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Author Topic: GURU KRIPA .............  (Read 101439 times)

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Offline ShAivI

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  • बाबा मुझे अपने ह्र्दय से लगा लो, अपने पास बुला लो।
Re: GURU KRIPA .............
« Reply #30 on: April 02, 2013, 02:01:43 AM »
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  • OM SAI RAM!!!

    If you recognize that you have ego, don't try to get rid of it,
    just keep it in your pocket. If you try to get rid of it, that
    itself will become the cause for a bigger ego trip. The only
    antidote for ego is being natural. You want to get rid of your
    ego because it is bothering you more than it is bothering others.
    So if you find that there is ego in you, let it be.
    We will not meddle with it. If it comes, let it come

    यदि तुम पहचानते हो कि तुममें अहंकार है, उससे छुटकारा पाने की चेष्टा न करो,
    उसे जेब में रखो। यदि उससे छुटकारा पाने की चेष्टा करोगे तो वह एक बड़े अहंकार
    का कारण हो सकता है। अहंकार की एकमात्र दवा सहजता है। तुम अहंकार से छुटकारा
    इसलिए चाहते हो क्योंकि वह दूसरों से अधिक तुम्हें परेशान कर रहा है। तो यदि तुम्हें
    स्वयं में अहंकार दिखे, उसे रहने दो। वह आता है, तो आने दो।


    Sri Sri Ravi Shankar
    « Last Edit: April 02, 2013, 11:29:12 PM by ShAivI »

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    Re: GURU KRIPA .............
    « Reply #31 on: April 02, 2013, 02:04:13 AM »
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  • ॐ साईं राम !!!

    People, who become sad in unfavourable circumstances
    and happy in favourable ones, are comparable to iron.
    Those, who remain happy in adverse circumstances,
    are comparable to gold. Those, who remain in perfect
    equanimity in favourable or unfavourable circumstances,
    are like precious gems. But the rare ones, who are
    beyond the reach of happiness and sorrow, are the
    true emperors.

    दुःख में दुःखी और सुख में सुखी होने वाले लोहे जैसे होते हैं |
    दुःख में सुखी रहने वाले सोने जैसे होते हैं |
    सुख-दुःख में समान रहने वाले रत्न जैसे होते हैं,
    परन्तु जो सुख-दुःख की भावना से परे रहते हैं वे ही सच्चे सम्राट हैं |


    परम पूज्य बापूजी

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    Re: GURU KRIPA .............
    « Reply #32 on: April 02, 2013, 02:05:50 AM »
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  • OM SAI RAM!!!

    To move from compulsiveness to choice is evolutionary
    But to move from choice to choicelessness is revolutionary.

    विवशताओं से विकल्पों  की और बढ़ना  विकास का चिन्ह है
    मगल विकल्प से निर्विकल्प की स्थिथि में पहुंचना क्रांतिकारी है!


    Sadguru Jaggi Vasudev

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    • बाबा मुझे अपने ह्र्दय से लगा लो, अपने पास बुला लो।
    Re: GURU KRIPA .............
    « Reply #33 on: April 03, 2013, 05:10:07 AM »
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  • OM SAI RAM!!!

    Just look at yourself. How many flaws you have!
    And Nature, the Divine, has accepted you with all your flaws.
    She has taken you in her arms. She never says,
    “You are so bad today, you are yelling at me, I will not let
    air into your nose! I am going to stop pumping your heart!”
    Nature does not judge you.

    ज़रा अपनी ओर देखो| कितने दोष हैं तुममें! पर प्रकृति ने, इश्वर ने तुम्हें सभी
    दोषों के साथ भी स्वीकार कर लिया है| उसने तुम्हें अपनी बाहों में ले लिया है|
    वह कभी नहीं कहती, "तुमने आज बहुत बुरा बर्ताव किया, मुझे बुरा भला कहा,
    मैं तुममें श्वास नहीं जाने दूँगी| तुम्हारा दिल धड़काना बंद कर दूँगी|" प्रकृति कभी
    तुम्हें आंककर तुम पर निर्णय नहीं लेती|।


    Sri Sri Ravi Shankar

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    • बाबा मुझे अपने ह्र्दय से लगा लो, अपने पास बुला लो।
    Re: GURU KRIPA .............
    « Reply #34 on: April 03, 2013, 05:11:22 AM »
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  • ॐ साईं राम !!!

