गुरु
गु - मतलब अंधकार
रु - मतलब रोशनी
अर्थात , गुरु हमें अंधकार में रोशनी दिखाता है
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हम भटके हुए मार्ग में भी रोशनी पा सके .
हम गुरु धारण इसलिये करते है ताकि हम सची राह पर चल सके .
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हमें मोक्ष की प्राप्ति होवे .
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हम संसार रुपी जाल में न फसे .
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हम किसी का बुरा न सोचे .
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हमारे कष्टों का निवारण हो सके .
पर फिर भी कहुगी ..................
हम गुरु धारण जरूर करते है पर उनके संस्कारो को नहीं अपनाते .
हम भूल जाते है की हमारे साथ एक रोशनी चल रही है.
हम अपने दिन चर्या में इतने खो जाते है की हमें अपने गुरु का आभास ही नहीं रहता .
जब समय पलटता है जब हमारे घर में अन की कमी होती है , जब हमारे बिज़नस में धन का आभाव होता है ,
जब हमें नौकरी नहीं मिलती , जब हमारा प्यार खो जाता है
तब हमें अपनी गुरु की याद आती है
तब हम रोज़ उनकी पूजा करते है
तब हम उन्हें खुश करने की कोशिश करते है
जब हमारे ऊपर दुख के बादल छाते है तो हम आसमान में उड़ने वाले पंछियों की तरहा इधर -उधर फड फड़ाते है
हमारे गुरु को प्रेम से भरे हुए है
हमारा हाथ थाम लेते है
वोह हमारी डूबती नईया को पार लगादेते है
कहते है ...
दूर खड़ा देख रहा है वो कड़पुतली का नाच
उसके एक इशारे से बरखा हो जाए आग
गुरु को अपनाओ दिल से
अपनी रूह से
आप अपने गुरु की उगली पकडेगे
गुरु आपका हाथ थाम लेगे .
बोलो जय गुरुदेव ...
बोलो जय साईनाथ ..................