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Author Topic: प्रेरणा दायक कथाएँ...  (Read 9996 times)

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Offline PiyaSoni

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एक बार समर्थ स्वामी रामदासजी भिक्षा माँगते हुए एक घर के सामने खड़े हुए और उन्होंने आवाज लगायी

- “जय जय रघुवीर समर्थ !” घर से महिला बाहर आयी। उसने उनकी झोलीमे भिक्षा डाली और कहा, “महात्माजी, कोई उपदेश दीजिए !”

स्वामीजी बोले, “आज नहीं, कल दूँगा।”

दूसरे दिन स्वामीजी ने पुन: उस घर के सामने आवाज दी – “जय जय रघुवीर समर्थ !”उस घर की स्त्रीने उस दिन खीर बनायीं थी, जिसमे बादाम-पिस्ते भी डाले थे।वह खीर का कटोरा लेकर बाहर आयी। स्वामीजीने अपना कमंडल आगे कर दिया। वह स्त्री जब खीर डालने लगी, तो उसने देखा कि कमंडल में गोबर और कूड़ा भरा पड़ा है। उसके हाथ ठिठक गए। वह बोली, “महाराज ! यह कमंडल तो गन्दा है।”

स्वामीजी बोले, “हाँ, गन्दा तो है, किन्तु खीर इसमें डाल दो।” स्त्री बोली, “नहीं महाराज, तब तो खीर ख़राब हो जायेगी। दीजिये यह कमंडल, में इसे शुद्ध कर लाती हूँ।”

स्वामीजी बोले, मतलब जब यह कमंडल साफ़ हो जायेगा, तभी खीर डालोगी न ?”

स्त्री ने कहा : “जी महाराज !”

स्वामीजी बोले, “मेरा भी यही उपदेश है। मन में जब तक चिन्ताओ का कूड़ा-कचरा और बुरे संस्करो का गोबर भरा है, तब तक उपदेशामृत का कोई लाभ न होगा। यदि उपदेशामृत पान करना है, तो प्रथम अपने मन को शुद्ध करना चाहिए, कुसंस्कारो का त्याग करना चाहिए, तभी सच्चे सुख और आनन्द की प्राप्ति होगी।”


"नानक नाम चढदी कला, तेरे पहाणे सर्वद दा भला "

Offline PiyaSoni

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Re: प्रेरणा दायक कथाएँ...
« Reply #1 on: May 22, 2013, 06:06:25 AM »
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  • एक आदमी गुब्बारे बेच कर जीवन-यापन करता था. वह गाँव के आस-पास लगने वाली हाटों में जाता और गुब्बारे बेचता . बच्चों को लुभाने के लिए वह तरह-तरह के गुब्बारे रखता …लाल, पीले ,हरे, नीले…. और जब कभी उसे लगता की बिक्री कम हो रही है वह झट से एक गुब्बारा हवा में छोड़ देता, जिसे उड़ता देखकर बच्चे खुश हो जाते और गुब्बारे खरीदने के लिए पहुँच जाते.

    इसी तरह तरह एक दिन वह हाट में गुब्बारे बेच रहा था और बिक्री बढाने के लिए बीच-बीच में गुब्बारे उड़ा रहा था. पास ही खड़ा एक छोटा बच्चा ये सब बड़ी जिज्ञासा के साथ देख रहा था . इस बार जैसे ही गुब्बारे वाले ने एक सफ़ेद गुब्बारा उड़ाया वह तुरंत उसके पास पहुंचा और मासूमियत से बोला, ” अगर आप ये लाल वाला गुब्बारा छोड़ेंगे…तो क्या वो भी ऊपर जाएगा ?”

    गुब्बारे वाले ने थोड़े अचरज के साथ उसे देखा और बोला, ” हाँ बिलकुल जाएगा. बेटे ! गुब्बारे का ऊपर जाना इस बात पर नहीं निर्भर करता है कि वो किस रंग का है बल्कि इसपर निर्भर करता है कि उसके अन्दर क्या है .”

    मित्रों , ठीक इसी तरह हम इंसानों के लिए भी ये बात लागु होती है. कोई अपने जीवन में क्या प्राप्त करेगा, ये उसके बाहरी रंग-रूप पर नहीं निर्भर करता है , ये इस बात पर निर्भर करता है कि उसके अन्दर क्या है. अंतत: हमारा नजरिया हमारी ऊँचाई तय करता है .



