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Author Topic: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)  (Read 501236 times)

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Offline Dipika

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Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
« Reply #915 on: October 27, 2010, 10:48:22 AM »
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  • भक्तों के प्रकार का वर्णन कर श्री. हेमाडपंत यह अध्याय समाप्त करते है । भक्त तीन प्रकार के है

    1.उत्तम
    2.मध्यम और
    3.साधारण
    प्रथम श्रेणी के भक्त वे है, जो अपने गुरु की इच्छा पहले से ही जालकर अपना कर्तव्य मान कर सेवा करते है । द्घितीय श्रेणी के भक्त वे है, जो गुरु की आज्ञा मिलते ही उसका तुरन्त पालन करते है । तृतीय श्रेणी के भक्त वे है, जो गुरु की आज्ञा सदैव टालते हुए पग-पग पर त्रुटि किया करते है । भक्तगण यदि अपनी जागृत बुद्घि और धैर्य धारण कर दृढ़ विश्वास स्थिर करें तो निःसन्देह उनका आध्यात्मिक ध्येय उनसे अधिक दूर नहीं है । श्वासोच्ध्वास का नियंत्रण, हठ योग या अन्य कठिन साधनाओं की कोई आवश्यकता नहीं है । जब शिष्य में उपयुक्त गुणों का विकास हो जाता है और जब अग्रिम उपदेशों के लिये भूमिका तैयार हो जाती है, तभी गुरु स्वयं प्रगट होकर उसे पूर्णता की ओर ले जाते है

    रक्षा साईं बाबा!
       

    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम
    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम


    Dipika Duggal

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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #916 on: October 27, 2010, 12:30:41 PM »
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  • श्री साई का स्वरुप आँखों के सम्मुख लाओ, जो वैराग्य की प्रत्यक्ष मूर्ति और अनन्य शरणागत भक्तों के आश्रयदाता है । उनके शब्दों में विश्वास लाना ही आसन और उनके पूजन का संकल्प करना ही समस्त इच्छाओं का त्याग हैं ।

    कोई-कोई श्रीसाईबाबा की गणना भगवदभक्त अथवा एक महाभागवत (महान् भक्त) में करते थे या करते है । परन्तु हम लोगों के लिये तो वे ईश्वरावतार है । वे अत्यन्त क्षमाशील, शान्त, सरल और सन्तुष्ट थे, जिनकी कोई उपमा ही नहीं दी जा सकती । यघरि वे शरीरधारी थे, पर यथार्थ में निर्गुण, निराकार,अनन्त और नित्यमुक्त थे । गंगा नदी समुद्र की ओर जाती हुई मार्ग में ग्रीष्म से व्यथित अनेकों प्रगणियों को शीतलता पहुँचा कर आनन्दित करती, फसलों और वृक्षों को जीवन-दान देती और जिस प्रकार प्राणियों की क्षुधा शान्त करती है, उसी प्रकार श्री साई सन्त-जीवन व्यतीत करते हुए भी दूसरों को सान्त्वना और सुख पहुँचाते है । भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा है संत ही मेरी आत्मा है । वे मेरी जीवित प्रतिमा और मेरे ही विशुद्घ रुप है । मैं सवयं वही हूँ । यह अवर्णनीय शक्तियाँ या ईश्वर की शक्ति, जो कि सत्, चित्त् और आनन्द हैं । शिरडी में साई रुप में अवर्तीण हुई थी । श्रुति (तैतिरीय उपनिषद्) में ब्रहमा को आनन्द कहा गया है । अभी तक यह विषय केवल पुस्तकों में पढ़ते और सुनते थे, परन्तु भक्तगण ने शिरडी में इस प्रकार का प्रत्यक्ष आनन्द पा लिया है । बाबा सब के आश्रयदाता थे, उन्हें किसी की सहायता की आवश्यकता न थी । उनके बैठने के लिये भक्तगण एक मुलायम आसन और एक बड़ा तकिया लगा देते थे । बाबा भक्तों के भावों का आदर करते और उनकी इच्छानुसार पूजनादि करने देने में किसी प्रकार की आपत्ति न करते थे । कोई उनके सामने चँवर डुलाते, कोई वाघ बजाते और कोई पादप्रक्षालन करते थे । कोई इत्र और चन्दन लगाते, कोई सुपारी, पान और अन्य वस्तुएँ भेंट करते और कोई नैवेघ ही अर्पित करते थे । यघपि ऐसा जान पड़ता था कि उनका निवासस्थान शिरडी में है, परन्तु वे तो सर्वव्यापक थे । इसका भक्तों ने नित्य प्रति अनुभव किया । ऐसे सर्वव्यापक गुरुदेव के चरणों में मेरा बार-बार नमस्कार हैं ।


