DwarkaMai - Sai Baba Forum
Indian Spirituality => Stories from Ancient India => Topic started by: JR on March 19, 2007, 07:33:16 AM
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माता लक्ष्मी जी की अनोखी कहानी
एक दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर भ्रमण करने और वहाँ पर रहने वाले लोगों को देखने की इच्छा माता लक्ष्मी को बतायी । तो माता लक्ष्मी ने कहा कि हे प्रभु मैं भी आपके साथ चल सकती हूँ क्या । तब विष्णु भगवान ने एक मिनट सोचा और कहा कि ठीक है चलो परन्तु एक शर्त है । तुम उत्तर दिशा की तरफ नहीं देखोगी ।
माता लक्ष्मी ने अपनी सहमति दे दी और वे शीघ्र ही पृथ्वी पर भ्रमण के लिये निकल गये । पृथ्वी बहुत ही सुन्दर दिख रही थी और वहाँ पर बहुत ही शान्ति थी । देखते ही माता लक्ष्मी बहुत ही खुश हुई और भूल गयी कि भगवान विष्णु ने उनसे क्या कहा था । वह उत्तर दिशा में देखने लगी । तभी उन्हें बहुत ही खुबसूरत फूलों का एक बगीचा दिखा जहाँ पर बहुत ही सुन्दर खुशबू आ रही थी । वह एक छोटा सा फूलों का खेत था । माता लक्ष्मी बिना सोचे ही उस खेत पर उतरी और वहाँ से एक फूल तोड़ लिये ।
भगवान विष्णु ने जब यह देखा तो उन्होंने माता लक्ष्मी को अपनी भूल याद दिलायी । और कहा कि किसी से बिना पूछे कुछ भी नहीं लेना चाहिये । इस पर भगवान विष्णु के आँसू आ गये ।
माता लक्ष्मी ने अपनी भूल स्वीकार की और भगवान विष्णु से माफी माँगी । तब भगवान विष्णु बोले कि तुमने जो भूल की है उसके लिये तुम्हें सजा भी भुगतनी पड़ेगी । तुम जिस फूल को बिना उसके माली से पूछे लिया है अब तुम उसी के घर में 3 साल के लिये नौकरानी बनकर उसकी देखभाल करोगी । तभी मैं तुम्हें बैकुण्ड में वापिस बुलाऊंगा ।
माता लक्ष्मी एक औरत का रुप लिया और उस खेत के मालिक के पास गयी । मालिक का नाम माधवा था । वह एक गरीब तथा बड़े परिवार का मुखिया था । उसके साथ उसकी पत्नी, दो बेटे और तीन बेटियां एक छोटी सी झोपड़ी में रहती थी । उनके पास सम्पत्ति के नाम पर सिर्फ वही एक छोटा सा भूमि का टुकड़ा था । वे उसी से ही अपना गुजर बसर करता था ।
माता लक्ष्मी उसके घर में गयी तो माधवा ने उन्हें देखा और पूछा कि वह कौन है । तब माता लक्ष्मी ने कहा कि मेरी देखभाल करने वाला कोई नहीं है मुझ पर दया करो और मुझे अपने यहाँ रहने दो मैं आपका सारा काम करुँगी । माधव एक दयालु हृदय का इनसान था लेकिन वह गरीब भी था, और वह जो कमाता था उसमें तो बहुत ही मुश्किल से उसी के घर का खर्चा चलता था परन्तु फिर भी उसने सोचा कि यदि मेरे तीन की जगह चार बेटियाँ होती तब भी तो वह यहाँ रहती यह सोचकर उसने माता लक्ष्मी को अपने यहाँ शरण दे दी । और इस तरह माता लक्ष्मी तीन साल तक उसके यहाँ नौकरानी बनकर रही ।
जैसे ही माता लक्ष्मी उसके यहाँ आयी तो उसने एक गाय खरीद ली और उसकी कमाई भी बढ़ गयी अब तो उसने कुछ जमीन और जेवर भी खरीद लिये थे और इस तरह उसने अपने लिये एक घर और अच्छे कपड़े खरीदे । तथा अब हर किसी के लिये एक अलग से कमरा भी था ।
