स्प्रीतिजी जय साई राम
आपके द्वारा किया गया पोस्ट "Can you really communicate with Baba" मैंने पढ़ा और आनंदित होने के साथ-साथ आश्चर्यचकित और भयभीत भी हुआ . आनंदित होने का कारण ये था की बाबा ने आपको अपने पास अपनी लीला के द्वारा बुला लिया है और आश्चर्यचकित और भयभीत होने का कारण जिन सज्जन के पास आप गई उनका सदेव बाबा से वार्तालाप करना ओर दूसरो को भी बाबा का साक्षात्कार कराने का दावा करना . मन फिर आशंकाओ से भयभीत हो उठा की हमलोग फिर से क्या एक आडम्बर ओर अंधविश्वास के शिकार तो नहीं होने जा रहें है.
आप भी इस समाज मे रहती है जहा हमसभी भी रहते है . हर रोज इस प्रकार की घटनाओं को सच मान के जाने या अनजाने अंधविश्वास के जाल मे फस जाते है. बस एक तीली दिखने की देर होती है ओर ये आग हवा से भी तेज चारो ओर फेल जाती है फिर इस आग की लपेट मे न जाने कितने परेशान ओर वक्त से सताए आ के फस जाते है. आप को बाबा की कृपा से मनोवांछित फल की प्राप्ति हो गई ओर बाबा ने इसकी प्राप्ति आपको एक माध्यम जो ये सज्जनजी है, से करवाई. ऐसा कई बार बाबा ने अपने जीवन काल के दौरान ओर आज भी अपनी लीलाओ के द्वारा लोगो की मनोकामनाओ की पूर्ति की है ओर कर रहें हैं . श्री साई सत चरित के अध्यन के दौरान आपको भी इसका गहरा अनुभव होगा. कर्ता स्वयम बाबा खुद होते हए भी हमलोगों के मन को भ्रमित कर देते है ओर हमसब खुद को या किसी ओर को जो केवल एक माध्यम मात्र हैं ,को कर्ता समझने की भूल कर बैठते है.
हँ मै ये अवश्य मानता हूँ की किसी -किसी इंसान मे ईश्वर कृपा से कुछ अलोकिक शक्तियां आ जाती है जिनकी बदोलत बहुत सी व्याधियो से निजात भी मिल जाती है पर कोई भी साधारण मानव किसी का भाग्य नहीं बदल सकता. ये हमारी अज्ञानता ही है जिसकी वजह से ही हम ऐसे व्यक्तिओ को भगवान का अवतार ओर न जाने क्या -क्या समझ लेते है. ओर यही से शुरू होने लगता है दुष्प्रचार का सिलसिला . अनेको रकम की अप्भ्रन्तियाँ एक से दुसरे ओर दुसरे से तीसरे से होती हुई आग की तरह पुरे समाज मे फेल जाती है .
आप ही देखिये की आप ने केवल एक प्रश्न ही पूछा पर हमलोग उस मुख्य प्रश्न से ही मुह मोड़ते हुये आपसे उन सज्जन का पता, फ़ोन नम्बर ओर कोई भी साधन जिससे उनसे संपर्क कर सकें ,पूछने लगे. आपको क्यों की वहा जाने से फल की प्राप्ति हुई है तो हमको भी होगी ऐसी धरना है हम सभी मै. हम सभी किसी न किसी रूप से कोई न कोई परेशानियों के शिकार हैं ओर कोई भी उपाय से इन सबसे छुटकारा भी पाना चहेते है. इस उपाय की वजह से आडम्बरो ओर अंधविश्वास के गिरफ्त मे आ जाते है .
किसी ने इस फोरम मे कहा है की सबके अलग -अलग विचार होते है किसी एक विषय पर ओर सहमति एवंग असहमति भी . हमको सबके विचारो का आदर करना चाहिये ओर उसको सम्मान देना चाहिये . मै पूरी तरह से सहमत हूँ उनके इस कथन से पर,
क्या केवल आदर ओर सम्मान देकर सच्चाई से भी अनजान बने रहें . क्या केवल किसी को खुश करने के लिये या संतुष्टि या असंतुष्टि को ही सर्वोपरि मानके किसी भी गलत चीज़ को देख कर भी उसकी अनदेखी करना उचित होगा चाहे आने वाले कल मे उसका भयंकर परिणाम दिख रहा हो. मेरे विचार से फोरम मे किसी तत्थ को रखना ओर उसपर तठस्थ रहकर ये न देखते हुये की कोन संतुस्ट होगा या कोन असंतुस्ट , वास्तविकता से लोगो को रूबरू करना अनुचित नहीं है . वाद-विवाद अगर सकारात्मक हो एवंग तर्क संगत भी ओर उसमे मधुरता एवंग सहजता भी हो ओर शालीनता से किया गया हो तो उससे अच्छे परिणाम की आशा जरूर की जा सकती है ,बसरते अहंकार से भरके कटुता ओर दुसरे को अपमानित करके. प्रतिस्पर्धा से या अहंकार से किये गये प्रश्नों एवंग उत्तर का परिणाम न अच्छा ही हो सकता है न ही सृजनता से भरा हुआ ही हो सकता है। किसी को अंधविश्वास को फेलाने के लिये रोकना या मना करना किसी भी तरह से किसी की श्रधा ओर भक्ति को ठेस पहुचना नहीं है .
मेरे तो यही मानना है की किसी भी अंधविश्वास को जाने या अनजाने न ही फेलाना चाहिये या न ही फेलाने मे प्रतक्ष या परोक्ष कोई सहायता ही करनी चाहिये. बाबा ने भी श्री साई सत्चरित मे इससे हमेशा ही दूर रहने की सलाह दी है. केवल् गुरु को मानने से ही गुरु के प्रति समर्पित नही हुआ जा सकता
साथ् ही साथ् गुरु की (वचनो ओर विचारो) को भी मानना होगा ।
साई राम