साईं प्रेणना
साईं की थी येही प्रेणना
आपस में प्यार फेलाओ
भेद भाव को तोड डालो
सबको मीठे वचन सुंनाओ
कोई बड़ा न कोई है छोटा
सब बाबा के ही रूप
सही गलत की पहचान कराओ
बाबा का था येही स्वरूप
सबका आदर मान करो
जीवन में कुछ दान करो
अल्ला फरीर खड़े हे द्वारे
उनका तुम सत्कार करो
इस अनजानी भीड़ में
बाबा मिले किस रूप में
अपने कोमल हिर्दय से
तुम्हे लगाए आज गले
कब बाबा आवाज लगाये
द्वारकामाई के समीप बुलाये
जो मज्जिद की सिड़ी चडता
उसका हर संकट टल जाये
दो पल का जीवन है
साईं के बिन नहीं जीना है
साईं प्रेणना तुम अपनाओ
सबको सत्य का मार्ग दिखाओ
सबके दिल में बसते है
उसे साईं साईं कहते है