Join Sai Baba Announcement List


DOWNLOAD SAMARPAN - Nov 2018





Author Topic: भाव के भूखे प्रभु  (Read 5578 times)

0 Members and 1 Guest are viewing this topic.

Offline ShAivI

  • Members
  • Member
  • *
  • Posts: 12140
  • Blessings 56
  • बाबा मुझे अपने ह्र्दय से लगा लो, अपने पास बुला लो।
भाव के भूखे प्रभु
« on: April 20, 2012, 06:25:42 AM »
  • Publish


  • ॐ साईं राम !!!


    भाव के भूखे प्रभु!




    वृंदावन के एक मंदिर में मीराबाई ईश्वर को भोग लगाने के लिए रसोई पकाती थीं।
    वे रसोई बनाते समय मधुर स्वर में भजन भी गाती थीं। एक दिन मंदिर के प्रधान
    पुरोहित ने देखा कि मीरा अपने वस्त्रों को बिना बदले और बिना स्नान किए ही
     रसोई बना रही हैं।

    उन्होंने बिना नहाए-धोए भोग की रसोई बनाने के लिए मीरा को डांट लगा दी।
    पुराहित ने उनसे कहा कि ईश्वर यह अन्न कभी भी ग्रहण नहीं करेंगे। पुरोहित
    के आदेशानुसार, दूसरे दिन मीरा ने भोग तैयार करने से पहले न केवल स्नान किया,
    बल्कि पूरी पवित्रता और खूब सतर्कता के साथ भोग भी बनाया। शास्त्रीय विधि का
    पालन करने में कहीं कोई भूल न हो जाए, इस बात से भी वे काफी डरी रहीं।

    तीन दिन बाद पुरोहित ने सपने में ईश्वर को देखा! ईश्वर ने उनसे कहा कि वे तीन
    दिन से भूखे हैं। पुरोहित ने सोचा कि जरूर मीरा से कुछ भूल हो गई होगी! उसने
     भोजन बनाने में न शास्त्रीय विधान का पालन किया होगा और न ही पवित्रता का
    ध्यान रखा होगा! ईश्वर बोले--इधर तीन दिनों से वह काफी सतर्कता के साथ भोग
    तैयार कर रही है। वह भोजन तैयार करते समय हमेशा यही सोचती रहती है कि
    उससे कहीं कुछ अशुद्धि या गलती न हो जाए! इस फेर में मैं उसका प्रेम तथा मधुर
    भाव महसूस नहीं कर पा रहा हूं। इसलिए यह भोग मुझे रुचिकर नहीं लग रहा है
    ईश्वर की यह बात सुन कर अगले दिन पुरोहित ने मीरासे न केवल क्षमा-याचना की,
    बल्कि पहले की ही तरह प्रेमपूर्ण भाव से भोग तैयार करने के लिए अनुरोध भी किया।
    सच तो यह है कि जब भगवान की आराधना अंतर्मन से की जाती है, तब अन्य किसी
     विधि-विधान की आवश्यकता ही नहीं रह जाती है। अभिमान त्याग कर और बिना
    फल की इच्छा  प्रेमपूर्वक आराधना और सेवा ही सर्वोत्तम है। इसलिए बिना मंत्रों के
    उच्चारण और फूल चढाए हुए ही यदि आप मन से दो मिनट के लिए भी ईश्वर याद
    करे सही अर्थो मै वही इश्वर की सच्ची आराधना होगी . बिना किसीस्वार्थ  के ईश्वर
    की पूजा जरूर करनी चाहिए।हालांकि  उन्हें याद कर लेते हैं, तो यही सच्ची
    पूजा होती है .......................................


    ॐ साईं राम, श्री साईं राम, जय जय साईं राम !!!


    JAI SAI RAM !!!

     


    Facebook Comments