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Main Section => Spiritual influence on Lifestyle => Topic started by: ShAivI on February 23, 2012, 07:04:23 AM

Title: साई की चिट्ठी अपने बच्चों के नाम
Post by: ShAivI on February 23, 2012, 07:04:23 AM


Dedicating this post to my TWO ANMOL RATANS!!!  :D




ॐ साईं राम!!!

॥ साई की चिट्ठी अपने बच्चों के नाम ॥

प्यारे बच्चे ,

आज सबेरे जब तुम नींद से जागे तब एक आशा लिए मैं तुमको देख रहा था की तुम अवश्य मुझसे कुछ बातें करोगे ।
चाहे केवल थोड़े ही शब्दों मे क्यों न हो मगर तुम मुझसे अवश्य ही कुछ बात करोगे । तुम मेरा अभिप्राय जानना
चाहोगे, या फिर कल तुम्हारे जीवन मे जो-जो भी शुभ घटनाएँ घटी उनके लिए तुम मुझे धन्यवाद दोगे। किन्तु
मैंने देखा की तुम अत्यंत ही व्यस्त थे । कार्यस्थल पहुँचने की जल्दी मे तुम तुम्हारे प्रातः कार्यों को निपटाने
 मे व्यस्त थे । मैंने सोचा की तुम इस कार्यों से निपट कर मुझे याद करोगे .... और मैं प्रतीक्षा करना रहा ...
जब तुम तैयार होकर घर से निकल पड़े , तब मैं समझता था की कुछ मिनट ठहरकर तुम मुझे नमस्कार या
 हेलो जरूर करोगे ,किन्तु मैंने देखा की तुम तब भी बहुत व्यस्त थे और मुझसे बात किए बिना ही कार्यस्थल
पर पहुँच गए । वहाँ पहुँचने के बाद भी तुम्हारे पास पर्याप्त समय था मुझे याद करने के लिए , परंतु तुमने मुझे
याद नहीं किया , बल्कि तुम उठे और फोन उठा कर किसी मित्र से गपशप करने लगे । मैंने सोचा मित्र से गपशप
करने के बाद शायद तुम्हें अपने साई मित्र की याद आएगी और मुझसे जरूर बात करोगे , और मैं प्रतीक्षा करता
रहा ....तुम्हारी इन प्रवर्तियों को देखकर मैंने अनुमान लगाया की तुम इतने व्यस्त थे की तुम्हारे पास मुझसे बात
 करने का समय नहीं था ...और मैं धैर्यता पूर्वक तुम्हें कार्य करते हुए देखता रहा तथा इंतजार करता रहा की तुम
समय निकाल कर मुझसे बात अवश्य करोगे । भोजन के पूर्व जब तुमने आस-पास नज़र दोड़ाई तो मुझे लगा की
तुम मुझसे बात करने को व्याकुल हो । परंतु तुम मुझे नहीं बल्कि तुम्हारे किसी मित्र को देख रहे थे ,जिसपे पर
नज़र पड़ते ही उसे तुमने अपने पास बुलाया और साथ खाना खाने को कहा । तुमने मुझे एक बार भी याद नहीं
किया .... और मैं प्रतीक्षा करता रहा की तुम मुझे याद करोगे ....जब तुम कार्यस्थल से वापस घर पहुंचे तब भी
मैंने ये आस रखी की तुम मुझसे बात करोगे । परंतु कुछ कार्य पूर्ण हो जाने के बाद तुमने टीवी चालू किया और
उसके सामने बैठ गए । मैंने ये नहीं समझ पा रहा हूँ की तुम्हें टीवी इतना पसंद क्यों है ? प्रति दिन तुम टीवी
मे अपना बहुत समय व्यर्थ करते हो । मैं सब्र पूर्वक इंतजार करता रहा और आशा भरी निगाहों से तुमको टीवी
देखते हुए , रात्री का भोजन करते हुए ,  गपशप करते हुए निहारता रहा ...की अब तुम मुझसे कुछ बात करोगे,
परंतु तुमने मुझसे कोई बातचीत नहीं की । थके -हारे जब तुम अपने बिस्तर की और जा रहे थे तो मैंने सोचा की
 सोने से पहले तुम मुझे अवश्य याद करोगे , परंतु अपने परिवारजनों को शुभ रात्री करते हुए तुम लेट गए और
 कुछ ही क्षणो मे निद्रालीन हो गए... और मैं प्रतीक्षा करता रहा ...शायद तुमको ये एहसास ही नहीं होगा की
मैं आसपास ही रहता हूँ । मेरे पास तुम्हें देने के लिए बहुत कुछ है और वो सब मैं तुम्हें देना चाहता हूँ ।

मैं तुम्हें इतना अधिक प्यार करता हूँ की हररोज़ तुम्हारी आराधना , तुम्हारे दिल का प्यार , हृदय के उदगारों को
सुनने के लिए प्रतीक्षा करता रहता हूँ। अच्छा , फिर से तुम सॉकर उठ रहे हो .... फिर एक बार मैं प्रतीक्षा कर रहा हूँ ....

दिल मे तुम्हारे प्रति बेहद प्यार लेकर इसी आस मे की तुम आज तो मेरे लिए कुछ समय जरूर निकलोगे ।

तुम्हारा दोस्त साई....

ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम!!!