एक विचार
दिल मै उठा एक विचार
क्या मागू अपने साईं से
सोना चाँदी हीरा मोती
या मागू साईं का प्यार
सोचती रही रात भर
फिर सुनी दिल की आवाज़
सोना चाँदी तो पतझड़ है
उड़ जाएगे मोसम के साथ
पर देना है जिसने साथ
क्यों न जीतू उसका विश्वास
क्यों न बुलाऊ उसे अपने पास
वो तो मेरा साईं है..............
मेरी चाँदी भी साईं है
मेरा सोना भी साईं है
मेरे जीवन का किनारा भी साईं है
दिल में आया था विचार
साईं की किरपा से उतर गया दिल का भार
धन्य हुई
खुश हुई
मुझे मिल गया साईं का प्यार
जय साईंराम ....................