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Author Topic: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)  (Read 399223 times)

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Offline Dipika

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Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
« Reply #945 on: October 31, 2010, 06:29:29 AM »
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  • एक बार भाऊसाहेब धुमाल एक मुकदमे के सम्बन्ध में निफाड़ के न्यायालय को जा रहे थे । मार्ग में वे शिरडी उतरे । उन्होंने बाबा के दर्शन किये और तत्काल ही निफाड़ को प्रस्थान करने लगे, परन्तु बाबा की स्वीकृति प्राप्त न हुई । उन्होने उन्हे शिरडी में एक सप्ताह और रोक लिया । इसी बीच में निफाड़ के न्यायाधीश उदर-पीड़ा से ग्रस्त हो गये । इस कारण उनका मुकदमा किसी अगले दिन के लिये बढ़ाया गया । एक सप्ताह बाद भाऊसाहेब को लौटने की अनुमति मिली । इस मामले की सुनवाई कई महीनों तक और चार न्यायाधीशों के पास हुई । फलस्वरुप धुमाल ने मुकदमे में सफलता प्राप्त की और उनका मुवक्किल मामले में बरी हो गया ।

    ।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।




    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम
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    Dipika Duggal

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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #946 on: October 31, 2010, 07:34:11 AM »
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  • If you look to me,I look to you


    Sai baba


    ।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।


    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम
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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #947 on: October 31, 2010, 07:39:11 AM »
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  • He who does anything (spiritual endeavour) will reap its fruit and he who remembers these words of Mine will get invaluable happiness. - Shirdi Sai Baba


    ।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।


    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम
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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #948 on: October 31, 2010, 07:49:01 AM »
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  • आओ, पहले हम सन्तों के चरणों में प्रणाम करें, जनकी कृपादृरष्टि मात्र से ही समस्त पापसमूह भस्म होकर हमारे आचरण के दोष नष्ट हो जायेंगे । उनसे वार्तालाप करना हमारे लिये शिक्षाप्रद और अति आनन्ददायक है । वे अपने मन में यह मेरा और वह तुम्हारा ऐसा कोई भेद नहीं रखते । इस प्रकार के भेदभाव की कल्पना उनके हृदय में कभी भी उत्पन्न नहीं होती । उनका ऋण इस जन्म में तो क्या, अनेक जन्मों में भी न चुकाया जा सकेगा ।

    Deva forgive me for all my errors ...Please


    ।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।


    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम
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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #949 on: October 31, 2010, 07:51:42 AM »
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  • उदी से बाबा हमें क्या शिक्षा देते है । उदी वितरण कर बाबा हमें शिक्षा देते है कि इस अंगारे की नाईं गोचर होने वाले ब्रहमांड का प्रतिबिम्ब भस्म के ही समान है । हमारा तन भी ईधन सदृश ही है, अर्थात् पंचभूतादि से निर्मित है, जो कि सांसारिक भोगादि के उपरांत विनाश को प्राप्त होकर भस्म के रुप में परिणत हो जायेगा ।

    भक्तों को इस बात की स्मृति दिलाने के हेतु ही कि अन्त में यह देह भस्म सदृश होने वाला है, बाबा उदी वितरण किया करते थे । बाबा इस उदी के द्घारा एक और भी शिक्षा प्रदान करते है कि इस संसार में ब्रहमा ही सत्य और जगत् मिथ्या है । इस संसार में वस्तुतः कोई किसी का पिता, पुत्र अथवा स्त्री नहीं हैं । हम जगत में अकेले ही आये है और अकेले ही जायेंगे । पूर्व में यह देखने में आ चुका है और अभी भी अनुभव किया जा रहा है कि इस उदी ने अनेक शारीरिक और मानसिक रोगियों को स्वास्थ्य प3दान किया है । यथार्थ में बाबा तो भक्तों को दक्षिणा और उदी द्घारा सत्य और असत्य में विवेक तथा असत्य के त्याग का सिद्घान्त समझाना चाहते थे । इस उदी से वैराग्य और दक्षिणा से त्याग की शिक्षा मिलती है । इन दोनों के अभाव में इस मायारुपी भवसागर को पार करना कठिन है, इसलिये बाबा दूसरे के भोग स्वयं भोग कर दक्षिणा स्वीकार कर लिया करते थे । जब भक्तगतण बिदा लेते, तब वे प्रसाद के रुप में उदी देकर और कुछ उनके मस्तक पर लगाकर अपना वरदर-हस्त उनके मस्तक पर रखते थे । जब बाबा प्रसन्न चित्त होते, तब वे प्रेमपूर्वक गीत गाया करते थे । ऐसा ही एक भजन उदी के सम्बन्ध में भी है । भजन के बोल है, रमते राम आओ जो आओ जी, उदिया की गोनियाँ लाओजी । यह बाबा शुदृ और मधुर स्वर में गाते थे ।

