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Main Section => SAMARPAN - Spiritual Sai Magazine => Topic started by: spiritualworld on December 22, 2011, 09:14:19 PM

Title: Who is Shri Sai Baba Ji? श्री साईं परिचय व जीवन गाथा (with mp3 audio)
Post by: spiritualworld on December 22, 2011, 09:14:19 PM
[youtube=480,360]http://www.youtube.com/watch?v=lD6ZNwVJXfA[/youtube]


श्री साईं बाबा के नाम से कोई विरला व्यक्ति ही होगा जो उनसे परिचित न हो| वे कलयुग के महान अवतार थे| उन्होंने किस देश, जाति, धार्मिक परिवार व कुल में जन्म लिया, यह कोई नहीं जानता| उनके पूर्वज कौन थे, उनके पिता व माता कौन थी, यह कोई नहीं जानता|

हेमातपंड ने साईं बाबा से उनके जीवन के विषय में जानने की इच्छा प्रगट की थी| पर उन्हें बाबा जी से कोई जानकारी नहीं मिल सकी| बाबा ने किसी को भी अपने विषय में नहीं बताया था| एक बार जब बाबा म्हालसापति के साथ एकांत में बैठे थे तो उन्होंने अपनी जन्म तिथि बताई| उन्होंने कागज के एक पुर्जे पर बाबा की जन्म तिथि लिख कर रख दी| वह कागज का पुर्जा हेमातपंड के हाथ लग गया| इसी पुर्जे के आधार पर वह बाबा की जीवनी लिखने लगे| पुर्जे के आधार पर बाबा का जन्म 27 सितम्बर 1838 ईस्वी को हुआ था| पर बाबा के जीवन की वास्तविकता को कोई नहीं जानता|

शिरडी गाँव की वृद्धा जो नाना चोपदार की माँ थी उसके अनुसार एक युवा जो अत्यन्त सुन्दर नीम वृक्ष के नीचे समाधि में लीन दिखाई पड़ा| अति अल्प आयु में बालक को कठोर तपस्या में देख कर लोग आश्चर्य चकित थे| तपस्या में लीन बालक को सर्दी-गर्मी व वर्षा की जरा भी चिंता न थी| आत्मसंयमी बालक के दर्शन करने के लिए अपार जन समूह उमड़ने लगा|

यह अदभुत बालक दिन में किसी का साथ नहीं करता था| उसे रात्रि के सुनसान वातावरण में कोई भय नहीं सताता था| "यह बालक कहाँ से आया था?" यह प्रश्न सबको व्याकुल कर देता था| दिखने में वह बालक बहुत सुन्दर था| जो उसे एक बार देख लेता उसे बार बार देखने की इच्छा होती| वे इस बात से हैरान थे कि यह सुन्दर रूपवान बालक दिन रात खुले आकाश के नीचे कैसे रहता है| वह प्रेम और वैराग्य की साक्षात् मूर्ति दिखाई पड़ते थे|

उन्हें अपने मान अपमान की कभी चिंता नहीं सताती थी| वे साधारण मनुष्यों के साथ मिलकर रहते थे, न्रत्य देखते, गजल व कवाली सुनते हुए अपना सिर हिलाकर उनकी प्रशंसा भी करते| इतना सब कुछ होते हुए भी उनकी समाधि भंग न होती| जब दुनिया जागती थी तब वह सोते थे, जब दुनिया सोती थी तब वह जागते थे| बाबा ने स्वयं को कभी भगवान नहीं माना| वह प्रत्येक चमत्कार को भगवान का वरदान मानते| सुख - दुःख उनपर कोई प्रभाव न डालते थे| संतो का कार्य करने का ढंग अलग ही होता है| कहने को साईं बाबा एक जगह निवास करते थे पर उन्हें विश्व एक समस्त व्यवहारों व व्यापारों का पूर्ण ज्ञान था|


Source: http://spiritualworld.co.in/an-introduction-to-shirdi-wale-shri-sai-baba-ji-shri-sai-baba-ji-ka-jeevan/shri-sai-introduction-and-life.html
Title: Re: श्री साईं परिचय व जीवन गाथा (एक नया रूप)
Post by: Dipika on March 22, 2012, 06:39:16 PM
श्री साईं बाबा के नाम से कोई विरला व्यक्ति ही होगा जो उनसे परिचित न हो| वे कलयुग के महान अवतार थे| उन्होंने किस देश, जाति, धार्मिक परिवार व कुल में जन्म लिया, यह कोई नहीं जानता| उनके पूर्वज कौन थे, उनके पिता व माता कौन थी, यह कोई नहीं जानता|

