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AARTI OF BABA WITH ITS MEANING
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Topic: AARTI OF BABA WITH ITS MEANING (Read 5541 times)
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deepak_kumar_pahwa
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अब तू ही मेरा रेहनुमा,अब तू ही मेरा खुदा है।
AARTI OF BABA WITH ITS MEANING
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February 25, 2007, 10:59:34 AM »
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deepak_kumar_pahwa@yahoo.co.in
(or)
deepaksaipahwa@yahoo.co.in
(or)
deepaksaipahwa@saimail.com
आरती साईबाबा । सौख्यदातार जीवा । चरणरजातला ।
घावा दासां विसांवा, भक्तां विसांवा ।। आ. धु. ।।
हम साईंबाबा की आरती करें जो सभी जीवो को सुख देने वले हैं।
हे बाबा, हम दासो और भक्तों को आप अपनी चरण धूलि का अश्रय दीजिये।
हम साईंबाबा की आरती करें ............
जाळुनियां अनंग । स्वरुपरुपीं राहे दंग । मुमुक्षुजनां दावी ।
निज डोळां श्री रंग ।। आ0 ।। 1 ।।
काम और इच्छओं को जलाकर आप आत्मरूप में लीन हैं।
हे साई,मुमुक्षजनों अर्थात् मुक्ति की कामना करने वाले अपने नेत्रों से आपके श्रीरंग स्वरूप का दर्शन करें अर्थात् आप उन्हें आत्म साक्षात्कार दीजिये।
हम साईंबाबा की आरती करें ............
जया मनी जैसा भाव । तया तैसा अनुभव । दाविसी दयाघना ।
ऐसी तुझी ही माव ।। आ0 ।। 2 ।।
जिसके मन में जैसा भाव हो उसे आप वैसा ही अनुभव देते हैं।
हे दयाघन साई, आपकी ऐसी ही माय़ा है।
हम साईंबाबा की आरती करें ............
तुमचें नाम ध्यातां । हरे संसृतिव्यथा । अगाध तव करणी ।
मार्ग दाविसी अनाथा ।। आ0 ।। 3 ।।
आपके नाम के स्मरण मात्र से ही सांसारिक व्यथाओं का अन्त हो जाता है।
आपकी करनी तो अगाध और अपरंपार है। हे साई, आप हम अनाथों को राह दिखलाईए।
हम साईंबाबा की आरती करें ............
कलियुगीं अवतार । सगुणब्रहम साचार । अवतीर्ण झालसे ।
स्वामी दत्त दिगंबर ।। द0 ।। आ0 ।। 4 ।।
आप ही परब्रह्म हैं,जिसने सगुण् रूप में इस कलियुग में अवतार लिया है।
हे स्वामी, आप ही दत्त दिगंबर के रूप में अवतरित हुए।
हम साईंबाबा की आरती करें ............
आठां दिवसां गुरुवारीं । भक्त करिती वारी । प्रभुपद पहावया ।
भवभय निवारी ।। आ0 ।। 5 ।।
हर आठवें दिन (गुरूवार को)भक्त शिरडी की यात्रा करते हैं।
और इस संसार के भय निवारण हेतु आपके चरणों के दर्शन करते हैं।
हम साईंबाबा की आरती करें ............
माझा निजद्रव्यठेवा । तव चरणरजसेवा मागणें हेंचि आतां ।
तुम्हां देवाधिदेवा ।। आ0 ।। 6 ।।
आपके चरणो के धूल की सेवा ही मेरी समस्त निधि हो।
हे देवों के देव, अब यही मेरी कामना है।
हम साईंबाबा की आरती करें ............
इच्छित दीन चातक । निर्मल तोय निज सुख ।
पाजावें माधवा या । सांभाळ निज आपुली भाक ।।
जिस प्रकार चातक को (स्वाती नक्षत्र के) निर्मल वर्षा के सुख की अभिलाषा होती है,
वैसे ही इस माधाव(रचनाकार) को भी भीख देकर संभालिये और अपनी महिमा से अनुग्रहित कीजिये।
हम साईंबाबा की आरती करें ............
