DwarkaMai - Sai Baba Forum
Main Section => Welcome to Sai Baba Forum => Topic started by: JR on September 19, 2009, 11:07:36 PM
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Jai Sai Ram,
(http://www.khabarexpress.com/Photos/full/maa_durga.jpg)
Jor se bolo Jai Mata kii..........
Sare bolo Jai Mata Kii............
Sab mil bolo Jai Mata Kii..........
Prem se bolo Jai Mata Kii.........
Wish u all Jai Mata Kii.............
Jai Sai Ram.
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जय सांई राम,
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
(http://img248.imageshack.us/img248/9356/ambamarf2.jpg)
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
जय सांई राम ।।
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जय सांई राम,
दक्षिण भारत में नवरात्र
दक्षिण भारत के कई राज्यों में नवरात्र के अवसर पर गुड़ियों का दरबार लगाया जाता है। इन दिनों महिलाएं रंग-बिरंगे वस्त्रों से गुड़ियों को सजाती हैं। इस त्यौहार के शुरु होने के पीछे एक कहानी कुछ ऐसी कहानी है...
महाभारत के अर्जुन, बृहन्नला (किन्नर) के वेश में राजकुमारी उत्तरा के पास रहते थे। जब वे अपना रथ लेकर महाभारत के युद्ध के लिए जाने लगे, तो राजकुमारी ने अर्जुन से, युद्धक्षेत्र से अपने लिए कुछ लाने को कहा। अर्जुन रूपी बृहन्नला ने हंस कर कहा, “हां युद्धक्षेत्र से जो मिल सकता है वही मांग लीजिए।” तब उत्तरा ने कहा, “मैं अपनी गुड़ियों को महाभारत के योद्धाओं के कपड़ों से सजाना चाहती हूं।”
अर्जुन ने वचन दिया और युद्ध करने चले गए। घमासान लड़ाई हुई और अंत में कौरवों की हार हुई। अपनी जीत की खुशी में अर्जुन राजकुमारी उत्तरा को दिए वचन को भूल गए। रास्ते में जब उन्हें उत्तरा को दिया वचन याद आया तो उन्होंने अपना रथ वापस युद्धभूमि की तरफ मोड़ लिया। पर अब समस्या यह थी कि जीवित शत्रु पक्ष के कपड़े कैसे उतारे जाएं।
अर्जुन ने एक सम्मोहन अस्त्र का प्रयोग कर सबको नींद में सुला दिया और उनके कपड़े उतार लिए। जब उन्होंने कपड़े लाकर उत्तरा को दिए तो वह बहुत खुश हुई। राजकुमारी ने जीत की खुशियां मनाने के लिए सभी गुड़ियों को उन कपड़ों से सजा दिया। यह परम्परा उसके बाद भी जारी रही।
उसी दिन की याद में दक्षिण भारत के लोग आज भी नवरात्र के अवसर पर यह त्योहार मनाते हैं।
जय माता की ।।