Join Sai Baba Announcement List


DOWNLOAD SAMARPAN - Nov 2018





Author Topic: रामायण - बालकान्ड - कामदेव का आश्रम  (Read 3315 times)

0 Members and 1 Guest are viewing this topic.

Offline JR

  • Member
  • Posts: 4611
  • Blessings 35
  • सांई की मीरा
    • Sai Baba
दूसरे दिन ब्राह्म-मुहूर्त्त में उठ कर मुनि विश्वामित्र तृण शैयाओं पर सोते हुये राम और लक्ष्मण के पास जा कर बोले, "हे राम और लक्ष्मण! उठो। रात्रि समाप्त हो गई है। कुछ ही काल में भगवान भुवन-भास्कर पूर्व दिशा में उदित होने वाले हैं। जिस प्रकार वे अन्धकार को समाप्त कर समस्त दिशाओं में प्रकाश फैलाते हैं उसी प्रकार तुम्हें भी अपने पराक्रम से राक्षसों का विनाश करना है। नित्य कर्म से निवृत होकर सन्ध्या-उपासना करो। अग्निहोत्रादि से देवताओं को प्रसन्न करो। आलस्य को त्याग कर शीघ्र उठ जाओ क्योंकि अब सोने का समय नहीँ है।".

गुरु की आज्ञा पाते ही दोनों भाइयों ने शैया त्याग दिया और स्नान ध्यान आदि से निवृत होकर मुनिवर के साथ गंगा तट की ओर चल दिये। वे गंगा और सरयू के संगम पर पहूँचे। वहाँ पर ऋषि-मुनियों तथा तपस्वियों के शान्त व सुन्दर आश्रम बने हुये थे। एक सर्वाधिक सुन्दर आश्रम को देखकर रामचन्द्र ने गुरु विश्वामित्र से पूछा, "हे गुरुवर! इस परम रमणीक आश्रम में कौन से ऋषि निवास करते हैं?" राम के प्रश्न के उत्तर में मुनि ने बताया, " हे राम! यह एक विशेष आश्रम है। किसी समय कैलाशपति महादेव ने यहाँ घोर तपस्या की थी। समस्त संसार उनकी तपस्या को देखकर विचलित हो उठा था। भयभीत होकर देवराज इन्द्र ने उनके तप को भंग करने का निश्चय किया और इस कार्य के लिये उन्होंने कामदेव को नियुक्त कर दिया। कामदेव ने भगवान शंकर पर एक के बाद एक कई बाण छोड़े जिसके कारण उनकी तपस्या में बाधा पड़ी। क्रुद्ध होकर भगवान शंकर ने अपना तीसरा नेत्र खोल दिया। उस तीसरे नेत्र की तेजोमयी ज्वाला से जल कर कामदेव भस्म हो गया। देवता होने के कारण कामदेव की मृत्यु नहीं हुई केवल शरीर ही नष्ट हुआ। अंग नष्ट हो जाने के कारण उसका नाम अनंग हो गया। इस घटना के यहाँ पर घटित होने के कारण इस स्थान का नाम अंगदेश पड़ गया। यह भगवान शिव का आश्रम है किन्तु भगवान शिव के द्वारा यहाँ पर कामदेव को भस्म कर देने के कारण इसे कामदेव का आश्रम भी कहते हैं।"

गुरु विश्वामित्र की आज्ञानुसार सभी ने वहीं रात्रि विश्राम करने का निश्चय किया। राम और लक्ष्मण दोनों भाइयों ने वन से कंद-मूल-फल लाकर मुनिवर को समर्पित किये और गुरु के साथ दोनों भाइयों ने प्रसाद ग्रहण किया। तत्पश्चात् स्नान, सन्ध्या-उपासना आदि से निवृत होकर राम और लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र से अनेक प्रकार की कथाएँ तथा धार्मिक प्रवचन सुनते रहे। अन्त में गुरु की यथोचित सेवा करने के पश्चात् आज्ञा पाकर वे परम पवित्र गायत्री मन्त्र का जाप करते हुये तृण शैयाओं पर जा कर सो गये।

सबका मालिक एक - Sabka Malik Ek

Sai Baba | प्यारे से सांई बाबा कि सुन्दर सी वेबसाईट : http://www.shirdi-sai-baba.com
Spiritual India | आध्य़ात्मिक भारत : http://www.spiritualindia.org
Send Sai Baba eCard and Photos: http://gallery.spiritualindia.org
Listen Sai Baba Bhajan: http://gallery.spiritualindia.org/audio/
Spirituality: http://www.spiritualindia.org/wiki

 


Facebook Comments