    यह सब तो उदी के आध्यात्मिक प्रभाव के सम्बन्ध में हुआ, परन्तु उसमें भौतिक प्रभाव भी ता, जिससे भक्तों को स्वास्थ्य समृद्घि, चिंतामुक्ति एवं अनेक सांसारिक लाभ प्राप्त हुए । इसलिये उदी हमें आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ पहुँचाती है


    ।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।


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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #950 on: October 31, 2010, 07:53:20 AM »
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  • उदी की पुड़िया खोलने पर अप्पासाहेब ने देखा कि उसमें फूल के पत्ते और अक्षत है । जब वे कालान्त में शिरडी गये तो उन्हें बाबा ने अपना एक केश भी दिया । उन्होंने उदी और केश को एक ताबीज में रखा और उसे वे सदैव हाथ पर बाँधते थे । अब अप्पासाहेब को उदी की शक्ति विदित हो चुकी थी । वे कुशाग्र बुद्घि के थे । प्रथम उन्हें 40 रुपये मासिक मिलते थे, परन्तु बाबा की उदी और चित्र प्राप्त होने के पश्चात उनका वेतन कई गुना हो गया तथा उन्हें मान और यश भी मिला । इन अस्थायी आकर्षणों के अतिरिक्त उनकी आध्यात्मिक प्रगति भी शीघ्रता से होने लगी । इसलिये सौभाग्यवश जिनके पास उदी है, उन्हें स्नान करने के पश्चात मस्तक पर धारण करना चाहिये और कुछ जल में मिलाकर वह तीर्थ की नाई ग्रहण करना चाहिये ।

    ।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।


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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #951 on: October 31, 2010, 10:41:12 PM »
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  • बाबा किस प्रकार होली त्यौहार के भोजन समारोह के अवसर पर बाँद्रा में हेमाडपंत के गृह पधारे ।

    कागज के आवरण को ज्यों ही हेमाडपंत ने हटाया तो उन्हें बाबा का एक बड़ा सुन्दर चित्र देखकर महान् आश्चर्य हुआ । बाबा का चित्र देखकर वे द्रवित हो गये । उनके नेत्रों से आँसुओं की धारा प्रवाहित होने लगी और उनके समूचे शरीर में रोमांच हो आया । उनका मस्तक बाबा के श्री चरणों पर झुक गया । वे सोचने लगे किबाबा ने इस लीला के रुप में ही मुझे आर्शीवाद दिया है । कौतूहलवश उन्होंने अली मुहम्मद से प्रश्न किया कि बाबा का यह मनोहर चित्र आपको कहाँ से प्राप्त हुआ । उन्होंने बताया कि मैंने इसे एक दुकान से खरीदा था ।

     चित्र में बाबा का सुन्दर मनोहर रुप देखकर प्रत्येक व्यक्ति को प्रसन्नता होने लगी और इस घटना पर आश्चर्य भी हुआ कि वह सब कैसे घटित हुआ । इस प्रकार बाबा ने हेमाडपंत को स्वप्न में दिये गये अपने वचनों को पूर्ण किया ।


    ।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।


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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #952 on: November 01, 2010, 04:24:57 AM »
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  • OMSAIRAM!Dwarkamai is our kind Mother and always takes care of all of us.

    Who sits in her lap becomes free from anxiety.

    BABA ki leela bhi nyaari

    Just as the sun alone gives light, which all the stars put together cannot do, so the Sad-Guru alone imparts spiritual wisdom which all the sacred books and sermons cannot infuse. His movements and simple talks give us 'silent' advice. The virtues of forgiveness, calmness, disinterestedness, charity, benevolence, control of mind and body, egolessness etc. are observed by the disciples as they are being practiced in such pure and holy company. This enlightens their minds and lifts them up spiritually. Sai Baba was such a Sage or Sad-Guru. Though He acted as a Fakir (mendicant), He was always engrossed in the Self. He always loved all beings in whom He saw God or Divinity. By pleasures He was not elated. He was not depressed by misfortunes. A king and a pauper were the same to Him. He, whose glance would turn a beggar into a king, used to beg His food from door to door in Shirdi

    ।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।


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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #953 on: November 01, 2010, 08:58:49 AM »
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  • OMSAIRAM!Deva my prayers for our Veena Maa and Papaji and there loved ones

    BABA..........

    bas ek tamannaa hei tum saamne ho mere,

    tum saamne ho mere, meraa dum hi nikal jaaye | ||Baba||


    http://www.saikrupa.org/sai_amrit_vani.htm


    ।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।


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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #954 on: November 01, 2010, 09:44:20 AM »
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  • with meditation on Sai's Form. He, the beautiful and handsome Sai, standing on the edge of the Masjid and distributing Udi to each and every Bhakta, with a view to his welfare. He who thinks the world as naught and Who is ever engrossed in Supreme Bliss -- before Him -- we humbly prostrate ourselves.