    "नानक नाम चढदी कला, तेरे पहाणे सर्वद दा भला "

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    Re: प्रेरणा दायक कथाएँ...
    « Reply #2 on: June 01, 2013, 12:59:51 AM »
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  • एक मकड़ी थी. उसने आराम से रहने के लिए एक शानदार जाला बनाने का विचार किया और सोचा की इस जाले मे खूब कीड़ें, मक्खियाँ फसेंगी और मै उसे आहार बनाउंगी और मजे से रहूंगी . उसने कमरे के एक कोने को पसंद किया और वहाँ जाला बुनना शुरू किया. कुछ देर बाद आधा जाला बुन कर तैयार हो गया. यह देखकर वह मकड़ी काफी खुश हुई कि तभी अचानक उसकी नजर एक बिल्ली पर पड़ी जो उसे देखकर हँस रही थी. मकड़ी को गुस्सा आ गया और वह बिल्ली से बोली , ” हँस क्यो रही हो?” ”हँसू नही तो क्या करू.” , बिल्ली ने जवाब दिया , ” यहाँ मक्खियाँ नही है ये जगह तो बिलकुल साफ सुथरी है, यहाँ कौन आयेगा तेरे जाले मे.” ये बात मकड़ी के गले उतर गई. उसने अच्छी सलाह के लिये बिल्ली को धन्यवाद दिया और जाला अधूरा छोड़कर दूसरी जगह तलाश करने लगी.

    उसने ईधर ऊधर देखा. उसे एक खिड़की नजर आयी और फिर उसमे जाला बुनना शुरू किया कुछ देर तक वह जाला बुनती रही , तभी एक चिड़िया आयी और मकड़ी का मजाक उड़ाते हुए बोली , ” अरे मकड़ी , तू भी कितनी बेवकूफ है.” “क्यो ?”, मकड़ी ने पूछा. चिड़िया उसे समझाने लगी , ” अरे यहां तो खिड़की से तेज हवा आती है. यहा तो तू अपने जाले के साथ ही उड़ जायेगी.” मकड़ी को चिड़िया की बात ठीक लगीँ और वह वहाँ भी जाला अधूरा बना छोड़कर सोचने लगी अब कहाँ जाला बनायाँ जाये. समय काफी बीत चूका था और अब उसे भूख भी लगने लगी थी .अब उसे एक आलमारी का खुला दरवाजा दिखा और उसने उसी मे अपना जाला बुनना शुरू किया. कुछ जाला बुना ही था तभी उसे एक काक्रोच नजर आया जो जाले को अचरज भरे नजरो से देख रहा था. मकड़ी ने पूछा – ‘इस तरह क्यो देख रहे हो?’

    काक्रोच बोला-,” अरे यहाँ कहाँ जाला बुनने चली आयी ये तो बेकार की आलमारी है. अभी ये यहाँ पड़ी है कुछ दिनों बाद इसे बेच दिया जायेगा और तुम्हारी सारी मेहनत बेकार चली जायेगी. यह सुन कर मकड़ी ने वहां से हट जाना ही बेहतर समझा . बार-बार प्रयास करने से वह काफी थक चुकी थी और उसके अंदर जाला बुनने की ताकत ही नही बची थी. भूख की वजह से वह परेशान थी. उसे पछतावा हो रहा था कि अगर पहले ही जाला बुन लेती तो अच्छा रहता. पर अब वह कुछ नहीं कर सकती थी उसी हालत मे पड़ी रही. जब मकड़ी को लगा कि अब कुछ नहीं हो सकता है तो उसने पास से गुजर रही चींटी से मदद करने का आग्रह किया . चींटी बोली, ” मैं बहुत देर से तुम्हे देख रही थी , तुम बार- बार अपना काम शुरू करती और दूसरों के कहने पर उसे अधूरा छोड़ देती . और जो लोग ऐसा करते हैं , उनकी यही हालत होती है.” और ऐसा कहते हुए वह अपने रास्ते चली गई और मकड़ी पछताती हुई निढाल पड़ी रही.

    दोस्तों , हमारी ज़िन्दगी मे भी कई बार कुछ ऐसा ही होता है. हम कोई काम आरम्भ करते है. शुरू -शुरू मे तो हम उस काम के लिये बड़े उत्साहित रहते है पर लोगो के कमेंट्स की वजह से उत्साह कम होने लगता है और हम अपना काम बीच मे ही छोड़ देते है और जब बाद मे पता चलता है कि हम अपने सफलता के कितने नजदीक थे तो बाद मे पछतावे के अलावा कुछ नही बचता.


