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Main Section => Welcome to Sai Baba Forum => Topic started by: get_sai on February 24, 2012, 07:30:32 AM

Title: आज का सुविचार....
Post by: get_sai on February 24, 2012, 07:30:32 AM
आज का सुविचार

रामदास रामायण लिखते जाते और शिष्यों को सुनाते जाते थे। हनुमान भी उसे गुप्त रुप से सुनने के लिए आकर बैठते थे। समर्थरामदास ने लिखा, "हनुमान अशोक वन में गये, वहाँ उन्होंने सफेद फूल देखे।"

यह सुनते ही हनुमान झट से प्रकट हो गये और बोले, "मैंने सफेद फूल नहीं देखे थे। तुमने गलत लिखा है, उसे सुधार दो।"
...
समर्थ ने कहा, मैंने ठीक ही लिखा है। तुमने सफेद फूल ही देखे थे।"

हनुमान ने कहा, "कैसी बात करते हो! मैं स्वयं वहां गया और मैं ही झूठा!"

अंत में झगड़ा रामचंद्रजी के पास पहुंचा। उन्होंने कहा, "फूल तो सफेद ही थे, परंतु हनुमान की आंखें क्रोध से लाल हो रही थीं, इसलिए वे उन्हें लाल दिखाई दिये।"

इस मधुर कथा का आशय यही है कि संसार की ओर देखने की जैसी हमारी दृष्टि होगी, संसार हमें वैसा ही दिखाई देगा
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: get_sai on February 27, 2012, 08:23:33 PM

१.राम कथा सुन्दर कर तारी।
संशय विहग उडावन हारी॥

"प्रभु श्री राम की जो कथा है वह हाथ की सुन्दर ताली की तरह है....जिस प्रकार ताली बजाने पर पक्षी उड जाता है...उसी प्रकार राम कथा के पठन से शंका रुपी पक्षी उड जाती है,,,अर्थात् संशय दूर हो जाता है।"

२.राम नाम मण दीप धर, जीह देहरी द्वार।
तुलसी भीतर बाहिरो, जो चहिये उजियार॥

"राम नाम रुपी दीपक हमेशा अपनी जिव्हा पर रहना चाहिये...जैसे दरवाजे की देहलीज पर दीपक रखने से घर के अंदर तथा बाहर उजाला हो जाता है, उसी प्रकार राम नाम रुपी दीपक जीभ पर रखने अर्थात् राम नाम का स्मरण करने से अंदर(मन में) तथा बाहर प्रकाश हो जाता है॥"
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: get_sai on February 29, 2012, 03:53:06 AM

क्षमा माँगने से अहंकार ढलता है और गलता है,
तो क्षमा करने से सुसंस्कार पलता है और चलता है।
क्षमा शीलवान का शस्त्र और अहिंसक का अस्त्र है।
क्षमा, प्रेम का परिधान है। क्षमा, विश्वास का विधान है।
क्षमा, सृजन का सम्मान है।
क्षमा, नफरत का निदान है।
क्षमा, पवित्रता का प्रवाह है।
क्षमा, नैतिकता का निर्वाह है।
क्षमा, सद्गुण का संवाद है।
क्षमा, अहिंसा का अनुवाद है।
क्षमा, दिलेरी के दीपक में दया की ज्योति है।
क्षमा, अहिंसा की अँगूठी में मानवता का मोती है
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: kameshwar prasad gupta on February 29, 2012, 12:38:20 PM
आज का सुविचार

रामदास रामायण लिखते जाते और शिष्यों को सुनाते जाते थे। हनुमान भी उसे गुप्त रुप से सुनने के लिए आकर बैठते थे। समर्थरामदास ने लिखा, "हनुमान अशोक वन में गये, वहाँ उन्होंने सफेद फूल देखे।"

यह सुनते ही हनुमान झट से प्रकट हो गये और बोले, "मैंने सफेद फूल नहीं देखे थे। तुमने गलत लिखा है, उसे सुधार दो।"
...
समर्थ ने कहा, मैंने ठीक ही लिखा है। तुमने सफेद फूल ही देखे थे।"

हनुमान ने कहा, "कैसी बात करते हो! मैं स्वयं वहां गया और मैं ही झूठा!"

