१० दिसम्बर , १९१०~~~
सुबह की प्रार्थना के बाद मैंने अपने पुत्र से बाबा से हमारे जाने के बारे में साईं महाराज को कभी भी कुछ न बोलने के लिए कहा | वे सब जानते है , और हमें कब भेजना है वे जानें | रोज की तरह हमने साईं साहेब को देखा जब वे बाहर जा रहे थे , और बाद में हम लोग मस्जिद गए , साईं साहेब बहुत ही आनन्दित थे
Shirdi Diary (Khaparde's Daily Diary) in Hindi
Source:Sai Ka Aangan
Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM
१२ दिसम्बर , १९१०~~~
उन्होंने पुचा कि में कब जा रहा हूँ | मैंने कहा कि में तब जाऊँगा जब वे अपने आप मुझे जाने की आज्ञा दें | उन्होंने कहा , 'तुम आज भोजन करने के बाद जाओ ' और बाद में माधव राव देशपांडे के हाथों मेरे लिए प्रसाद के रूप में दही भेजा | मैंने उसे भोजन में लिया और उसके बाद तुरंत साईं साहेब के दर्शन पाने गया | जैसे ही में वहां पहुचाँ उन्होंने जाने के लिए अपनी आज्ञा को फिर से पक्का किया | मेरा पुत्र इस आज्ञा के आरे में निश्चित नहीं था इसलिए उसने फिर से खुल कर पुचा , और आज्ञा स्पष्ट शब्दों में दे दी गई | आज साईं महाराज ने दूसरों से दक्षिणा माँगी लेकिन मुझसे और मेरे पुत्र से कुछ नहीं लिया | मेरे पास पैसा बहुत कम था और ऐसा लगा कि उनको ये मालूम था | श्री नूलकर , श्री दीक्षित , श्री बापूसाहेब जोग , बाबासाहेब सहस्त्रबुद्धे , माधव राव देशपांडे , बालासाहेब भाटे , वासुदेव राव और अन्य को विदा करने के बाद हम पटवर्धन , प्रधान , काका महाजनी , श्री तर्खड और श्री भिंडे , जो आज ही आए थे , के साथ रवाना हुए | हमने लगभग ६.३० बजे कोपरगाँव में ट्रेन पकड़ी और मनमाड तक का सफर किया , श्री भिंडे येवला में उतर गए | में और मेरा पुत्र जल्दी ही मनमाड से पंजाब मेल से निकलेगे|
Shirdi Diary (Khaparde's Daily Diary) in Hindi
Source:Sai Ka Aangan
Sai baba let your holy lotus feet be our sole refuge.OMSAIRAM