जय सांई राम।।।
एक बार फिर शुक्रवार की नई सुबह नये रंग ओर शिरडी का प्यार लेकर आई है। कल कुछ व्यस्त होने की वजह से बाबा के धन्यवाद को अपने शब्दों से बयान न कर सका। कुछ बातें जरूरी नही कि लिख कर बयान की जाये उनको तो सिर्फ महसूस किया जा सकता है। धन्यवाद भी उन अहसासों मे से एक है। एक बार फिर बाबा की खिदमत मे हाज़िर हूँ धन्यवाद करने के लिये। बाबा शुक्रिया तेरी दी हुई उन अनगिनत रहनुमाईयों का। हर पल बाबा आपकी याद में गुम रहना, हर पल आपका ही नाम लेना ये अब ज़िन्दगी लगती है। बाबा तेरी खुशुबू की कहकशां मे हर पल सांस भरना अच्छा लगता है!
आज एक बार फ़िर सुरज को उगता देखो
तो बाबा का धन्यवाद करो।
चाँद को चान्दनी रात मे जागता देखो
तो धन्यवाद करो
क्या पता कल ये धरती
चाँद और सुरज हो ना हो
आज एक बार फिर सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
आज एक बार मन्दिर हो आओ
पूजा कर प्रसाद भी चढाओ
बारिश मे आज खूब भीगो
झूम झूम के बचपन की तरह नाचो
आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पूरा करो
आज एक बार फिर बाबा को धन्यवाद देकर चैन की नींद सो जाओ और कोई अच्छा सा सपना भी देखो
ॐ सांई राम।।।