« Reply #1 on: May 21, 2010, 09:52:15 AM »
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साईं जब श्याम होते है
द्रौपदी के एक अन्न कण मे
ही तृपत हो जाते है
दुर्वासा जैसे महारिषी
की सुधा सुप्त कर जाते है !
साईं तो योग निद्रा में भी
रह सकते है
छोड़ भक्तो को उनके कर्मो पर
सृष्टी परिचालन को सवचालन
मे रख सकते है !
पर देने को दान ज्ञान का
हम पापीओं को धरा पर आते है
कर्मो की अग्नि से बचाने भक्त को
अग्नि का ताप ले अपने पर
उसकी पीड़ा हरते है !
पर हम इन्सान क्या करते है
बदले मे कुछ मांग न ले साईं
यह चिंता करते है
पर साईं मांगे सिर्फ भक्तो की खुशियाँ और प्यार
फिर हम क्यूँ डरते है !
जय साईं राम!
ॐ श्री साईं राम!
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om sai ram!
Anant Koti Brahmand Nayak Raja Dhi Raj Yogi Raj, Para Brahma Shri Sachidanand Satguru Sri Sai Nath Maharaj !
Budhihin Tanu Janike, Sumiro Pavan Kumar, Bal Budhi Vidhya Dehu Mohe, Harahu Kalesa Vikar !
........................ बाकी सब तो सपने है, बस साईं ही तेरे अपने है, साईं ही तेरे अपने है, साईं ही तेरे अपने है !!