इतना सब मिलने पर माधव ने सोचा कि यह सब कुछ मुझे इसी औरत (माता लक्ष्मी) के घर में प्रवेश करने के बाद मिला है वही हमारे भाग्य को बदलने वाली है । 2.5 साल निकलने के बाद माता लक्ष्मी ने उस घर में प्रवेश किया और उनके साथ एक परिवार के सदस्य की तरह रही परन्तु उन्होंने खेत पर काम करना बन्द नहीं किया । उन्होनें कहा कि मुझे अभी अपने 6 महीने और पूरे करने है । जब माता लक्ष्मी ने अपने 3 साल पूरे कर लिये तो एक दिन की बात है कि माधव अपना काम खत्म करके बैलगाड़ी पर अपने घर लौटा तो अपने दरवाजे पर अच्छे रत्न जड़ित पोशाक पहने तथा अनमोल जेवरों से लदी हुई एक खुबसूरत औरत को देखा । और उसने कहा कि वह कोई और नहीं माता लक्ष्मी है ।
तब माधव और उसके घर वाले आश्चर्य चकित ही रह गये कि जो स्त्री हमारे साथ रह रही थी वह कोई और नहीं माता लक्ष्मी स्वयं थी । इस पर उन सभी के नेत्रों से आँसू की धारा बहने लगी और माधवा बोला कि यह क्या माँ हमसे इतना बड़ा अपराध कैसे हो गया । हमने स्वयं माता लक्ष्मी से ही काम करवाया ।
माता हमें माफ कर देना । तब माधव बोला कि हे माता हम पर दया करो । हममे से कोई भी नहीं जानता था कि आप माता लक्ष्मी है । हे माता हमें वरदान दीजिये । हमारी रक्षा करिये ।
तब माता लक्ष्मी मुस्कुरायी और बोली कि हे माधव तुम किसी प3कार की चिन्ता मत करो तुम एक बहुत ही दयालु इनसान हो और तुमने मुझे अपने यहाँ आसरा दिया है उन तीन सालों की मुझे याद है मैं तुम लोगों के साथ एक परिवार की तरह रही हूँ ।
इसके बदले में मैं तुम्हें वरदान देती हूँ कि तुम्हारे पास कभी भी धन की और खुशियों की कमी नहीं होगी । तुम्हें वो सारे सुख मिलेंगे जिसके तुम हकदार हो ।
यह कहकर लक्ष्मी जी अपने सोने से बने हुये रथ पर सवार होकर बैकुण्ठ लोक चली गयी ।
यहाँ पर माता लक्ष्मी ने कहा कि जो लोग दयालु, और सच्चे हृदय वाले होते है मैं हमेशा वहाँ निवास करती हूँ । हमें गरीबों की सेवा करनी चाहिये ।
इस कहानी यह उपदेश है कि जब छोटी सी गलती पर भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को भी सजा दी तो हम तो बहुत ही मामूली इनसान है । फिर भी भगवान की हमेशा हम पर कृपा बनी रहती है । हर किसी इनसान को दूसरे इनसान के प्रति दयालुता का भाव रखना चाहिये हमें जो भी कष्ट और सुख मिल रहे है वह हमारे पुराने जन्मों के कर्म है ।
अतः अन्त में यही कहना चाहूँगी कि हर किसी को भगवान पर श्रद्घा और सबुरी रखनी चाहिये अन्त में वही हमारी नैया पार लगाते है ।
जय सांई राम
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OM SRI SAI RAM
Jyoti ji, Sai Ram!
This is a new story. I have never heard it before.
The moral of the story is excellent and every one should read this story and also tell and circulate among the children.
Thank You once again
Jai Sai Ram
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Sai Ram
Today I read this story in children magzine and I ask her to type in hindi. Well done Jyoti.
Sai Ram
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JAI SAI RAM
Aapki Kahani padkar bahut acha laga!
Mere jeevan mein ek dukh hai jo mujhe bar bar yaad aata hai lekin mein use bhul jaan chahta hu. Kyoki mein ek aisa kaam karne jaa raha tha jo mujhe nahi karna chaiye tha.
Mein sab kuch bhul jana chahta hu! aur apna dhyan SAI BABA ki bhaki mein lagana chahta hu.
Kripa karke meri help kijiye. Aapki kripa hogi.