अंत में झगड़ा रामचंद्रजी के पास पहुंचा। उन्होंने कहा, "फूल तो सफेद ही थे, परंतु हनुमान की आंखें क्रोध से लाल हो रही थीं, इसलिए वे उन्हें लाल दिखाई दिये।"

इस मधुर कथा का आशय यही है कि संसार की ओर देखने की जैसी हमारी दृष्टि होगी, संसार हमें वैसा ही दिखाई देगा

Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: get_sai on March 01, 2012, 04:19:28 AM

स जीवति गुणा यस्य धर्मो यस्य जीवति ।
गुणधर्मविहीनो यो निष्फलं तस्य जीवितम् ॥

जो गुणवान है, धार्मिक है वही जीते हैं । जो गुण और धर्म से रहित है उसका जीवन निष्फल है ।ॐ ॐ
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: get_sai on March 01, 2012, 09:54:45 PM

' चिल्‍ला कर और झल्‍ला कर बातें करना, बिना सलाह मांगे सलाह देना, किसी की मजबूरी में अपनी अहमियत दर्शाना और सिद्ध करना!......
ये कार्य दुनियां का सबसे कमजोर और असहाय व्‍यक्ति करता है, जो खुद को ताकतवर समझता हैऔर जीवन भर बेवकूफ बनता है, घृणा का पात्र बन कर दर दर की ठोकरें खाता है । ''
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: Pratap Nr.Mishra on March 02, 2012, 12:08:13 AM

' चिल्‍ला कर और झल्‍ला कर बातें करना, बिना सलाह मांगे सलाह देना, किसी की मजबूरी में अपनी अहमियत दर्शाना और सिद्ध करना!......
ये कार्य दुनियां का सबसे कमजोर और असहाय व्‍यक्ति करता है, जो खुद को ताकतवर समझता हैऔर जीवन भर बेवकूफ बनता है, घृणा का पात्र बन कर दर दर की ठोकरें खाता है । ''



ॐ श्री साईं नाथाय नमः

जय साईं राम साईं बंधू

आपका आज का विचार सम्पूर्ण रूप से सत्य को दर्शाता है । ये विचार 'सोये को जगाने से अधिक जगे हुए को जगाने ' के लिए अति उत्तम है क्योकि ये हमारे भीतर बेठे अदृश्य संकुचित अहम् /अहंकार को पहचानने का आईना है । इस विचार ने मुझे भी कुछ अपने अन्दर खोजने की प्रेणना प्रदान की है । सत्य को जानके उसको आत्मसात करने पर ही इन सद्विचारो को सही अर्थ में सम्मान देने के हक़दार कहलायेंगे ।

आपके इस विचार ने बहुत गहराई तक मेरी आत्मा में भेद किया है इसके लिए धन्यवाद । अब असली एवंग कठिन कार्य अब इसको व्यवहारिक जीवन में लाने का प्रयास करना है जो मै अवश्य  करूँगा । आपकी इस विचार ने  अंतकरण से  कुछ शब्द कहने को मजबूर किया । अनर्थक आपकी पोस्ट में आके कुछ कहने के लिए क्षमा ।

ॐ साईं राम
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: get_sai on March 02, 2012, 10:53:05 AM
सधन्यवाद
Pratap Nr.Mishra
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: get_sai on March 03, 2012, 05:40:36 AM
किसी के गुणों की प्रशंसा करने में, अपना समय मत बरबाद मत करो, उसके गुणों को अपनाने का प्रयास करो। ~ कार्ल मार्क्‍स
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: get_sai on March 14, 2012, 12:37:21 PM
नदी जब किनारा छोड़ देती है ....,
राह में चट्टान तक तोड़ देती है ,

बात .....छोटी-सी....अगर चुभ जाए " दिल " में.........?
" ज़िन्दगी " के रास्तों को भी मोड़ देती है........||
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: Anupam on March 14, 2012, 01:42:56 PM
नदी जब किनारा छोड़ देती है ....,
राह में चट्टान तक तोड़ देती है ,

बात .....छोटी-सी....अगर चुभ जाए " दिल " में.........?
" ज़िन्दगी " के रास्तों को भी मोड़ देती है........||




OM SAI RAM get-sai ji

THANKS A LOT GREATEST TRUTH IN A SINGLE LINE
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: get_sai on March 23, 2012, 10:07:51 PM
"आज का सुविचार"
कोई इंसान किसी को क्या देता है, हाथों का तो बहाना है सबको खुदा देता है.....!!!!![/move][/color]
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: get_sai on April 24, 2012, 01:13:30 PM
आज का सुविचार



शक... शक.. एक लाइलाज रोग है...
जब आपकी इमानदारी पर शक हो तो रिश्‍ते को फिर से संवारने के बजाए इस खूबसूरत सफर का अंत इसी मोड पर कर देने में भलाई है ताकि चैन व सकून जिंदगी में बनी रहे



आज का सुविचार
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 24, 2012, 01:20:51 PM