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Last Edit: March 07, 2007, 11:15:44 AM by deepak_kumar_pahwa
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DEEPAK SAI PAHWA
"अब तू ही मेरा रेहनुमा,अब तू ही मेरा खुदा है।"
ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम|
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deepak_kumar_pahwa
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अब तू ही मेरा रेहनुमा,अब तू ही मेरा खुदा है।
Re: AARTI OF BABA WITH ITS MEANING
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Reply #1 on:
February 26, 2007, 10:44:53 AM »
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"प्रातःकाल उपासनाक्रम"
जोडूनिया कर(भूपाली)
(संत तुकाराम)
जोडूनियां कर चरणीं ठेविला माथा ।
परिसावी विनंती माझी सदुरुनाथा ।। 1 ।।
मैं हाथ जोडकर अपना माथा आपके चरणों में रखता हूँ।
हे!सदगुरूनाथ,आप मेरी विनती सुनिए।
असो नसो भाव आलों तूझिया ठाया ।
कृपादृष्टीं पाहें मजकडे सदुरुया ।। 2 ।।
मुझमे भाव हो न हो, मैं आपकी शरण में आया हूँ।
हे! सदगुरूराया मुझको अपनी कॄपादॄष्टि दीजिए।
अखंडित असावें ऐसें वाटतें पायी ।
सांडूनी संकोच ठाव थोडासा देईं ।। 3 ।।
मैं सतत् आपके चरणों में रहूँ,ऐसी मेरी विनती है।
इसलिए निसंकोच होकर मुझे अपनी शरण में थोडी सी जगह दीजिए।
तुका म्हणे देवा माझी वेडीवांकुडी ।
नामें भवपाश हातीं आपुल्या तोड़ी ।। 4 ।।
मैं सतत् आपके चरणों में रहूँ,ऐसी मेरी विनती है।
इसलिए निसंकोच होकर मुझे अपनी शरण में थोडी सी जगह दीजिए।
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DEEPAK SAI PAHWA
"अब तू ही मेरा रेहनुमा,अब तू ही मेरा खुदा है।"
ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम|
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deepak_kumar_pahwa
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अब तू ही मेरा रेहनुमा,अब तू ही मेरा खुदा है।
Re: AARTI OF BABA WITH ITS MEANING
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Reply #2 on:
February 26, 2007, 11:22:52 PM »
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उठा पांडुरंगा(भूपाली)
(संत जनाबाई)
उठा पांडुरंगा आतां प्रभातसमयो पातला ।
वैष्णवांचा मेळा गरुडपारीं दाटला ।। 1 ।।
हे! पांडुरंग(पंढरपुर के अवतार-विठ्ठल भगवान, जो भगवान विष्णु के अवतार् माने जाते हैं) उठिए, अब प्रातः बेला आई है।
गरुडपार(वैष्णव मन्दिरों में गरूण चबूतरा,जिस पर गरूड स्तम्भ स्थापित होत है) में वैष्णव भक्त भारी संख्या में एकत्रित हो गए हैं।
गरुडपारापासुनी महाद्घारापर्यंत ।
सुरवरांची मांदी उभी जोडूनियां हात ।। 2 ।।
गरूडपार से लेकर महाद्वार(मन्दिर का मुख्य द्वार) तक,
देवतागण दोनों हाथ जोडकर दर्शन हेतु खडे हैं।
शुकसनकादिक नारद-तुबंर भक्तांच्या कोटी |
त्रिशूल डमरु घेउनि उभा गिरिजेचा पती ।। 3 ।।
इसमें शुक-सनक(एक श्रेष्ठ मुनी का नाम), नराद,तुम्बर(एक श्रेष्ठ भक्त)जैसे श्रेष्ठ कोटि के भक्त हैं।
गिरिजापती शंकर भी त्रिशूल और डमरू लेकर खडें हैं।
कलीयुगींचा बक्त नामा उभा कीर्तनीं ।
पाठीमागें उभी डोळा लावुनियां जनी ।। 4 ।।
कलियुग के श्रेष्ठ भक्त नाम देव आपकी महिमा का गान कर रहे हैं।
उनके पीछे जनी(नाम देव की दासी जो विठ्ठल महाराज की अनन्य भक्त थीं)आप में भाव-विभोर हो कर खडी हैं।
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DEEPAK SAI PAHWA
"अब तू ही मेरा रेहनुमा,अब तू ही मेरा खुदा है।"
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hemalisoni
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jai sai ram
Re: AARTI OF BABA WITH ITS MEANING
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Reply #3 on:
February 28, 2007, 08:20:12 AM »
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Dear deepak ji, jai sai nath thank you for sharing this meaning with us.