    आलस्य और प्रमाद योग्यताओं के बड़े शत्रु हैं तथा संयम और तत्परता सफलता की कुंजी है.
    जो इनका महत्व जानते हैं वे ही जीं में सफल होतें हैं !|


    परम पूज्य बापूजी

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    • बाबा मुझे अपने ह्र्दय से लगा लो, अपने पास बुला लो।
    Re: GURU KRIPA .............
    « Reply #35 on: April 03, 2013, 05:13:35 AM »
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  • OM SAI RAM!!!

    The fist and foremost thing that you owe to yourself is to be 100% honest atleast with yourself.

    खुद के प्रति जो आपकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है  - वह यह है की आप १००% इमानदार रहे, कम से कम खुद के साथ!


    Sadguru Jaggi Vasudev

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    Re: GURU KRIPA .............
    « Reply #36 on: April 04, 2013, 05:28:51 AM »
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  • OM SAI RAM!!!

    When you share your misery, it doesn't reduce,
    but when you don't share your joy, it reduces.
    Share your problems only with the Divine -
    with anybody else, it just increases the problem.
    Share your joy with everybody.

    जब तुम अपना दुःख बांटते हो, तो वह कम नहीं होता,
     पर जब तुम अपनी प्रसन्नता नहीं बांटते,
    तो वह कम हो जाती है। अपनी समस्याएं केवल इश्वर के साथ बांटो
     - किसी और से बांटने से वे केवल बढती ही हैं।
    अपना आनंद सब के साथ बांटो।


    Sri Sri Ravi Shankar

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    Re: GURU KRIPA .............
    « Reply #37 on: April 04, 2013, 05:30:32 AM »
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  • ॐ साईं राम !!!

    If your mind is pure, has no vices of jealousy or hatred,
    then nothing in this world can harm us. Even the vicinity
    of such a Saint of Supreme Bliss and peace will transform
    a man mad with anger into a docile gentleman. Wild lions
    and wolves become intoxicated with love at the sight of
    such a Saint. Even snakes and scorpions forget their wild nature !

    यदि हमारा मन ईर्ष्या-द्वेष से रहित बिल्कुल शुद्ध हो तो जगत की कोई वस्तु
     हमें नुक्सान नहीं पहुँचा सकती | आनंद और शांति से भरपूर ऐसे महात्माओं
    के पास क्रोध की मूर्ति जैसा मनुष्य भी पानी के समान तरल हो जाता है |
     ऐसे महात्माओं को देख कर जंगल के सिंह और भेड़ भी प्रेमविह्वल हो जाते हैं |
     सांप-बिच्छू भी अपना दुष्ट स्वभाव भूल जाते हैं |


    परम पूज्य बापूजी

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    Re: GURU KRIPA .............
    « Reply #38 on: April 04, 2013, 05:34:47 AM »
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  • OM SAI RAM!!!

    They say "seeing in believing" but everyone sees what they want to see !

    एक कहावत है! "जो दीखता है उसी पर विश्वास करो"
    पर इंसान वही देखता है जो वह देखना चाहता है !


    Sadguru Jaggi Vasudev

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    Re: GURU KRIPA .............
    « Reply #39 on: April 10, 2013, 01:12:58 AM »
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  • OM SAI RAM!!!

    There are some who justify their actions all the time,
    and some who find fault with themselves all the time.
    Both will create a sort of imbalance. Take a middle path,
    where you can look into your actions to see how you can
    improve and at the same time, look forward. See what you
    want to do, move forward and drop the past. Don't go on
    doing a post-mortem of the past all the time.

