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Author Topic: कंडा जलाने का महत्व  (Read 2024 times)

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Offline tanu_12

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कंडा जलाने का महत्व
« on: August 01, 2011, 02:03:16 PM »
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  • कंडा जलाने का महत्व

    भारतीय संस्कृति में धार्मिक क्रियाकलापों यानी पूजा-पाठ के अंतर्गत यज्ञ, धूप-ध्यान या हवन का को बेहद अहम् माना जाता है। यज्ञ-हवन सिर्फ धार्मिक आस्था से जुड़ा कर्मकांड ही नहीं बल्कि पूरी तरह से एक वैज्ञानिक क्रिया है। इसके वैज्ञानिको कारणों को खुद आधुनिक विज्ञान भी स्वीकार करने को मजबूर हुआ है।

    जर्मन, फ्रांस, रूस, इटली आदि अनेक देशों के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च के दोरान यह पाया है कि भारतीय गाय के गोबर को जलाने से हैजा, प्लेग, टाईफाईड, डायरिया, टी.बी. तक के रोगाणु मर जाते हैं। अगर गोबर के उपले के साथ थोडी सी दाख, मुनक्का, किशमिश या गुड जला दिया जाये तो असर और भी अधिक होता है। केवल आधे घण्टे में नब्बे प्रतिशत से अधिक रोगाणु-कीटाणु मर जाते हैं।

    सरल पर बेहद कारगर प्रयोग:

    अगर हम अपने घर में गोबर का एक टुकडा (अपनी उंगली जितना लम्बा और मोटा), थोडा सा देसी घी लगाकर धूप की तरह रोज सुबह-शाम जलायें और उसके साथ दो- चार दाने मुनक्का, दाख, किशमिश या गुड जलायेंगे तो हमारे घर में कभी भी कोई कीटाणुजन्य रोग होगा ही नहीं। कोई रोग होगा तो उसमें भी इस प्रयोग से निश्चित रूप से फायदा होगा। गोबर की बत्तियां बनाते समय अगर उसमें थोडा तगर,जीरा, जटामासी, बचा, ब्रह्मी आदि डाल सकें तो और भी कई लाभ होंगे।


    स्त्रोत - जीवन मंत्र, दैनिक भास्कर
    « Last Edit: August 01, 2011, 02:06:21 PM by tanu_12 »
    Man Ke Gehre Andhiyare Me "Sai" Naam Diye Jaisa

    Give Light, and the darkness will disappear of itself...

     


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