते. अहंकारी व्यक्ति को कभी ऐसा नहीं लगता की वह कुछ बुरा कर रहा है. और जो पैसे के पीछे पड़े है उनको उनके कर्मो में कोई पाप दिखाई नहीं देता.

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 12, 2013, 11:59:13 AM

ॐ साईं नाथाय नमः

एक लालची आदमी को भेट वास्तु दे कर संतुष्ट करे. एक कठोर आदमी को हाथ जोड़कर संतुष्ट करे. एक मुर्ख को सम्मान देकर संतुष्ट करे. एक विद्वान् आदमी को सच बोलकर संतुष्ट करे.

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 13, 2013, 01:19:18 PM

ॐ साईं नाथाय नमः

लोभ से बड़ा दुर्गुण क्या हो सकता है. पर निंदा से बड़ा पाप क्या है. जो सत्य में प्रस्थापित है उसे तप करने की क्या जरूरत है. जिसका ह्रदय शुद्ध है उसे तीर्थ यात्रा की क्या जरूरत है. यदि स्वभाव अच्छा है तो और किस गुण की जरूरत है. यदि कीर्ति है तो अलंकार की क्या जरुरत है. यदि व्यवहार ज्ञान है तो दौलत की क्या जरुरत है. और यदि अपमान हुआ है तो मृत्यु से भयंकर नहीं है क्या.

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 13, 2013, 01:20:19 PM

ॐ साईं नाथाय नमः

एक हाथ की शोभा गहनों से नहीं दान देने से है. चन्दन का लेप लगाने से नहीं जल से नहाने से निर्मलता आती है. एक व्यक्ति भोजन खिलाने से नहीं सम्मान देने से संतुष्ट होता है. मुक्ति खुद को सजाने से नहीं होती, अध्यात्मिक ज्ञान को जगाने से होती है.

ॐ साईं राम
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: SaiSonu on June 19, 2013, 09:04:48 AM
ॐ साईं नाथाय नमः

(http://sphotos-a.ak.fbcdn.net/hphotos-ak-ash4/1005132_520701951328720_919669662_n.jpg)

ॐ साईं नाथाय नमः
Title: Re: चाणक्य निति
Post by: SaiSonu on June 21, 2013, 08:55:50 AM
ॐ साईं नाथाय नमः

बुद्धिमान व्यक्ति को श्रेष्ठ कुल की कन्या से ही विवाह करना चाहिए, उसे सौन्दर्य के पीछे नहीं भागना चाहिए | कुलीन का रंग-रूप भले ही सामान्य हो, किन्तु व्यक्ति को अपना संबंध कुलीन घराने की कन्या से ही करना चाहिए | इसके विपरीत नीच कुल की सुन्दर कन्या से केवल उसका रूप देखकर विवाह करना उचित नहीं है | -- आचार्य चाणक्य


ॐ साईं नाथाय नमः