jai sai ram
jai sai ram
jai sai ram
Hemali
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Last Edit: February 28, 2007, 08:22:29 AM by hemalisoni
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deepak_kumar_pahwa
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अब तू ही मेरा रेहनुमा,अब तू ही मेरा खुदा है।
Re: AARTI OF BABA WITH ITS MEANING
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Reply #4 on:
February 28, 2007, 09:47:35 AM »
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उठा उठा(भूपाली)
(श्री कॄ. जा. भीष्म)
उठा उठा श्री साईनाथ गुरु चरणकमल दावा ।
आधिव्याधि भवताप वारुनी तारा जडजीवा ।। ध्रु0 ।।
हे! गुरूदेव श्री साई नाथ,उठिए, हमें अपने चरण्-कमलों के दर्शन दीजिए।
हमारे समस्त मानसिक व शारीरिक कष्टों और सांसारिक क्लेशों का हरण् करके,हम देहधारी जीवों का तारण करिए।
गेली तुम्हां सोडुनियां भवतमरजनी विलया |
परि ही अज्ञानासी तुमची भलवि योगमाया ||
सांसारिक अज्ञानरूपी अंधकार आपको छोड चुका है।
परन्तु हम अज्ञानी लोगों को आपकी योगमाया भ्रम में डाल रही है।
शक्ति न आम्हां यत्किंचितही तिजला साराया ।
तुम्हीच तीतें सारुनि दावा मुख जन ताराया ।। चा0 ।।
हममें इस माया को दूर करने की किंचित भी क्षमता नहीं,
इसलिए आप इस माया के पर्दे को हटाकर लोगों को तारने के लिये अपना मुखदर्शन दीजिए।
भो साइनाथ महाराज भवतिमिरनाशक रवी ।
अज्ञानी आम्ही किती तव वर्णावी थोरवी ।
ती वर्णितां भागले बहुवदनि शेष विधि कवी ।। चा0 ।।
हे साई नाथ महाराज, आप इस संसार के अंधकार को नष्ट करने वाले सूर्ये हैं।
हम अज्ञानी हैं,हम आपकी महिमा का क्या बखान करें।
अनेक शीर्ष वाले आदिशेष(शेषनाग),ब्रह्मा और प्रशस्त कवि भी जिसका बखान करते थक गए हैं।
सकृप होउनि महिमा तुमचा तुम्हीच वदवावा ।। आधि0 ।। उठा0 ।। 1 ।।
कॄपा करके आप ही अपनी महिमा का बखान हमसे करवा लीजिए।
हे! श्री गुरूनाथ उथिए............