Sumit
माता लक्ष्मी जी की अनोखी कहानी
एक दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर भ्रमण करने और वहाँ पर रहने वाले लोगों को देखने की इच्छा माता लक्ष्मी को बतायी । तो माता लक्ष्मी ने कहा कि हे प्रभु मैं भी आपके साथ चल सकती हूँ क्या । तब विष्णु भगवान ने एक मिनट सोचा और कहा कि ठीक है चलो परन्तु एक शर्त है । तुम उत्तर दिशा की तरफ नहीं देखोगी ।
माता लक्ष्मी ने अपनी सहमति दे दी और वे शीघ्र ही पृथ्वी पर भ्रमण के लिये निकल गये । पृथ्वी बहुत ही सुन्दर दिख रही थी और वहाँ पर बहुत ही शान्ति थी । देखते ही माता लक्ष्मी बहुत ही खुश हुई और भूल गयी कि भगवान विष्णु ने उनसे क्या कहा था । वह उत्तर दिशा में देखने लगी । तभी उन्हें बहुत ही खुबसूरत फूलों का एक बगीचा दिखा जहाँ पर बहुत ही सुन्दर खुशबू आ रही थी । वह एक छोटा सा फूलों का खेत था । माता लक्ष्मी बिना सोचे ही उस खेत पर उतरी और वहाँ से एक फूल तोड़ लिये ।
भगवान विष्णु ने जब यह देखा तो उन्होंने माता लक्ष्मी को अपनी भूल याद दिलायी । और कहा कि किसी से बिना पूछे कुछ भी नहीं लेना चाहिये । इस पर भगवान विष्णु के आँसू आ गये ।
माता लक्ष्मी ने अपनी भूल स्वीकार की और भगवान विष्णु से माफी माँगी । तब भगवान विष्णु बोले कि तुमने जो भूल की है उसके लिये तुम्हें सजा भी भुगतनी पड़ेगी । तुम जिस फूल को बिना उसके माली से पूछे लिया है अब तुम उसी के घर में 3 साल के लिये नौकरानी बनकर उसकी देखभाल करोगी । तभी मैं तुम्हें बैकुण्ड में वापिस बुलाऊंगा ।
माता लक्ष्मी एक औरत का रुप लिया और उस खेत के मालिक के पास गयी । मालिक का नाम माधवा था । वह एक गरीब तथा बड़े परिवार का मुखिया था । उसके साथ उसकी पत्नी, दो बेटे और तीन बेटियां एक छोटी सी झोपड़ी में रहती थी । उनके पास सम्पत्ति के नाम पर सिर्फ वही एक छोटा सा भूमि का टुकड़ा था । वे उसी से ही अपना गुजर बसर करता था ।
माता लक्ष्मी उसके घर में गयी तो माधवा ने उन्हें देखा और पूछा कि वह कौन है । तब माता लक्ष्मी ने कहा कि मेरी देखभाल करने वाला कोई नहीं है मुझ पर दया करो और मुझे अपने यहाँ रहने दो मैं आपका सारा काम करुँगी । माधव एक दयालु हृदय का इनसान था लेकिन वह गरीब भी था, और वह जो कमाता था उसमें तो बहुत ही मुश्किल से उसी के घर का खर्चा चलता था परन्तु फिर भी उसने सोचा कि यदि मेरे तीन की जगह चार बेटियाँ होती तब भी तो वह यहाँ रहती यह सोचकर उसने माता लक्ष्मी को अपने यहाँ शरण दे दी । और इस तरह माता लक्ष्मी तीन साल तक उसके यहाँ नौकरानी बनकर रही ।
जैसे ही माता लक्ष्मी उसके यहाँ आयी तो उसने एक गाय खरीद ली और उसकी कमाई भी बढ़ गयी अब तो उसने कुछ जमीन और जेवर भी खरीद लिये थे और इस तरह उसने अपने लिये एक घर और अच्छे कपड़े खरीदे । तथा अब हर किसी के लिये एक अलग से कमरा भी था ।
इतना सब मिलने पर माधव ने सोचा कि यह सब कुछ मुझे इसी औरत (माता लक्ष्मी) के घर में प्रवेश करने के बाद मिला है वही हमारे भाग्य को बदलने वाली है । 2.5 साल निकलने के बाद माता लक्ष्मी ने उस घर में प्रवेश किया और उनके साथ एक परिवार के सदस्य की तरह रही परन्तु उन्होंने खेत पर काम करना बन्द नहीं किया । उन्होनें कहा कि मुझे अभी अपने 6 महीने और पूरे करने है । जब माता लक्ष्मी ने अपने 3 साल पूरे कर लिये तो एक दिन की बात है कि माधव अपना काम खत्म करके बैलगाड़ी पर अपने घर लौटा तो अपने दरवाजे पर अच्छे रत्न जड़ित पोशाक पहने तथा अनमोल जेवरों से लदी हुई एक खुबसूरत औरत को देखा । और उसने कहा कि वह कोई और नहीं माता लक्ष्मी है ।