हेमातपंड ने साईं बाबा से उनके जीवन के विषय में जानने की इच्छा प्रगट की थी| पर उन्हें बाबा जी से कोई जानकारी नहीं मिल सकी| बाबा ने किसी को भी अपने विषय में नहीं बताया था| एक बार जब बाबा म्हालसापति के साथ एकांत में बैठे थे तो उन्होंने अपनी जन्म तिथि बताई| उन्होंने कागज के एक पुर्जे पर बाबा की जन्म तिथि लिख कर रख दी| वह कागज का पुर्जा हेमातपंड के हाथ लग गया| इसी पुर्जे के आधार पर वह बाबा की जीवनी लिखने लगे| पुर्जे के आधार पर बाबा का जन्म 27 सितम्बर 1838 ईस्वी को हुआ था| पर बाबा के जीवन की वास्तविकता को कोई नहीं जानता|

शिरडी गाँव की वृद्धा जो नाना चोपदार की माँ थी उसके अनुसार एक युवा जो अत्यन्त सुन्दर नीम वृक्ष के नीचे समाधि में लीन दिखाई पड़ा| अति अल्प आयु में बालक को कठोर तपस्या में देख कर लोग आश्चर्य चकित थे| तपस्या में लीन बालक को सर्दी-गर्मी व वर्षा की जरा भी चिंता न थी| आत्मसंयमी बालक के दर्शन करने के लिए अपार जन समूह उमड़ने लगा|

यह अदभुत बालक दिन में किसी का साथ नहीं करता था| उसे रात्रि के सुनसान वातावरण में कोई भय नहीं सताता था| "यह बालक कहाँ से आया था?" यह प्रश्न सबको व्याकुल कर देता था| दिखने में वह बालक बहुत सुन्दर था| जो उसे एक बार देख लेता उसे बार बार देखने की इच्छा होती| वे इस बात से हैरान थे कि यह सुन्दर रूपवान बालक दिन रात खुले आकाश के नीचे कैसे रहता है| वह प्रेम और वैराग्य की साक्षात् मूर्ति दिखाई पड़ते थे|

उन्हें अपने मान अपमान की कभी चिंता नहीं सताती थी| वे साधारण मनुष्यों के साथ मिलकर रहते थे, न्रत्य देखते, गजल व कवाली सुनते हुए अपना सिर हिलाकर उनकी प्रशंसा भी करते| इतना सब कुछ होते हुए भी उनकी समाधि भंग न होती| जब दुनिया जागती थी तब वह सोते थे, जब दुनिया सोती थी तब वह जागते थे| बाबा ने स्वयं को कभी भगवान नहीं माना| वह प्रत्येक चमत्कार को भगवान का वरदान मानते| सुख - दुःख उनपर कोई प्रभाव न डालते थे| संतो का कार्य करने का ढंग अलग ही होता है| कहने को साईं बाबा एक जगह निवास करते थे पर उन्हें विश्व एक समस्त व्यवहारों व व्यापारों का पूर्ण ज्ञान था|


Source: http://spiritualworld.co.in/shri-sai-baba-ji-ka-jeevan/shri-sai-introduction-and-life.html#ixzz1hK9sZ7Jk
Title: Re: श्री साईं परिचय व जीवन गाथा (एक नया रूप)
Post by: spiritualworld on March 22, 2012, 08:51:06 PM
Om Sai Ram.... DIPIKA DUGGAL JI
Title: Re: Who is Shri Sai Baba Ji? श्री साईं परिचय व जीवन गाथा (with mp3 audio)
Post by: anshul.udapure on October 31, 2013, 09:35:50 AM
sai baba mai buri tarah ffas gya hu.apne jeevan me kuch bhai nahi kar paa raha hu.faltu idhar udha pareshan ho raha hu.muzze sahi disha de sia baba,mai tere charno me pai padhta hu .gidgidata hu.muze mere sai bacha le sai,muze mere sai tu bacha le .mai mar jaunga sai.mere bacche mere reena ki raksha karna sai,sai baba muze bacha le sai .tera margdarshan de sai.tera margdarshan ki bahut jarorat hei sai baba.muze please tera marg darshan de.sai mai tere pairo me gir kar bhik mangta hu sai.muze sahi disha de .jeevan me kuch bhi nahi ho rha ahei sai baba, please meri raksha kar sai. ab tu hi bacha sakta he muze aur koi nahi.har jahgah se he manjil andheri najar aa rahi hei sai baba, please meri raksha kar.