    Bow to Shri Sai -- Peace be to all



    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम
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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #955 on: November 01, 2010, 09:52:17 AM »
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  • It is a general rule, that it is our good luck in the form of accumulation of merits in past births, that enables us to seek the company of Saints and profit thereby. In illustration of this rule, Hemadpant gives his own instance. He was a resident Magistrate of Bandra, A suburb of Bombay, for many years. A famour Mahomedan Saint named Pir Moulana was living there and many Hindus, Parsis and many others who followed different religion used to go to him and take his darshan. His Mujavar (priest) by name Inus pressed Hemadpant many a time, night and day, for going to see him, but for some reason or other he was not able to see him. After many years his turn came and he was called to Shirdi where he was permanently enlisted in Sai Baba's Darbar. Unfortunate fellows do not get this contact of the Saints. It is only the fortunate ones that get it.

    We do not know when we may pass away and when we will be united with BABA again
    This life is precious, with every breath we take we should remember BABA.


    ।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।


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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #956 on: November 01, 2010, 09:21:27 PM »
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  • It is a general rule, that it is our good luck in the form of accumulation of merits in past births, that enables us to seek the company of Saints and profit thereby. In illustration of this rule, Hemadpant gives his own instance. He was a resident Magistrate of Bandra, A suburb of Bombay, for many years. A famour Mahomedan Saint named Pir Moulana was living there and many Hindus, Parsis and many others who followed different religion used to go to him and take his darshan. His Mujavar (priest) by name Inus pressed Hemadpant many a time, night and day, for going to see him, but for some reason or other he was not able to see him. After many years his turn came and he was called to Shirdi where he was permanently enlisted in Sai Baba's Darbar. Unfortunate fellows do not get this contact of the Saints. It is only the fortunate ones that get it.

    We do not know when we may pass away and when we will be united with BABA again
    This life is precious, with every breath we take we should remember BABA.

    मृत्यु के समय जो अंतिम इच्छा या भावना होती है, वही भवितव्यता का निर्माण करती है । श्री कृष्ण ने गीता (अध्याय-8) में कहा है कि जो अपने जीवन के अंतिम क्षण में मुझे सम्रण करता है, वह मुझे ही प्राप्त होता है तथा उस समय वह रजो कुछ भी दृश्य देखता है, उसी को अन्त में पाता है । यह कोई भी निश्चयात्मक रुप से नहीं कह सकता कि उस क्षण हम केवल उत्तम विचार ही कर सकेंगे । जहाँ तक अनुभव में आया है, ऐसा प्रतीत होता है कि उस समय अनेक कारणों से भयभीत होने की संभावना अधिक होती है । इसके अनेक कारण है । इसलिये मन को इच्छानुसार किसी उत्तम विचार के चिंतन में ही लगाने के लिए नित्याभ्यास अत्यन्त आवश्यक है । इस कारण सभी संतों ने हरिस्मरण और जप को ही श्रेष्ठ बताया है, ताकि मृत्यु के समय हम किसी घरेलू उलझन में न पड़ जायें । अतः ऐसे अवसर पर बक्तगण पूर्णतः सन्तों के शरणागत हो जाते है, ताकि संत, जो कि सर्वज्ञ है, उचित पथप्रदर्शन कर हमारी यथेष्ठ सहायता करें ।


    ।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।


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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #957 on: November 01, 2010, 09:24:23 PM »
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  • जब मेघा का देहांत हुआ तो सब ग्रामबासी उनकी अर्थी के साथ चले और बाबा भी उनके साथ सम्मिलित हुए तथा उन्होंने उसके मृत शरीर पर फूल बरसाये । दाह-संस्कार होने के पश्चात् बाबा की आँखों से आँसू गिरने लगे । एक साधारण मनुष्य के समान उनका भी हृदय दुःख से विदीर्ण हो गया । उनके शरीर को फूलों से ढँककर एक निकट समबन्धी के सदृश रोते-पीटते वे मसजिद को लौटे । सदगति प्रदान करते हुए अनेक संत देखने में आये है, परन्तु बाबा की महानता अद्घितीय ही है । यहाँ तक कि बाघ सरीखा एक हिंसक पशु भी अपनी रक्षा के लिये बाबा की शरण में आया ।

    जब कोई प्राणीससंतों के चरणों पर अपना मस्तक रखकर प्राण त्याग दे तो उसकी मुक्ति हो जाती है । पूर्व जन्मों के शुभ संस्कारों के अभाव में ऐसा सुखद अंत प्राप्त होना कैसे संभव है ।

    ।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।


    साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो.ॐ साईं राम
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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #958 on: November 02, 2010, 12:43:44 AM »
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  • Red Roses Deva...BABA bless one and all


    ।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।


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    Re: DWARKAMAI's LEELAS(She is our Mother)
    « Reply #959 on: November 02, 2010, 12:46:16 AM »
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