    रक्षा साईं बाबा!
       

    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम


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    Dipika Duggal

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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #917 on: October 27, 2010, 12:32:07 PM »
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  • यह कोई नहीं कह सकता था कि कब श्री साईबाबा अपने भक्त को अपना कृपापात्र बना लेंगे । यह उनकी सदिच्छा पर निर्भर था ।


    रक्षा साईं बाबा!
       

    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम

    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम


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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #918 on: October 27, 2010, 01:02:12 PM »
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  • Shanidham Shinganapur Yatra


    [youtube=425,350]http://www.youtube.com/watch?v=9i3sV19TYiU&feature=related[/youtube]


     Baba’s miracles. He got almost all the temples in Shirdi repaired. Through Tatya Patil, the temples of Shani, Ganapati, Shankar-Parvati, Village Deity, and Maruti were put in order. His charity was also remarkable. The money He used to collect as Dakshina was freely distributed, Rs.20 to some, Rs.15 or 50, to others everyday. The recipients thought that this was ‘pure’ charity money, and Baba wished that it should be usefully employed


    रक्षा साईं बाबा!
       

    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम

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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #919 on: October 28, 2010, 12:05:59 AM »
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  • बाबा के दर्शन से भक्तों को अनेक प्रकार का लाभ पहुँचता था । अनेकों निष्कपट और स्वस्थ बन गये, दुष्टात्मा पुण्यातमा में परिणत हो गये । अनेकों कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए और अनेकों को मनोवांछित फल की प्राप्ति हो गई । बिना कोई रस या औषधि सेवन किये, बहुत से अंधों को पुनः दृष्टि प्राप्त हो गई, पंगुओं की पंगुता नष्ट हो गई । कोई भी उनकी महानता का अन्त न पा सका । उनकी कीर्ति दूर-दूर तक फैलती गई और भिन्न-भिन्न स्थानों से यात्रियों के झुंड के झुंड शिरडी औने लगे । बाबा सदा धूनी के पास ही आसन जमाये रहते और वहीं विश्राम किया करते थे । वे कभी स्नान करते और कभी स्नान किये बिना ही समाधि में लीन रहते थे । वे सिर पर एक छोटी सी साफी, कमर में एक धोती और तन ढँकने के लिए एक अंगरखा धारण करते थे । प्रारम्भ से ही उनकी वेशभूषा इसी प्रकार थी । अपने जीवनकाल के पू्र्वार्दृ में वे गाँव में चिकित्साकार्य भी किया करते थे । रोगियों का निदान कर उन्हें औषधि भी देते थे और उनके हाथ में अपरिमित यश था । इस कारण से वे अल्प काल में ही योग्य चिकित्सक विख्यात हो गये!

    रक्षा साईं बाबा!
       