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    Re: प्रेरणा दायक कथाएँ...
    « Reply #3 on: June 03, 2013, 05:23:18 AM »
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  • एक छात्र में अध्यापक से पूछा, "प्यार क्या होता है?"
    अध्यापक ने कहा, "मैं इस प्रश्न का उत्तर दूँ इसके पहले तुम्हे गन्ने के खेत में जाकर एक सर्वोत्तम गन्ना चुन कर लाना होगा किन्तु ध्यान रहे कि तुम्हे खेत में मात्र आगे ही बढना है, पीछे मुड़ कर नहीं आना है।"
    छात्र स्कूल से सटे एक गन्ने के खेत में गया और आगे बढ़कर सर्वोत्तम गन्ना खोजने लगा। जल्द ही एक अच्छा गन्ना उसे मिला। तोड़ने ही वाला था कि उसे कुछ आगे एक और अच्छा गन्ना दिखा। वह आगे बढ़ गया। किन्तु शीघ्र उसे थोड़ी दूर आगे एक अन्य उत्तम गन्ना दिखा। किन्तु और अच्छे की चाह में वह खेत के किनारे तक पहुँच गया। किनारे पर उसे लगा कि यहाँ पर तो अन्दर से खराब गन्ने है। उसे बड़ा दुःख हुआ कि नाहक ही उसने पीछे अच्छे गन्ने छोड़ दिए। लाचार और निराश वह छात्र खाली हाथ वापस आ गया। उसने अध्यापक को सारी बात बतायी।
    अध्यापक ने कहा, " यही प्रेम है। हम बेहतर ... और बेहतर .... सर्वोत्तम की खोज में निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं। किन्तु बाद में हमें पता चलता है कि अच्छे साथी तो हम पीछे ही छोड़ चुके हैं .. तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।"

    छात्र में पुनः पूछा," विवाह क्या होता है?"
    अध्यापक ने कहा, " ठीक है। इस बार तुम मक्के के खेत में जाओ और चुन कर अच्छा सा भुट्टा ले आओ। ध्यान रहे कि तुम्हे खेत में मात्र आगे ही बढना है, पीछे मुड़ कर नहीं आना है।"
    छात्र मक्के के खेत में गया। इस बार वह सावधान था। खेत में कुछ अन्दर पहुँचने पर उसने एक अच्छे से भुट्टे को देखा और उसे तोड़ कर बाहर आ गया।
    अध्यापक ने कहा, "तुम अन्दर गए ... एक अच्छे से भुट्टे को देखा और उसे चुन लिया। भुट्टे को चुनते समय तुम्हारे मन में गहरा विश्वास और संतोष था। यही कारण है कि इस बार तुम एक भुट्टा अपने साथ ले कर आ सके हो। यही विवाह है। "


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    Re: प्रेरणा दायक कथाएँ...
    « Reply #4 on: June 05, 2013, 02:27:32 AM »
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  • एक बालक ने अपने माँ बाप की खूब सेवा की,दोस्त उससे कहते कि अगर इतनी सेवा तू भगवान की करता तो तुझे भगवान मिल जाते..

    लेकिन उन सब चीजो से अनजान वो अपने माता- पिता की सेवा करता रहा. .

    एक दिन उसकी माँ बाप की सेवा भक्ति से खुश होकर भगवान खुद धरती पर आ गए..

    उस वक्त वो अपनी माँ के पांव दबा रहा था,भगवान दरवाजे के बाहर से बोले, दरवाजा खोलो बेटा, मै तुम्हारी माता पिता की सेवा से प्रसन्न होकर वरदान देने आया हूँ..

    लड़के ने कहा- इन्तजार करो प्रभो, मै अभी माँ की सेवा में लगा हूँ.

    भगवान बोले - देखो, मै वापस चला जाऊंगा,.

    बालक- आप जा सकते है प्रभु, मै सेवा बीच में नही छोड़ सकता..

    कुछ देर बाद उसने दरवाजा खोला, भगवान बाहर खड़े थे. बोले- लोग मुझे पाने के लिए कठोर तपस्या करते है,मै तुम्हे सहज मिल गया और तुमने मुझसे प्रतीक्षा करवाई...

    लड़के का जवाब था-: 'हे ईश्वरमैं आप को दिल से मानता हूँ पर ,जिस माँ बाप की सेवा ने आपको मेरे पास आने को मजबूर कर दिया,उन माँ बाप की सेवा बीच में छोड़ कर मै कैसे आ सकता था ..?


