सस्ते में कैसे कमाए पुण्य
1. घर या अपनी दूकान के बाहर पानी का मटका रखे
2. समर्थ हो तो जिस भी मन्दिर में जाए कम से कम एक दो रुपय आवश्य दान पात्र में डाल दे
मन्दिरों में उत्सव होते हैं, भंडारे होते रहते हैं, भगवान को सुन्दर पोशाक भी पहनाई जाती हैं न जाने किस शुभ कार्य में आपकी पाई लग जाए
3. अगर आपको कोई भक्त ऐसा मिले जो अपने प्रिय इष्ट के दर्शन हेतु तीर्थ पर न जा पा रहा हो तो उसकी तीर्थयात्रा के लिय खर्च देदें
यह बहुत ही पुण्य का कार्य हैं।
एक सच्चे भक्त की मदद जो करता हैं, भगवान उसपर अपने भक्त से भी पहले कृपा करते हैं।
4. गर्मी के दिनों में लोग पानी और भोजन आदि के स्टॉल लगा लेते हैं सड़क पर यह भी जन सेवा का बहुत ही अच्छा तरीका हैं।
शरबत जल छाछ आदि अपने सामर्थ्य अनुसार बाटें।
आप सत्तू भी बाँट सकते हैं क्यू की यह बहुत ही पौष्टिक होता हैं और स्वाद में भी अच्छा,
सत्तू भूने हुए जौ और चने को पीस कर बनाया जाता है।
, जो की किराने की दूकान पर आसानी से सस्ते में मिल जाता हैं
इसे केवल पानी में मिलाये और चीनी मिलाये, हो गया स्वास्थवर्धक सत्तू तैयार।
दिन भर दौड़ भाग में लगे भक्त जब आपको ऐसे धुप में सेवा करते देखेंगे तो उनके मन से दुआ निकलेगी और
वरदान और श्राप देने में समर्थ भी वही हैं जिसका कुछ तप हो।
बाकी लोग तो बस डराते हैं हाहा।
शुभ कार्य में देरी नहीं करनी चाहिए ।
5.अपनी ringtone callertune किसी फ़िल्मी गाने की बजाय कोई नाम संकीर्तन या भजन लगाये और आपके पास स्कूटर या car हैं तो उसपर बाबा का चित्र लगाये ये भी पूण्य का काम हैं क्यू की जब भक्त जन अपने परम प्रिय नाथ भगवन साईं को कही देखते हैं तो भाव विभोर हो जाते हैं
भले ही हमे उनका एक क्षण भी विस्मरण न होता हो फिर भी।
जब नारद मुनि जी से भागवत धर्म के बारे में प्रश्न किया गया तब नारद जी ने कहा की आपने मुझे हरी का स्मरण करा दिया ऐसे में एकनाथ महराज कहते हैं की मूढ़ मति ही इस बात का यह अर्थ लगायेंगे की वो कभी हरी भूले थे,
इसका सच्चा अर्थ भक्त जानते हैं।
जब मुझे समाजिक स्थलों पर जगह जगह (जैसे खम्बो और चौराहों इत्यादि) राम राम या राधे राधे के बड़े बड़े नीले कागज़ पर सफ़ेद रंग में लिखे हुए पोस्टर्स दीखते हैं मुझे बड़ा आह्लाद होता हैं की किस भाग्यवान ने यह शुभ कार्य किया हैं।भला हो उस संस्था या जिसने भी ये posters लगाये हैं, उसका।मेरे मन से यह दुआ निकलती हैं की भला हो उन भक्तो का जो चिलचिलाती धुप में भी शर्बत बांटते हैं।
गुरुद्वारों में हो रही लंगर आदि सेवा किसे भाव विभोर नही कर देती??
शिर्डी में चल रहे सेवा प्रकल्पो की तो, वाह, बात ही क्या वहाँ तो जैसे साईं ही अपने बच्चो को हर तरह से प्रेम देने को तैयार बैठे हैं।
6 .आपके एरिया में कोई मंदिर नहीं हैं तो सोसाइटी के लोग मिलकर मंदिर बनवाये
भले ही आप कितने भी अमीर हो परन्तु ये कार्य चंदा लेकर करे ताकि बाकी लोगो को भी मन्दिर के कामो में उत्सुकता बनी रहे
वैसे भी बाबा की मूर्ती के लिय प्राण प्रतिष्ठा की भी आवश्यकता नही होती।
7. अगर आपको लगता हैं की आपका social स्टेटस बड़ा हैं और आप सेवा इतना खुलकर करने में झिझकते हैं तो आप किसी ऐसे भक्त को सब सामग्री दे जिसकी इच्छा हो पूण्य कर्म के लिय परन्तु सामर्थ्य न होने के कारण न कर पा रहा हो।
पुण्य कमाने का लालच भले ही न हो
ये सेवा के कार्य तो हमे प्रभु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिय कर ही लेने चाहिए।
अथवा कोई आपका काम न बन रहा हो तो उसकी सिद्धि के लिय बाबा से सङ्क्ल्प ले कर करे की बाबा मै यह सेवा इस कामना की पूर्ती के लिय करूँगा, दया करे प्रभु।
जय साईं राम