बक्त मनीं सद्घाव धरुनि जे तुम्हां अनुसरले ।
ध्यायास्तव ते दर्शन तुमचें द्घारि उभे ठेले ।
अपने मन में सदभाव लेकर जिन भक्तों ने आपका अनुसरण् किया,
वे भक्तजन दर्शन पाने हेतु आपके द्वार पर खडे हैं।
ध्यानस्था तुम्हांस पाहुनी मन अमुचें धालें ।
परि त्वद्घचनामृत प्राशायातें आतुर झालें ।। चा ।।
हम आपको ध्यान में स्थित पाकर आनंद-विभोर हैं,
परन्तु आपके वचनों का अमॄत पीने के लिए आतुर भी हैं।
उघडूनी नेत्रकमला दीनबंधु रमाकांता ।
पाहिं बा कृपादृष्टीं बालका जशी माता ।
रंजवी मधुरवाणी हरीं ताप साइनाथा ।। चा0 ।।
हे दीनों के बन्धु, रमाकांत(भगवान विष्णु) अपने नेत्रकमल खोलकर हम पर वैसे ही कॄपादॄष्टि डालिए जैसी माँ अपने बच्चों को देती है।
हे साईनाथ, आपकी मधुर वाणी हमें आनंद-विभोर करती है और हमारे समस्त कष्ट व संताप हर लेती है।
आम्हीच अपुले काजास्तव तुज कष्टवितों देवा ।
सहन करिशिल तें ऐकुनि घावी भेट कृष्ण धांवा ।। उठा उठा0 ।। आधिव्याधि0 ।। 2 ।।
हे देव हम अपनी परेशानियों से आपको बहुत कष्ट पहुँचातें हैं, फिर भी उन्हें सुनते ही वे सारे कष्ट सहकर आप दौडकर आईए, ऐसी कॄष्ण(रचनाकार का नाम) की आपसे विनती है।
हे! श्री गुरूनाथ उथिए............
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Last Edit: February 28, 2007, 10:11:45 AM by deepak_kumar_pahwa
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DEEPAK SAI PAHWA
"अब तू ही मेरा रेहनुमा,अब तू ही मेरा खुदा है।"
ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम|
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deepak_kumar_pahwa
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अब तू ही मेरा रेहनुमा,अब तू ही मेरा खुदा है।
Re: AARTI OF BABA WITH ITS MEANING
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Reply #5 on:
March 01, 2007, 10:27:32 AM »
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दर्शन द्या(भूपाली)
(संत नामदेव)
उठा पांडुरंगा आतां दर्शन घा सकळां ।
झाला अरुणोदय सरली निद्रेची वेळा ।। 1 ।।
हे! पांडुरंग,उठिए, अब सबको दर्शन दीजिए।
सूर्योदय हो गया है और निद्रा की बेला बीत गयी है।
संत साधू मुनी अवघे झालेती गोळा ।
सोडा शेजे सुख आतां बंघु घा मुखकमळा ।। 2 ।।
संत,साधु,मुनी,सभी एकत्रित हो गए हैं।
अब आप शयन-सुख छोडकर हमें अपने मुखकमल के दर्शन दीजिए।
रंगमंडपी महाद्घारीं झालीसे दाटी ।
मन उतावीळ रुप पहावया दृष्टी ।। 3 ।।
मण्डप से लेकर महाद्वार तक भक्तों की भीड है।
सभी का मन आपके श्रीमुख को देखने के लिए लालायित है।
राही रखुमाबाई तुम्हां येऊं घा दया ।
शेजे हालवुनी जागें करा देवराया ।। 4 ।।
हे राही(
पांडुरंग के सगुण अवतार को समर्पित राधा
) और रखुमाबाई{
रूक्मिणी-भगवान पांडुरंग(विष्णु) की पत्नि
}, हम पर दया करिए।
शैय्या को थोडा हिलाकर देव पांडुरंग को जगाईए।
गरुड हनुमंत उभे पाहती वाट ।
स्वर्गीचे सुरवर घेउनि आले बोभाट ।। 5 ।।
गरूड और हनुंत दर्शन की प्रतीक्षा में खडे हैं,
स्वर्ग से देवी-देवता आकर आपकी महिमा का गान कर रहे हैं।
झालें मुक्तद्घार लाभ झाला रोकडा ।
विष्णुदास नामा उभा घेऊनि कांकाड़ा ।। 6 ।।
द्वार खुल गये हैं और हमें आपके दर्शन का धन प्राप्त हुआ है।
विष्णु दास,नाम देव आरती के लिए काकडा(