    कुछ लोग स्वयं को उचित सिद्ध करते रहते हैं और कुछ लोग स्वयं में
    दोष ढूँढते रहते हैं। दोनों से असंतुलन उत्पन्न होगा। मध्यम मार्ग लो
    जिसमें तुम अपने कर्मों को देखकर उन्हें बहतर कर सको और साथ ही
     सामने देख पाओ। देखो तुम्हें क्या करना है, भूतकाल को छोड़ो और
    आगे बढ़ो। हर समय गयी बातों का विश्लेषण मत करते रहो।


    Sri Sri Ravi Shankar

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    Re: GURU KRIPA .............
    « Reply #40 on: April 10, 2013, 01:14:46 AM »
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  • ॐ साईं राम !!!

    दुःख का पहाड़ गिरता हो और तुम परमात्मा में डट जाओ तो वह पहाड़ रास्ता
    बदले बिना नहीं रह सकता। दुःख का पहाड़ प्रकृति की चीज है। तुम परमात्मा
    में स्थित हो तो प्रकृति परमात्मा के खिलाफ कभी कदम नहीं उठाती। ध्यान
    में जब परमात्म-स्वरूप में गोता मारो तो भय, चिन्ता, शोक, मुसीबत ये सब
    काफूर हो जाते हैं। जैसे टॉर्च का प्रकाश पड़ते ही ठूँठे में दिखता हुआ चोर भाग
    जाता है वैसे ही आत्मविचार करने से, आत्म-भाव में आने मात्र से भय, शोक,
    चिन्ता, मुसीबत, पापरूपी चोर पलायन हो जाते हैं। आत्म-ध्यान में गोता लगाने
    से कई जन्मों के कर्म कटने लगते हैं। अभी तो लगेगा कि थोड़ी शान्ति मिली,
    मन पवित्र हुआ लेकिन कितना अमाप लाभ हुआ, कितना कल्याण हुआ इसकी
    तुम कल्पना तक नहीं कर सकते। आत्म ध्यान की युक्ति आ गयी तो कभी भी
    विकट परिस्थितियों के समय ध्यान में गोता मार सकते हो।


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    Re: GURU KRIPA .............
    « Reply #41 on: April 10, 2013, 01:18:11 AM »
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  • OM SAI RAM!!!

    "Fundamentally, there are only two types of spiritual
    processes in the world - the path of Samadhi and the
    path of Pragna. Pragna means the path of awareness;
    Samadhi means the path of dissolution.”

    “If you are in Samyama, the body will be there, mind will
    be there, world will be there but you are not part of all these
    three things. If you are free from these three things, there
    can be no suffering. If you are in the body, body can suffer,
    if you are in the mind, mind can suffer, if you are in the world,
    world can make you suffer. If you are not in any of these three
    things, you are outside of these three things, this is your
    Mukthi - That is the aim of Samyama. It is the height of awareness,
    where your witnessing has separated everything".


    Sadguru Jaggi Vasudev

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    Re: GURU KRIPA .............
    « Reply #42 on: April 20, 2013, 01:41:22 AM »
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  • OM SAI RAM!!!

    Quantum physics says "Everything is Nothing".
    Spiritual knowledge says "Nothing is Everything"
    and meditation is an appointment with nothing.
    If you hold onto everything, then you get nothing.
    If you are well-versed with nothing,
    then you get everything!


    Sri Sri Ravi Shankar

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    Re: GURU KRIPA .............
    « Reply #43 on: April 20, 2013, 01:52:15 AM »
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  • ॐ साईं राम !!!

    भगवान जिसे अपनाते हैं,
    उसे और कुछ नहीं देते,
    जिसे काबिल नहीं समजते, उसे सबकुछ देते हैं!।


    परम पूज्य बापूजी

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    Re: GURU KRIPA .............
    « Reply #44 on: April 20, 2013, 01:53:36 AM »
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  • OM SAI RAM!!!

    The spiritual process is not a therapy -
    It is a device to liberate.

    आध्यात्मिक प्रक्रिया, रोग का कोई इलाज नहीं है,
    यह मुक्ति का एक साधन है !


    Sadguru Jaggi Vasudev

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