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Author Topic: देने वाला कौन ?  (Read 3793 times)

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Offline ShAivI

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  • बाबा मुझे अपने ह्र्दय से लगा लो, अपने पास बुला लो।
देने वाला कौन ?
« on: April 12, 2017, 03:27:09 AM »
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  • ॐ साईं राम !!!

    देने वाला कौन ?

    आज हमने भंडारे में भोजन करवाया।
    आज हमने ये बांटा, आज हमने वो दान किया...

    हम अक्सर ऐसा कहते और मानते हैं। इसी से सम्बंधित एक अविस्मरणीय कथा सुनिए...

    एक लकड़हारा रात-दिन लकड़ियां काटता, मगर कठोर परिश्रम के बावजूद
    उसे आधा पेट भोजन ही मिल पाता था।

    एक दिन उसकी मुलाकात एक साधु से हुई। लकड़हारे ने साधु से कहा कि
    जब भी आपकी प्रभु से मुलाकात हो जाए, मेरी एक फरियाद उनके सामने रखना
    और मेरे कष्ट का कारण पूछना।

    कुछ दिनों बाद उसे वह साधु फिर मिला।

    लकड़हारे ने उसे अपनी फरियाद की याद दिलाई तो साधु ने कहा कि-
    "प्रभु ने बताया हैं कि लकड़हारे की आयु 60 वर्ष हैं और उसके भाग्य में पूरे जीवन के
    लिए सिर्फ पाँच बोरी अनाज हैं।

    इसलिए प्रभु उसे थोड़ा अनाज ही देते हैं ताकि वह 60 वर्ष तक जीवित रह सके।"

    समय बीता। साधु उस लकड़हारे को फिर मिला तो* लकड़हारे ने कहा---
    "ऋषिवर...!! अब जब भी आपकी प्रभु से बात हो तो मेरी
    यह फरियाद उन तक पहुँचा देना कि वह मेरे जीवन का सारा अनाज एक साथ दे दें,
    ताकि कम से कम एक दिन तो मैं भरपेट भोजन कर सकूं।"

    अगले दिन साधु ने कुछ ऐसा किया कि लकड़हारे के घर ढ़ेर सारा अनाज पहुँच गया।

    लकड़हारे ने समझा कि प्रभु ने उसकी फरियाद कबूल कर उसे उसका सारा हिस्सा भेज दिया हैं।
    उसने बिना कल की चिंता किए, सारे अनाज का भोजन बनाकर फकीरों और भूखों को खिला दिया
    और खुद भी भरपेट खाया।

    लेकिन अगली सुबह उठने पर उसने देखा कि उतना ही अनाज उसके घर फिर पहुंच गया हैं।
    उसने फिर गरीबों को खिला दिया। फिर उसका भंडार भर गया।

    यह सिलसिला रोज-रोज चल पड़ा और लकड़हारा लकड़ियां काटने की
    जगह गरीबों को खाना खिलाने में व्यस्त रहने लगा।

    कुछ दिन बाद वह साधु फिर लकड़हारे को मिला तो लकड़हारे ने कहा---
    "ऋषिवर ! आप तो कहते थे कि मेरे जीवन में सिर्फ पाँच बोरी अनाज हैं,
    लेकिन अब तो हर दिन मेरे घर पाँच बोरी अनाज आ जाता हैं।"

    साधु ने समझाया, "तुमने अपने जीवन की परवाह ना करते हुए अपने हिस्से का अनाज गरीब
    व भूखों को खिला दिया।इसीलिए प्रभु अब उन गरीबों के हिस्से का अनाज तुम्हें दे रहे हैं।"

    कथासार- किसी को भी कुछ भी देने की शक्ति हम में है ही नहीं, हम देते वक्त ये सोचते हैं,
    की जिसको कुछ दिया तो  ये मैंने दिया!

    दान, वस्तु, ज्ञान, यहाँ तक की अपने बच्चों को भी कुछ देते दिलाते हैं, तो कहते हैं मैंने दिलाया ।

    वास्तविकता ये है कि वो उनका अपना है आप को सिर्फ परमात्मा ने निमित्त मात्र बनाया हैं।
    ताकी उन तक उनकी जरूरते पहुचाने के लिये। तो निमित्त होने का घमंड कैसा ??

    दान किए से जाए दुःख, दूर होएं सब पाप।।
    गुरू आकर द्वार पे, दूर करें संताप।।




    ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!
    « Last Edit: April 13, 2017, 10:49:09 AM by ShAivI »

    JAI SAI RAM !!!

     


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