तब माधव और उसके घर वाले आश्चर्य चकित ही रह गये कि जो स्त्री हमारे साथ रह रही थी वह कोई और नहीं माता लक्ष्मी स्वयं थी । इस पर उन सभी के नेत्रों से आँसू की धारा बहने लगी और माधवा बोला कि यह क्या माँ हमसे इतना बड़ा अपराध कैसे हो गया । हमने स्वयं माता लक्ष्मी से ही काम करवाया ।
माता हमें माफ कर देना । तब माधव बोला कि हे माता हम पर दया करो । हममे से कोई भी नहीं जानता था कि आप माता लक्ष्मी है । हे माता हमें वरदान दीजिये । हमारी रक्षा करिये ।
तब माता लक्ष्मी मुस्कुरायी और बोली कि हे माधव तुम किसी प3कार की चिन्ता मत करो तुम एक बहुत ही दयालु इनसान हो और तुमने मुझे अपने यहाँ आसरा दिया है उन तीन सालों की मुझे याद है मैं तुम लोगों के साथ एक परिवार की तरह रही हूँ ।
इसके बदले में मैं तुम्हें वरदान देती हूँ कि तुम्हारे पास कभी भी धन की और खुशियों की कमी नहीं होगी । तुम्हें वो सारे सुख मिलेंगे जिसके तुम हकदार हो ।
यह कहकर लक्ष्मी जी अपने सोने से बने हुये रथ पर सवार होकर बैकुण्ठ लोक चली गयी ।
यहाँ पर माता लक्ष्मी ने कहा कि जो लोग दयालु, और सच्चे हृदय वाले होते है मैं हमेशा वहाँ निवास करती हूँ । हमें गरीबों की सेवा करनी चाहिये ।
इस कहानी यह उपदेश है कि जब छोटी सी गलती पर भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को भी सजा दी तो हम तो बहुत ही मामूली इनसान है । फिर भी भगवान की हमेशा हम पर कृपा बनी रहती है । हर किसी इनसान को दूसरे इनसान के प्रति दयालुता का भाव रखना चाहिये हमें जो भी कष्ट और सुख मिल रहे है वह हमारे पुराने जन्मों के कर्म है ।
अतः अन्त में यही कहना चाहूँगी कि हर किसी को भगवान पर श्रद्घा और सबुरी रखनी चाहिये अन्त में वही हमारी नैया पार लगाते है ।
जय सांई राम
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OM SAI RAM !!!
Jyoti...
sai ram...
bahut achhe kahani hai..pad kar bahut accha laga...
bhagwaan galti ki saza sab ko dete hai....
jo galti ki hai use bhugtana he padta hai...karmo ka phal jarror milta hai...
यहाँ पर माता लक्ष्मी ने कहा कि जो लोग दयालु, और सच्चे हृदय वाले होते है मैं हमेशा वहाँ निवास करती हूँ । हमें गरीबों की सेवा करनी चाहिये ।
इस कहानी यह उपदेश है कि जब छोटी सी गलती पर भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को भी सजा दी तो हम तो बहुत ही मामूली इनसान है । फिर भी भगवान की हमेशा हम पर कृपा बनी रहती है । हर किसी इनसान को दूसरे इनसान के प्रति दयालुता का भाव रखना चाहिये हमें जो भी कष्ट और सुख मिल रहे है वह हमारे पुराने जन्मों के कर्म है ।
अतः अन्त में यही कहना चाहूँगी कि हर किसी को भगवान पर श्रद्घा और सबुरी रखनी चाहिये अन्त में वही हमारी नैया पार लगाते है ।
bahut bahut shukriya jyoti....
bhut sundre....
SAI always bless u jyoti....
JAI SAI RAM !!!
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omsairam
jyoti ji kaise hai aap , mera bhi naam jyoti hai ,realy yeh laxmi mata ki story maine pehle baar padhe hai , bahut he ache hai , lot to learn from this ....
keep it up ..omsairam
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om sai ram jyoti ji..... :)
its realy very touching and nice story... nd es story ka msg toh story se bhi bhut acha h... thanku so much itni achi story post krne k liye...
meri bhi baba ji se bs itni dua h humsha humhe sahi marg dikhaye.... or humri shradha or saburi hnsha bani rahe.... :)