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Author Topic: श्री साई बावनी  (Read 1958 times)

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Offline suman_tanya

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श्री साई बावनी
« on: December 31, 2007, 12:05:07 AM »
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  • श्री साई बावनी
    जय इश्वर जय साई दयाल, तू ही जगत का पालनहार,
    दत्त दिगंबर प्रभु अवतार, तेरे बस में सब संसार!
    ब्रम्हाच्युत शंकर अवतार, शरनागत का प्रनाधार,
    दर्शन देदो प्रभु मेरे, मिटा दो चौरासी फेरे !
    कफनी तेरी एक साया, झोली काँधे लटकाया,
    नीम तले तुम प्रकट हुए, फकीर बन के तुम आए !
    कलयुग में अवतार लिया, पतित पवन तुमने किया,
    शिरडी गाँव में वास किया, लोगो को मन लुभा लिया!
    चिलम थी शोभा हातों की, बंसी जैसे मोहन की,
    दया भरी थी आंखों , अमृत्धरा बातों में!
    धन्य द्वारका वो माई, समां गए जहाँ साई,
    जल जाता है पाप वहाँ , बाबा की है धुनी जहाँ!
    भुला भटका में अनजान, दो मुझको अपना वरदान,
    करुना सिंधु प्रभु मेरे , लाखो बैठे दर् पर तेरे!
    जीवनदान श्यमा पाया, ज़हर सौंप का उतराया!
    प्रलयकाल को रोक लिया, भक्तों को भय मुक्त किया,
    महामारी को बेनाम किया, शिर्डिपुरी को बचा लिया!
    प्रणाम तुमको मेरे इश , चरणों में तेरे मेरा शीश,
    मन को आस पुरी करो, भवसागर से पार करो!
    भक्त भिमाजी था बीमार, कर बैठा था सौ उपचार,
    धन्ये साई की पवित्र उडी, मिटा गई उसकी शय व्याधि!
    दिखलाया तुने विथल रूप, काकाजी को स्वयं स्वरूप,
    दामु को संतान दिया, मन उसका संतुशत किया!
    कृपधिनी अब किरपा करो, दीन्दयालू दया करो,
    तन मन धन अर्पण तुमको, दे  दो सत्गति प्रभु मुझको!
    मेधा तुमको न जन था, मुस्लिम तुमको मन था,
    स्वयं तुम बन के शिवशंकर, बना दिया उसका किंकर!
    रोशनाई की चिरागों से, तेल के बदले पानी से,
    जिसने देखा आंखों हाल, हाल हुआ उसका बेहाल!
    चाँद भाई था उलझन में, घोडे के कारन मन में,
    साई ने की ऐसी किरपा, घोडा फिर से वह पा सका!
    श्रद्धा सबुरी मन में रखों, साई साई नाम रटो ,
    पुरी होगी मन की आस, कर लो साई का नित ध्यान !
    जान के खतरा तत्याँ का , दान दी अपनी आयु का,
    ऋण बायजा का चुका दिया, तुमने साई कमाल किया!
    पशुपक्षी पर तेरी लगन, प्यार में तुम थे उनके मगन,
    सब पर तेरी रहम नज़र , लेते सब की ख़ुद ही ख़बर!
    शरण में तेरे जो आया , तुमने उसको अपनाया,
    दिए है तुमने ग्यारह वचन, भक्तो के प्रति लेकर आन!
    कण-कण में तुम हो भगवान्, तेरी लीला शक्ति महान,
    कैसे करूँ तेरे गुणगान , बुधिहीन में हूँ नादान!
    दीन्दयालू तुम हो हम सबके तुम हो त्राता ,
    कृपा करो अब साई मेरे , चरणों में ले ले अब तुम्हारे!
    सुबह शाम साई का ध्यान , साई लीला के गुणगान,
    द्रीर भक्ति से जो गायेगा , परम पद को वह पायेगा!
    हर दीन सुबह शाम को, गाए साई बवानी को,
    साई देंगे उसका साथ , लेकर हाथ  में हाथ!
    अनुभव त्रिपती के यह बोल, शब्द बड़े है यह अनमोल,
    यकीन जिसने मान लिया , जीवन उसने सफल किया !
    साई शक्ति विराट स्वरूप , मन मोहक साई का रूप,
    गौर से देखों तुम भाई, बोलो जय सदगुरु साई!

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    Re: श्री साई बावनी
    « Reply #1 on: January 01, 2008, 02:11:56 AM »
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  • Sai Ram

    Nice. +1 For you. :)

    This will be added to Sai Baba Website.

    Jai Sai Ram

     


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