DwarkaMai - Sai Baba Forum
Main Section => Welcome to Sai Baba Forum => Topic started by: sai ji ka narad muni on May 15, 2016, 12:12:15 AM
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जीते हुए तो हम किसी काम आये नही
शरीर त्याग कर तो कम से कम किसी के जीवन का उजियारा बने
ऐसी भी क्या इस देह से घोर आसक्ति
की शरीर त्यागने के बाद भी नेत्र दान करने में संकोच होता हैं??
अगर होता हैं तो अपने माथे पर लिख लो की मै सबसे बडा कृतघ्न और मूढ़ हूँ
आप कैसे मदद कर सकते हैं?
1. अपनी आँखें शपथ
2. प्रतिज्ञा करने के लिए दूसरों को प्रेरित. एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य & परिवार के सदस्यों के परामर्श से नेत्र दान की सुविधा के, पड़ोसियों, अबाउट, मित्रों आदि.
3. अपनी गतिविधियों के लिए नेत्र बैंक के लिए उदारता से दान. नेत्र बैंकों धर्मार्थ हैं, नहीं लाभ संगठनों के लिए.
तेज नेत्र केंद्र | नेत्र दान http://tejeyecenter.com/donate-your-eye/?lang=hi --