घी में डुबोई हुई कपडे की बातियों को लकडी में लपेटकर ज्योती जलाना
) लेकर खडे हैं।
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DEEPAK SAI PAHWA
"अब तू ही मेरा रेहनुमा,अब तू ही मेरा खुदा है।"
ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम|
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deepak_kumar_pahwa
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अब तू ही मेरा रेहनुमा,अब तू ही मेरा खुदा है।
Re: AARTI OF BABA WITH ITS MEANING
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Reply #6 on:
March 08, 2007, 12:16:03 PM »
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पंचारती(अभंग)
(श्री कॄ. जा.भीष्म)
घेउनियां पंचारती । करुं बाबांसी आरती ।। करुं साई सी0 ।। 1 ।।
पंचारती(पाँच बातियों की ज्योत वाली आरती) लेकर हम बाबा की आरती करें।
श्री साई की आरती करें,बाबा की आरती करें।
उठा उठा हो बांधव । ओंवाळूं हा रमाधव ।। सांई र0 ।। ओं 0 ।। 2 ।।
हे बंधुओं उठो,रखुमाधव(भगवान विठ्ठल=विष्णू भगवान) की आरती करें।
श्री साई रमाधव(भगवान कॄष्ण) की आरती करें। साई जो रखुमाधव हैं,उनकी आरती करें।
करुनीयां स्थीर मन । पाहूं गंभीर हें ध्यान ।। साईंचें हें0 ।। पा0 ।। 3 ।।
अपने मन को स्थिर करते हुए हम श्री साई के गंभीर ध्यानस्थ रूप को निरखें।
श्री साई के ध्यानमग्न रूप का दर्शन करें।उनके गंभीर ध्यान को निहारें।
कृष्णनाथा दत्तसाई । जडो चित्त तुझे पायीं ।। साई तु0 ।। जडो0 ।। 4 ।।
हे कॄष्णनाथ(इस आरती के रचनाकार के नाथ= श्री साईनाथ)दत्तसाई(दत्तात्रेय के अवतार श्री साईनाथ), हमारा ये मन आपके चरणों में स्थिर हो।
हे साई देव,हमारा चित्त आपके चरणों मे लीन हो।हमारा ये मन आपके चरणों में स्थिर हो।
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DEEPAK SAI PAHWA
"अब तू ही मेरा रेहनुमा,अब तू ही मेरा खुदा है।"
ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम|
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deepak_kumar_pahwa
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Re: AARTI OF BABA WITH ITS MEANING
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Reply #7 on:
March 10, 2007, 11:51:41 AM »
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चिनमयरूप(काकड आरती)
(श्री कॄ. जा. भीष्म)
कांकडआरती करीतों साईनाथ देवा ।
चिनमयरुप दाखवीं घेउनि बालक-लघुसेवा ।। ध्रु0 ।।
हे साईनाथ देव,मैं(प्रातः बेला)कांकड आरती करता हूँ।
मुझ बालक की अल्प-सेवा को स्वीकार करिए और अपने चिन्मयरूप का दर्शन दीजिए।
काम क्रोध मद मत्सर आटुनी कांकडा केला ।
वैराग्याचे तूप घालुनी मी तो भिजवीला ।
मैंने काम, क्रोध,लोभ और ईर्ष्या को मरोडकर(काकड)बातियाँ बनायी हैं,
और वैराग्य रूपी घी में उन्हें भिगोया है।
साईनाथगुरुभक्तिज्वलनें तो मी पेटविला ।
तद्वृत्ती जाळुनी गुरुनें प्रकाश पाडिला ।
द्घेत-तमा नासूनी मिळवी तत्स्वरुपीं जीवा ।। चि0 ।। 1 ।।
इनको मैंने श्री साईनाथ के प्रति गुरूभक्ति की अग्नि से प्रज्जवलित किया है।
मेरी दुशप्रवत्तियों को जलाकर हे गुरूदेव आपने मुझे आत्मप्रकाशित किया है।
हे साई,आप द्वैतवॄत्ति के अन्धकार को नष्ट कर मेरे जीव को अपने स्वरूप में विलीन कर लीजिए।
अपना चिन्मयरूप्..............
