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Sai Literature => Sai Thoughts => Topic started by: ShAivI on May 08, 2016, 08:13:30 AM

Title: साँई बाबा जी ने आपने दाहिने पैर पर बाये हाथ की अँगुलियाँ क्यों फैला रखी हैं ?
Post by: ShAivI on May 08, 2016, 08:13:30 AM
ॐ साईं राम !!!

साँई बाबा जी ने आपने दाहिने पैर पर बाये हाथ की अँगुलियाँ क्यों फैला रखी हैं ?
श्री साँई बाबा जी का ध्यान कैसे किया जाए ?

हेमांडपंत भक्ति और ध्यान का जो एक अति सरल मार्ग सुझाते है वो ये हैं

कृष्ण पक्ष(अँधेरी राते) के आरम्भ होने से चंद्र- कलाएँ दिन प्रतिदिन घटती
जाती है तथा उनका प्रकाश भी क्रमशः कम होता जाता हैं और अंत में
आमवस्या के दिन चन्द्रमा के पूर्ण विलीन रहने पर चारो और निशा का भंयकर
अन्धेरा चा जाता हैं, परन्तु जब शुक्ल पक्ष का प्रारम्भ होता है तो लोग चंद्र-दर्शन के
लिए अति उत्सुक हो जाते हैं (शुक्ल पक्ष मतलब चांदनी राते) इसके बाद
द्वित्तीय को जब चंद्र अधिक स्पष्ट नही होता, तब लोगो की वृक्ष की दो शाखाओ के
बीच से चन्द्रदर्शन के लिए कहा जाता हैं ।

साँई बाबा जी के चित्र की और देखे आह, कितना सुन्दर हैं ?
वे पैर मोड़ कर बैठे है और दाहिना पैर बांये घुटने पर रखा हैं ।
बांये हाथ की अंगुलिया दाहिने चरण पर फेली है ।
दाहिने पैर के अंगूठे पर तर्जनी और मधयमा अंगुलियां फेली हुई है।

इस आकृति से साँई बाबा जी समझा रहे हैं कि ---
" यदि तुम्हे मेरे आध्यात्मिक दर्शन करने की इच्छा हो तो अभिमंशून्य
( अहंकार रहित) और विनम्र हो करू उक्त दो अँगुलियो के बीच से
मेरे चरण के अंगूठे को ध्यान करो"।

तब कंही जा कर तुम उस सत्य स्वरूप का दर्शन करने में सफल हो सकोगे।
भक्ति प्राप्त करने का यह सुगम पंथ हैं ।

इसका मतलब हैं कि जब लोगो की कहा जाता है की वृक्ष जी
दो शाखाओं के बीच चन्द्र दर्शन करे ।
बाबा जी के बांये हाथ की अँगुलियाँ दाहिनी चरण पर उस
वृक्ष की शाखाओ के सामान फेली हुई है और बाबा जी के दाहिने चरण के
अंगूठे की चंद्र समझ कर दर्शन करो और बाबा जी के आध्यत्मिक रूप के
साक्षात् दर्शन होंगे और आपने अहंकार को खत्म कर दो और
विनम्र हो कर साँई बाबा जी के दो अँगुलियों के बीच में पैर के अंगूठे का
ध्यान करे तभी हम सबको बाबा जी का साक्षात् दर्शन होंगे ।

बोलो साँई नाथ महाराज की जय

बाबा जी हम सबको इतनी शक्ति दो की हम आपके चरणों में ही अपना पूरा ध्यान लगा सके ।

( साँई सचरित्र अध्याय 22)

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ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!
Title: Re: साँई बाबा जी ने आपने दाहिने पैर पर बाये हाथ की अँगुलियाँ क्यों फैला रखी हैं ?
Post by: sai ji ka narad muni on May 08, 2016, 10:40:04 AM
जय साईं राम जी

वाह  बहन!
आज सुबह मेरे मन में भी यही चिन्तन था, और आज सवेरे मैंने बाबा को कहा की
बाबा आप बिना किसी अस्त्र शस्त्र लिय बैठे हो क्यू की आप बिना शस्त्र के ही हमारा इतने अच्छे से रक्षण करते हो आप बिना अभय मुद्रा दिखाए अभय देते हो
हे प्रभु आप बहुत सुंदर हो।...
 ऐसे आज मैंने बाबा का स्तवन किया फिर मेरी दृष्टि बाबा की उंगलियों पर गई और जो आपने लिखा हैं न ,वही हेमाडपंत जी के शब्द मेरे मन में आये।
तब मैंने सोचा क्या इसका और कोई भाव भी हो सकता हैं?
भगवान की एक लीला के ही अनेक भक्त अनेक अर्थ ग्रहण करते हैं और सबके भाव अलग होते हैं और जब वे आपस में अपने भावो को व्यक्त करते हैं तो रस आता हैं।
ऐसा सोचकर ही मैंने इसके और भाव क्या होगा ऐसा सोचा
बाबा का अंगूठा हैं बाबा के प्रति ईश्वर भाव से भक्ति ,योगक्षेम के लिय उन्ही पर आश्रित होना
तर्जनी ऊँगली हैं बाबा के प्रति गुरु भाव रखकर निष्ठां और समर्पण
और मध्यमा हैं बाबा को अपने माँ बाप मानकर उनके प्रति आदर , प्रेम
बाकी दो उंगलिया गौड़ भाव हैं, वात्सल्य और सख्य जो की बाकि भावो की अपेक्षा में कम भक्तो में होगी.
जो भक्त इन भावो से बाबा के चरणों का ध्यान करता हैं
अथवा इन भावों को या किसी एक को भी पकड़ कर साईं को पाना चाहे वह बाबा के कृपा कटाक्ष से उन के चरणों में जगह पा सकता हैं।
जब भक्त अनन्य भाव से साईं को आस भरी नजरो से देखता हैं तो साईं उसे निराश नही करते।
अनन्य का मतलब हैं की हम साईं जी के साईं जी हमारे हैं।और किसी से आस हम नही लगाते।
इन भावों में से अपना प्रेम प्रगाढ़ कर भक्त , साईं जी के दाहिने चरण तक पहुँचता हैं और बाबा कृपा कर उसे अपनी गोदी में ले लेते हैं। बाबा उसे प्रपंच के आकर्षण से बचाकर उसका समाधान कर देते है। भुक्ति मुक्ति प्रदान कर फिर उस से भी ऊपर, अपनी अहैतुकी कृपा उसपर करते हैं।
आशा हैं साईं जी मेरे हृदय में और सुन्दर भाव उदित कर मुझे अपने आनन्दमय स्वरुप की अनुभूति देंगे।

जय साईं राम