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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #920 on: October 28, 2010, 12:08:03 AM »
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  • सन् 1910 में बाबा दीवाली के शुभ अवसर पर धूनी के समीप बैठे हुए अग्नि ताप रहे थे तथा साथ ही धूनी में लकड़ी भी डालते जी रहे थे । धूनी प्रचण्डता से प्रज्वलित थी । कुछ समय पश्चात उन्होने लकड़ियाँ डालने के बदने अपना हाथ धूनी में डाल दिया । हाथ बुरी तरह से झुलस गया । नौकर माधव तथा माधवराव देशपांडे ने बाबा को धूनी में हाथ डालते दोखकर तुरन्त दौड़कर उन्हें बलपूर्वक पीछे खींच लिया ।

    माधवराव ने बाबा से कहा, देवा आपने ऐसा क्यों किया । बाबा सावधान होकर कहने लगे, यहाँ से कुछ दूरी पर एक लुहारिन जब भट्टी धौंक रही थी, उसी समय उसके पति ने उसे बुलाया । कमर से बँधे हुए शिशु का ध्यान छोड़ वह शीघ्रता से वहाँ दौड़क गई । अभाग्यवश शिशु फिसल कर भट्टी में गिर पड़ा । मैंने तुरन्त भट्टी में हाथ डालकर शिशु के प्राण बचा लिये हैं । मुझे अपना हाथ जल जाने का कोई दुःख नहीं हैं, परन्तु मुझे हर्ष हैं कि एक मासूम शिशु के प्राण बच गये ।

    रक्षा साईं बाबा!
       

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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #921 on: October 28, 2010, 01:16:49 AM »
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  • OMSAIRAM!Dwarkamai saves her kids


    Rahem Deva.........


    रक्षा साईं बाबा!
       

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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #922 on: October 28, 2010, 01:22:13 AM »
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  • रक्षा साईं बाबा!
       

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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #923 on: October 28, 2010, 01:25:23 AM »
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  • रक्षा साईं बाबा!
       

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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #924 on: October 29, 2010, 01:21:19 AM »
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  • रक्षा साईं बाबा!
       

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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #925 on: October 29, 2010, 01:24:27 AM »
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  • OMSAIRAM!Ardas to BABA ji,i heard it for the first time on Anuj bhai's blog and absolutely loved it.

    Thanks Anuj bhai.


    [youtube=425,350]http://www.youtube.com/watch?v=9gJ961dXEMs&feature=player_embedded#![/youtube]


    BABA bless the singer Sandeep Sehgal,Mr Mathur  and Anuj K Sharma


    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम



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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #926 on: October 29, 2010, 01:33:26 AM »
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  • Deepavali manaai suhani


    [youtube=425,350]http://www.youtube.com/watch?v=QjIc7ixHq4c[/youtube]





    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम






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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #927 on: October 29, 2010, 02:47:53 AM »
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  • OMSAIRAM! ;D

    Sai rahama najar karanaa, bachchon ka paalan karanaa |

    jaanaa tumane jagatpsaaraa, sabahi jhooth jamaanaa | ||Sai|| 1

     

    mein andhaa hoon bandaa aapkaa, mujhko prabhu dikhalaanaa | ||Sai||
    2


     ;D


    http://www.saikrupa.org/sai_amrit_vani.htm


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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #928 on: October 29, 2010, 04:29:41 AM »
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  • Deva  ;D


    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम

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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #929 on: October 29, 2010, 08:29:33 AM »
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  • किस प्रकार विषूचिका (हैजा) के रोग के प्रकोप को आटा पिसवाकर तथा उसको ग्राम के बाहर फेमककर रोका तथा उसका उन्मूलन किया, बाबा की इस लीला का प्रथम अध्याय में वर्णन किया जा चुका है । मैंने और भी लीलाएँ सुनी, जिनसे मेरे हृदत को अति आनंद हुआ और यही आनंद का स्त्रोत काव्य (कविता) रुप में प्रकट हुआ । मैंने यह भी सोचा कि इन महान् आश्चर्ययुक्त लीलाओं का वर्णन बाबा के भक्तों के लिये मनोरंजक इवं शिक्षाप्रद सिदृ होगा तथा उनके पाप समूल नष्ट हो जायेंगे । इसलिये मैंने बाबा की पवित्र गाथा और मधुर उपदेशों का लेखन प्रारम्भ कर दिया । श्री साईं की जीवनी न तो उलझनपूर्ण और न संकीर्ण ही है, वरन् सत्य और आध्यात्मिक मार्ग का वास्तविक दिग्दर्शन कराती है ।


    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम
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    Dipika Duggal

     


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