भू-खेचर व्यापूनी अवघे हृत्कमलीं राहरसी ।
तोचि दत्तदेव तू शिरड़ी राहुनी पावसी ।
समस्त पॄथ्वी-आकाश मे व्याप्त आप सभी प्राणियों के ह्रदय में वास करते हैं।
आप ही दत्त गुरूदेव हैं, जो शिरडी में वास करके हमें धन्य करते हैं।
राहुनि येथे अन्यत्रहि तू भक्तांस्तव धांवसी ।
निरसुनियां संकटा दासा अनुभव दाविसी ।
न कळे त्वल्लीलाही कोण्या देवा वा मानवा ।। चि0 ।। 2 ।।
यहाँ(शिरडी में) होते हुए आप अपने भक्तों के लिए कहीं भी दौडते हैं।
भक्तों के संकटों का निवारण करके अपनी अनुभूति देते हैं।
न तो देवता न ही मनुष्य आपकी इस लीला को समझ सके हैं।
त्वघशदुंदुभीनें सारें अंबर हेंकोंदलें ।
सगुण मूर्ति पाहण्या आतुर जन शिरडी आले ।
वे आपके यश की दुंदुभी(एक वाद्य् यत्र्,जिसका प्रयोग जयघोष करने के लिये किया जाता है।) से सारा आकाश और समस्त दिशाएँ गुजायमान हैं।
आपके दिव्य सगुण रूप के दर्शन के लिये आतुर लोग शिरडी आये हैं।
प्राशुनि त्वद्घचनामृत अमुचे देहभान हरपलें ।
सोडूनियां दुरभिमान मानस त्वच्चरणीं वाहिले ।
कृपा करुनियां साईमाउले दास पदरिं ध्यावा ।। चि0 ।। कां0 चि0 ।। 3 ।।
वे आपके वचनामॄत पाकर अपनी सुध-बुध खो चुके हैं |
अपना अभिमान और अहंकार छोडकर आपके चरणों के प्रति समर्पित हैं।
हे साई माँ, कॄपा करके अपने इस् दास को अपने आंचल की छाँव में ले लीजिए।
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Last Edit: March 10, 2007, 11:54:59 AM by deepak_kumar_pahwa
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DEEPAK SAI PAHWA
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ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम|
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Re: AARTI OF BABA WITH ITS MEANING
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Reply #8 on:
March 12, 2007, 10:53:50 AM »
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पंढरीनाथ(काकड आरती)
(संत तुकाराम)
भक्तीचिया पोटीं बोध कांकडा ज्योती ।
पंचप्राण जीवें भावें ओवाळूं आरती ।। 1 ।।
भक्ति से उत्पन्न हुए आत्मबोधी रूपी काकड-ज्योती को लेकर,
अपने जीव के पंचप्राण् और आत्मभाव से मैं आरती उतारता हूँ।
ओंवाळूं आरती माइया पंढरीनाथा ।
दोन्ही कर जोडोनी चरणीं ठेविला माथा ।। ध्रु0 ।।
हे मेरे पंढरीनाथ(पंढरपुर के देव=विठ्ठल भगवान),मेरे साईनाथ, मैं आपकी आरती करता हूँ।
दोनों हाथ जोडकर आपके चरणों पर अपना माथा रखता हूँ।
काय महिमा वर्णूं आतां सांगणे किती ।
कोटी ब्रहमहत्या मुख पाहतां जाती ।। 2 ।।
मैं अब आपकी महिमा का वर्णन कैसे करूँ?इसे कौन कह पाया है?