ॐ श्री साईं नाथाय नमः

दृष्टि के बदलते ही सृष्टि बदल जाती है, क्योंकि दृष्टि का परिवर्तन मौलिक परिवर्तन है। अतः दृष्टि को बदलें सृष्टि को नहीं, दृष्टि का परिवर्तन संभव है, सृष्टि का नहीं। दृष्टि को बदला जा सकता है, सृष्टि को नहीं। हाँ, इतना जरूर है कि दृष्टि के परिवर्तन में सृष्टिभी बदल जाती है। इसलिए तो सम्यकदृष्टि की दृष्टि में सभी कुछ सत्य होता है और मिथ्या दृष्टि बुराइयों को देखता है। अच्छाइयाँ और बुराइयाँ हमारी दृष्टि पर आधारित हैं।

ॐ साईं राम

Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 24, 2012, 01:37:23 PM


ॐ श्री साईं नाथाय नमः

गुणग्राही मोर को देखता है तो कहता है कि कितना सुंदर है और छिन्द्रान्वेषी देखता है तो कहता है कि कितनी भद्दी आवाज है, कितने रुखे पैर हैं। गुणग्राही गुलाब के पौधे को देखता है तो कहता है कि कैसा अद्भुत सौंदर्य है। कितने सुंदर फूल खिले हैं और छिन्द्रान्वेषी देखता है तो कहता है कि कितने तीखे काँटे हैं। इस पौधे में मात्र दृष्टि का फर्क है।

ॐ साईं राम
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 24, 2012, 01:40:51 PM

ॐ श्री साईं नाथाय नमः

जो गुणों को देखता है वह बुराइयों को नहीं देखता है।

ॐ साईं राम
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: Pratap Nr.Mishra on April 24, 2012, 01:44:15 PM
ॐ श्री साईं नाथाय नमः

कबीर जी ने कहा है

बुरा जो खोजन मैं चला, बुरा न मिलिया कोई,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

कबीर अपने आपको बुरा कह रहे हैं। यह एक अच्छे आदमी का परिचय है, क्योंकि अच्छा आदमी स्वयं को बुरा और दूसरों को अच्छा कह सकता है। बुरे आदमी में यह सामर्थ्य नहीं होती। वह तो आत्म प्रशंसक और परनिंदक होता है।

ॐ साईं राम
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: Pratap Nr.Mishra on May 17, 2012, 12:36:17 PM

ॐ श्री साईं नाथाय नमः

"सठ सन विनय कुटिल सन प्रीती,सहज कृपन सन सुंदर नीति
ममता रत सन ग्यान कहानी ,अति लोभी सन बिरति बखानी
क्रोधिहि सम कामिहि हरी कथा, ऊसर बीज बए फल जथा "

ॐ साईं राम
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: get_sai on October 22, 2012, 04:36:57 AM
जात के दुश्मन जात :

इस कहावत में एक मौलिक विचार अंकित है - समान जाति के लोग ही एक दुसरे के बैरी होते हैं .
बाहरी शत्रु से भी यही लोग आपस में लड़ कर एक दूसरे के विनाश पर टूल जाते हैं .
Oriya कहावत देखिये , - " अपने वंश का नाश करने वाली बिल्ली अपना बच्चा खाए ."

The proverb tells us of the fact that one's enemy is of one's own kind.
For instance the Oriya proverb - ' The family destroying male cat, eats up its own child '.

जात के दुश्मन जात, काठ के दुश्मन काठ

(अपना शत्रु अपनी ही जात का होता है , जैसे काठ का दुश्मन काठ . कुल्हाड़ी का मुठिया काठ का ही होता है , और काठ को ही काटता है .)
One's enemy is of the same caste, as the wood is the enemy of wood. ( The handle of an axe is made of wood, and it helps the axe to cut the wood.)
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: get_sai on December 11, 2012, 03:31:41 AM


JaI SaI RaM

घर के बाहर भले ही दिमाग ले जाओ
क्योंकि दुनियाँ एक ‘बाजार’ है,
लेकिन घर के अंदर सिर्फ दिल ले जाओ
क्योंकि वहाँ एक ‘परिवार’ है…....!!!

JaI SaI RaM
Title: Re: आज का सुविचार....
Post by: PiyaSoni on January 16, 2013, 05:56:47 AM
(https://fbcdn-sphotos-a-a.akamaihd.net/hphotos-ak-prn1/601691_513329688697438_1194675020_n.jpg)

मंझिल मिल ही जायेगी,
भटकते हुए ही सही,
गुमराह तो वोह हैं,
जो घर से निकले ही नहीं
.