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Author Topic: अनुभव ही सच्चा ज्ञान होता है |  (Read 1999 times)

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Offline Pratap Nr.Mishra

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  • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू

ॐ साईं नाथाय नमः

अनुभव ही सच्चा ज्ञान होता है

आज फोरम में नेहाजी जो US में रहती है एक असमंजस में थी और उसके समाधान हेतु उन्होंने फोरम से सहायता की प्राथना की थी | मैंने उनकी पोस्ट पढ़ी और उनकी समस्या का समाधान ढूढने लगा पर मुझे उपर्युक्त समाधान नहीं मिल पाया | पर एक साईं प्रेमी SS91 जो स्वयम US में रहती है तत्क्षण ही समस्या का समाधान कर दिया |

उन्होंने अपने अनुभव से प्राप्त ज्ञान से कितनी आसानी से सही समाधान निकाल लिया और वहीँ मै वहां की स्थिति का अनुभव नहीं रखने के कारण समाधान निकलने में असमर्थ रहा यदपि US के बारे में थोड़ी जानकारी रखते हुये भी |

इस विवरण का सारांश यही है कि जो बाबा सदैव कहते हैं कि स्वयम का अनुभव ही सच्चा ज्ञान होता है ,उसकी सत्यता को प्रमाणित करती है |

मै साईं प्रेमी SS91 का भी आभार प्रगट करता हूँ |

मुझे आज बहुत प्रसंयता हो रही है कि बाबा ने मुझे पुनः प्रमाण करके मेरे विश्वास को और भी दृढ़ता प्रदान की है  | बाबा के श्री चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम एवंग धन्यवाद |

ॐ साईं राम




Offline Admin

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  • साई राम اوم ساي رام ਓਮ ਸਾਈ ਰਾਮ OM SAI RAM
    • Sai Baba
Pratap ji,

I must admit that I am overwhelmed after reading your post. You reminds me of Ramesh ji who used to be active on Forum. I would request you to continue posting and enlighten all of us.

Sai Ram

Offline saibabakibeti

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  • My Baba My World
Om Sai Ram Pratap Ji,

Aapko ek bar phir se forum me sakriya dekh aur aapke lekh pad kar haardik prasnata hui. Kripa kar apne gyan vardhak vichaaron se hamein sadav prayrit karen. Bahut protsahan milta hai aur aapki gehri sooch humein bhi satya se parichit karane mein safalta praapt karaati hai. Aap agyaan ka andhera door kar gyaan ka prakash karte hain, jo hriday ko chuu jata hai. Hum sub mein wohi sacch ka vaas hai aur jab sacch ka samna sacch se hota hai to aanken chamk uthti hain aur ek nayi utejna jaag jaati hai.

Baba ki kripa aap par bani rahe aur jo noor Baba ka aap mein hai, veh iis forum ke sadasyon par bhi chamke.

Bhaut shubhkamnaein
OM SHRI SAI NATHAY NAMAH

Offline Pratap Nr.Mishra

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  • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू

ॐ साईं राम

बाबा का मुझे मार्गदर्शन करना

मै एक जिज्ञासु और अज्ञानी व्यक्ति होने की वजह से मुझे किसी चीज़ को जानने की प्रविर्ती सदा बनी रहती है. बाबा के चरणों में आने के बाद अध्यात्मिक रहष्यो के ज्ञान को जान पाने की ललक बहुत ही बड गई है. इस वजह से मैंने मेरे सहपाठी से जो इसाई है प्रभु ईशु के वचनों की एक छोटी सी संक्षिप्त पुस्तिका ली और अध्धयन करने लगा. एक दिन के बाद ही उसने वो मांग ली और कहा कि भविष्य में वो इस पुस्तिका को देने में असमर्थ है क्योकि उसकी इससे कुछ भावनाये (भ्रांतियाँ) जुडी हुई है. मुझे उसी समय बहुत ही क्रोध आया और सोचा कि एक ज्ञान की वस्तु को भी देने में मना कर दिया. देखा जाये तो केवल इस पुस्तक का कोई ज्यादा मूल्य नहीं  है पर उसमे लिखे गये वचन अमूल्य और अनमोल हैं . क्रोध में विवेक से न सोचकर अहंकार ग्रषित होकर मैंने उसको बहुत कुछ कटु वचन कह दिये  और बाद में जब इस सम्पूर्ण घटना का आत्मचिंतन (विश्लेषण) किया तो मेरी मूडबुद्धि में बाबा की कृपा से कई प्रश्नों के उत्तर मिले जो मै आप सभी साईं प्रेमियों से बांटना चाहूँगा.