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    Re: प्रेरणा दायक कथाएँ...
    « Reply #5 on: October 29, 2013, 11:13:50 PM »
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  • एक बार अर्जुन को अहंकार हो गया कि वही भगवान के सबसे बड़े भक्त हैं। उनको श्रीकृष्ण ने समझ लिया। एक दिन वह अर्जुन को अपने साथ घुमाने ले गए।

    रास्ते में उनकी मुलाकात एक गरीब ब्राह्मण से हुई। उसका व्यवहार थोड़ा विचित्र था। वह सूखी घास खा रहा था और उसकी कमर से तलवार लटक रही थी।

    अर्जुन ने उससे पूछा, ‘आप तो अहिंसा के पुजारी हैं। जीव हिंसा के भय से सूखी घास खाकर अपना गुजारा करते हैं। लेकिन फिर हिंसा का यह उपकरण तलवार क्यों आपके साथ है?’

    ब्राह्मण ने जवाब दिया, ‘मैं कुछ लोगों को दंडित करना चाहता हूं।’

    ‘ आपके शत्रु कौन हैं?’ अर्जुन ने जिज्ञासा जाहिर की ।

    ब्राह्मण ने कहा, ‘मैं चार लोगों को खोज रहा हूं, ताकि उनसे अपना हिसाब चुकता कर सकूं।

    सबसे पहले तो मुझे नारद की तलाश है। नारद मेरे प्रभु को आराम नहीं करने देते, सदा भजन-कीर्तन कर उन्हें जागृत रखते हैं।

    फिर मैं द्रौपदी पर भी बहुत क्रोधित हूं। उसने मेरे प्रभु को ठीक उसी समय पुकारा, जब वह भोजन करने बैठे थे। उन्हें तत्काल खाना छोड़ पांडवों को दुर्वासा ऋषि के शाप से बचाने जाना पड़ा। उसकी धृष्टता तो देखिए। उसने मेरे भगवान को जूठा खाना खिलाया।’

    ‘ आपका तीसरा शत्रु कौन है?’ अर्जुन ने पूछा। ‘

    वह है हृदयहीन प्रह्लाद। उस निर्दयी ने मेरे प्रभु को गरम तेल के कड़ाह में प्रविष्ट कराया, हाथी के पैरों तले कुचलवाया और अंत में खंभे से प्रकट होने के लिए विवश किया।

    और चौथा शत्रु है अर्जुन। उसकी दुष्टता देखिए। उसने मेरे भगवानको अपना सारथी बना डाला। उसे भगवान की असुविधा का तनिक भी ध्यान नहीं रहा। कितना कष्ट हुआ होगा मेरे प्रभु को।’ यह कहते ही ब्राह्मण की आंखों में आंसू आ गए।

    यह देख अर्जुन का घमंड चूर-चूर हो गया। उसने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगते हुए कहा, ‘मान गया प्रभु, इस संसार में न जाने आपके कितने तरह के भक्त हैं। मैं तो कुछ भी नहीं हूं।

    ’जय श्री कृष्ण!!


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    Re: प्रेरणा दायक कथाएँ...
    « Reply #6 on: November 14, 2013, 03:29:44 AM »
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  • A group of students were asked to list what they thought were the present "Seven Wonders of the World."
    Though there were some disagreements, the following received the most votes:
    1. Egypt's Great Pyramids
    2. Taj Mahal
    3. Grand Canyon
    4. Panama Canal
    5. Empire State Building
    6. St. Peter's Basilica
    7. China's Great Wall
    While gathering the votes, the teacher noted that one student had not finished her paper yet. So she asked the girl if she was having trouble with her list. The girl replied, "Yes, a little. I couldn't quite make up my mind because there were so many."
    The teacher said, "Well, tell us what you have, and maybe we can help." The girl hesitated, then read, "I think the 'Seven Wonders of the World' are:
    1. to see
    2. to hear
    3. to touch
    4. to taste
    5. to feel
    6. to laugh
    7. and to love."
    The room was so quiet you could have heard a pin drop. The things we overlook as simple and ordinary and that we take for granted are truly wondrous!!
    If wealth is the secret to happiness, then the Rich should be dancing on the streets.
    But only Poor Kids do that.
    If power ensures security,then top Officials should walk unguarded.But people who live on roadside feel more secure.
    If beauty brings ideal relationships, then celebrities should have the best marriages.
    But they have one of the worst relationships.

    That's why... Live simply...Walk humbly and Love genuinely!!!
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