एक करोड ब्रह्महत्या(जीव-हत्या) जैसे जघन्य पाप भी आपके दर्शन मत्र से नष्ट हो जाता है।
राई रखुमाबाई उभ्या दोघी दो बाहीं ।
मयूरपिच्छ चामरें ढाळिति ठायींचे ठायीं ।। 3 ।।
राही और रखुमाबाई दोनों ओर खडी हुई हैं
और मोरपंखी के चंवर डुला रहीं हैं।
तुका म्हणे दीप घेउनि उन्मनीत शोभा ।
विचेवरी उभा दिसे लावण्यगाभा ।। 4 ।। ओवाळूं 0 ।।
उन्मनी अवस्था में दीप हाथ में लेकर तुका केहते हैं कि
ईंट पर खडे हुए पंडुरंग् की ऐसी लावण्य्मयी शोभा अवर्णीय है।
(अपने अन्नय भक्त पुंडलीक के आग्रह पर श्री विठ्ठल ने ईंट पर खडे हो कर उनकी प्रतीक्षा की थी)
मैं आपकी आरती.........
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DEEPAK SAI PAHWA
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Re: AARTI OF BABA WITH ITS MEANING
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Reply #9 on:
March 13, 2007, 04:29:58 AM »
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पद (उठा उठा)
(संत नामदेव)
उठा साधुसंत साधा आपुलालें हित ।
जाईल जाईल हा नरदेह मग कैंचा भगवंत ।। 1 ।।
साधु-संतों उठो और अपना हित साधो।
यह मानव शरीर तो पल पल नष्ट हो रहा है,इसे खोने के बाद फ़िर भगवत प्राप्ति कैसे होगी?
उठोनियां पहांटे बाबा उभा असे विटे ।
चरण तयांचे गोमटे अमृतदृष्टि अवलोका ।। 2 ।।
प्रातःकाल ही उठकर बाबा ईंट पर खडे हुए हैं।
उनके सुंदर चरणकमल और अमॄत के समान दॄष्टि को निहारो।
उठा उठा हो वेगेंसीं चला जाऊंया राइळासी ।
जळतिल पातकांच्या राशी कांकंडआरती देखिलिया ।। 3 ।।
उठो-उठो चलो हम जल्दी से देवालय पहुँचें।
हमारे पापकर्मों की राशि काकड आरती देखकर ही भस्म हो जाएगी।
जागें करा रुक्मिणीवर, देव आहे निजसुरांत ।
वेंगें लिंबलोण करा दृष्ट होईल तयासी ।। 4 ।।
हे रूक्मिणीवर(भगवान कॄष्ण) जागिए!देव अपने ही लय में विभोर हैं|
चलो जल्दी से नींबू से उनकी नजर उतार लें।
दारीं वाजंत्रीं वाजती ढोल दमामे गर्जती ।
होते कांकडआरती माइया सदगरुरायांची ।। 5 ।।
महाद्वार पर विविध वाद्यों का गान हो रहा है,ढोल और शहनई गूँज रहे हैं।
इस् तरह मेरे सदगुरू की काकड आरती हो रही है।
सिंहनाद शंखभेरी आनंद होतो महाद्घारी ।
केशवराज विटेवरी नामा चरण वंदितो ।। 6 ।।
शंखध्वनि सिंहनाद के जैसे गूँज रही है,महाद्वार में आनन्द ही आनन्द है।
नामदेव ईंट पर खडे हुए प्रभु केशवराज(भगवान कॄष्ण) की वंदना करते हैं।
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DEEPAK SAI PAHWA
"अब तू ही मेरा रेहनुमा,अब तू ही मेरा खुदा है।"
ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम| ॐ साईं राम|
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deepak_kumar_pahwa
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अब तू ही मेरा रेहनुमा,अब तू ही मेरा खुदा है।
Re: AARTI OF BABA WITH ITS MEANING
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Reply #10 on:
March 17, 2007, 11:07:24 AM »
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साईनाथगुरु माझे आई
(पारंपरिक)
साईनाथगुरु माझे आई । मजला ठाव घावा पायीं ।।
हे साईनाथ गुरू, आप मेरी माँ हैं, मुझे अपने चरणों में जगह दीजिए।
दत्तराज गुरु माझे आई । मजला ठाव घावा पायीं ।।
हे गुरू दत्तराज, आप मेरी माँ हैं,मुझे अपने चरणों में जगहा दीजिए।
||श्री सच्चिदानंद सदगुरु साईनाथ महाराज की जय ||
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