1 बाबा कहते है कि जो जैसा करता है उसको वैसा ही मिलता है. मैंने भी जाने या अनजाने कभी किसी से इसी तरह का व्यवहार किया है या होगा जिसका प्रतिफल आज मुझे मिला. भौतिक जगत में हर क्रिया की प्रतिक्रिया साथ साथ मिल जाया करती है पर आध्यत्मिक जगत में क्रिया की प्रतिक्रिया अवश्य मिलती है पर थोडा समय लगता है.

2  स्वयं और  किसी दुसरे की वस्तु पर आसक्ति के भाव ना रखना

3  पहले खुद की कुप्रविर्तियो का अवलोकन करो.

4  दूसरो से जिस तरह की आशा रखते हो पहले खुद में पैदा करो .

5  बिना समझे किसी बात पर अनर्थक कुछ कहना या क्रोध करना उचित नहीं है.

6  किसी को मार्ग दिखलाने के पहले खुद उस मार्ग में चलकर देखो.

7  मेरे विचारो को केवल कहकर लोगो से प्रसंसा बटोरने की कोशिश में मत रहो.

8  सोना अगर बनना है तो पहले खुद को आग में जलना और तपना पड़ता है.

9  केवल मेरे वचनों को शब्दों से मत समझो या समझाओ,उसके भीतर के मूल तत्वों (रहस्यों) को समझो और समझाओ.

10  कोई भी घटना (क्रिया) बिना कारण के नहीं होती.उसके पीछे होने का कोई अवश्य कारण होता है.

11  जो भी होता है बाबा के मर्जी से होता है और उसके उदेश्य में भी कोई गूढ़ रहस्य ही छुपा होता है.

12  जिस तरह दुःख के बिना सुख की अनुभूति कारण सम्भव नहीं है उसी तरह क्रिया और प्रतिक्रिया को समझना भी संभव नहीं है.

13  बाबा कहते है जो कुछ भी तू सोचता है और करता है सबका प्रतिफल तुझे ही भोगना ही पड़ता है .

14 अहंकार से जिस क्रोध का जन्म होता है उसको पहचानना  और उसको सवर्प्रथम दूर करने का प्रयास करना .


मै साईं के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम और धन्यवाद देता हूँ जो उन्होंने मुझे इस घटना से एक नया ज्ञान का आभास करवाया, बाबा सदा ही इसी तरह से मुझे मार्ग दर्शन करवाते रहियेगा.

ॐ साईं राम

नोट :  प्रारंभिक अनुभवहीनता के कारन यह अनुभव पहले फोरम के अन्य विभाग में पोस्ट किया गया था पर पुनः सही विभाग में करके गलती को सुधार रहा हूँ |

Offline saib

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प्रताप जी,

बाबा की शिक्षाओं को संक्षेप मे अति सुन्दर रूप मे प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद ! हम कभी कभी पढते है और मान लेते है हमने सब शिक्षाओं को आत्मसात कर लिया परन्तु वास्तविकता तो यह है की हमें बार बार इस बात का अवलोकन करते रहने चाहिए की कहीं हम पथभ्रष्ट तो नहीं हो गए ! मन की चंचलता पर किसी का वश नहीं चलता, मात्र साईं का नाम ह्रदय मे धारण करने से ही उनका मार्ग अनुसरण करने की शक्ति और प्रेरणा प्राप्त होती है !

साईं की कृपा और दया हम सब पर बरसती रहे !

ॐ श्री साईं राम !
om sai ram!
Anant Koti Brahmand Nayak Raja Dhi Raj Yogi Raj, Para Brahma Shri Sachidanand Satguru Sri Sai Nath Maharaj !
Budhihin Tanu Janike, Sumiro Pavan Kumar, Bal Budhi Vidhya Dehu Mohe, Harahu Kalesa Vikar !
........................  बाकी सब तो सपने है, बस साईं ही तेरे अपने है, साईं ही तेरे अपने है, साईं ही तेरे अपने है !!

 


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