DwarkaMai - Sai Baba Forum
Main Section => SAMARPAN - Spiritual Sai Magazine => Topic started by: arti sehgal on May 21, 2010, 04:24:59 AM
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मेरा साईं
साईंराम की जय हो
साईंराम आपके इतने भक्त है
आप उन सब भक्तो का ही ध्यान करते हो
उनकी ही गुथियो को सुलझाते हो
किसी के आँसू पोछ रहे हो
किसी की खुशियों में शामिल हो रहे हो
पर इन भक्तो की भीड़ भाड़ में
मेरा साईं ...............
कहा खो गया
मेरा साईं कब खाता होगा ?
मेरा साईं कब सोता होगा ?
मेरा साईं कब आराम करता होगा ?
मेरा साईं कितना दुबला हो गया है
साईं आप तो अपना ध्यान रखते नहीं
अर्थात
साईं खाते नहीं इशारा करता है............
साईं हमारे अन के भंडार भरते है
साईं सोते नहीं इशारा करते है ...........
साईं हमें चैन की नीद सुलाते है
साईं आराम नहीं करते इशारा करता है .........
साईं हमारे पलों का धयान करते है
साईं आप..........
धन्य हो
आप इस संसार में फकीर बन के आये
आपने कोई भी सुख का अहसास नहीं लिया
ओर हमारा जीवन सुखमय बना दिया
जय साईंराम ..............
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साईं जब श्याम होते है
द्रौपदी के एक अन्न कण मे
ही तृपत हो जाते है
दुर्वासा जैसे महारिषी
की सुधा सुप्त कर जाते है !
साईं तो योग निद्रा में भी
रह सकते है
छोड़ भक्तो को उनके कर्मो पर
सृष्टी परिचालन को सवचालन
मे रख सकते है !
पर देने को दान ज्ञान का
हम पापीओं को धरा पर आते है
कर्मो की अग्नि से बचाने भक्त को
अग्नि का ताप ले अपने पर
उसकी पीड़ा हरते है !
पर हम इन्सान क्या करते है
बदले मे कुछ मांग न ले साईं
यह चिंता करते है
पर साईं मांगे सिर्फ भक्तो की खुशियाँ और प्यार
फिर हम क्यूँ डरते है !
जय साईं राम!
ॐ श्री साईं राम!