जय साँई राम।।।
मैन्डी भाई तुम्हे गुरू नानक का प्रेम हमारे बाबा साँई के रूप मे खीँच लाया है यँहा। यही तो विचित्रता है हमारे बाबा साँई की। इसलिये तुम समाज मे उन धर्म के ठेकेदारों की परवाह किये बिना तुम्हे जो अच्छा लगता है वो करो। असली धर्म तो हमे जोड़ना सिखाता है ना कि तोड़ना। फिर अगर गहराई से देखा जाये तो ऐसा कौन सा धर्म है जो एक दूसरे से भिन्न है? सभी धर्म एक मन्ज़िल की ही तो बात करते है। फिर हिन्दू क्या, मुस्लिम क्या ओर इसाई क्या। है ना? जितने भी महापुरुष हुए है उन्होने जो शिक्षायें दी है उनको आज के संकुचित सोच वाले धर्म के ठेकेदारों ने अपने मतलब सिद्द करने के लिये अपने अनुसार तोड़ मरोड़ कर एक दूसरे धर्म के खिलाफ दीवारें खड़ी कर रखी है। बाबा हमें उन दीवारों से परे ले जाने के लिये ही अवतरित हुए है।
अन्त में मेन्डी भाई आपके विचार पढ़कर बहुत अच्छा लगा।
मेरा साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा मेरा साँई
ॐ साँई राम।।।
CHANDAN JI,
OM SAI RAM.
CHANDAN JI, I DONT KNOW HOW TO THANK YOU?
CHANDAN JI, YOU WILL NOT BELEIVE IT BUT YES I HAVE EXPERIENCED THE SAME.
ONE DAY I WAS SITTING IN MY POOJA. BABA WAS IN MY DHAYANA, SUDDENLY BABA'S PICT. WAS CHANGED TO "GURU NANAK".
I TRIED TO DO PRANAMA TO BABA SAI BUT AGAIN I HAD A SMILE FROM GURU NANAK.
FIRST OF ALL I WAS CONFUSED. THEN I THOUGHT, AS GURU NANAK ALSO HAS A SPECIAL PLACE IN MY HEART SO IT IS THE RESULT OF THE SAME....................
BUT THE NEXT MOMENT.......... I HAD THE SAME EXPERIENCE AGAIN..................
SUDDENLY I HAD A VOICE FROM MY INSIDE PERHAPS BABA WANT TO SAY THAT BABA SAI AND GURU NANAK BOTH ARE THE SAME.................
BUT IT WAS MY OWN THOUGHT SO FAR, HENCE I WAS NOT SURE FOR IT. I THOUGHT, IT COULD BE MY OWN THINKING SO WHAT TO DISCUSSED WITH .........................?
BUT TODAY WHEN I READ YOUR POST, I GOT THE ANSWER OF MY QUESTION (FROM BABA SAI THROUGH YOUR POST)................YES !BABA SAI AND GURU NANAK BOTH ARE THE SAME..........................
"BABA IS GREAT, BABA'S LEELAS ARE GREAT"
OM SAI RAM