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Author Topic: Types of Miracles & Darshan(in a devotee's life)  (Read 1350 times)

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Offline sai ji ka narad muni

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  • दाता एक साईं भिखारी सारी दुनिया
Types of Miracles & Darshan(in a devotee's life)
« on: May 01, 2016, 07:56:54 AM »
  • Publish
  • Types of miracles


    note: The types are not copied from anywhere.
    Its based on my opinion only.
    मेरे प्रिय बहनों और भाइयो
    whats a miracle??
    Meaning of miracle = जब अव्यक्त और अगोचर प्रभु हमपर अहैतुकी कृपा कर सहायता अथवा प्रेम करे उसे दुनिया चमत्कार कहती हैं।
    जो लोग चमत्कार शब्द का उपयोग गलत अर्थो में अथवा निंदा के लिय करते हैं उनके लिय एक पंक्ति हैं
    - अंगूर अभी खट्टे हैं


    1.) आवरण में कृपा
    जब बाबा कृपा तो करते हैं लेकिन वह परिवर्तन हमारे समक्ष प्रत्यक्ष नही होता
    जैसे आप किसी मुसीबत में फस गए, रुपयों की आवश्यकता हैं तब आपको बाबा की दया से अपने बैग में ही धन मिल जाए।
    ये तो छोटा सा उदाहरण हैं
    इस तरह की कृपा के आप सभी साक्षी है
    क्यू की साईं जी को कृपा करने के अनगिनत उपाय आते हैं। तभी तो सब भक्तो के अनुभव एक दुसरे से इतने अलग हैं।
    कई बार लगता हैं सब कुछ गलत हो रहा हैं परन्तु फिर समय के साथ समझ आता है की साईं महाराज ने बहुत ही अच्छे से skillfully कृपा की और उनकी timing बिलकुल perfect है।
    स्वप्न में कृपा करना आदि भी इसी के अंतर्गत हैं।

    2.) प्रत्यक्ष कृपा
    प्रत्यक्ष कृपा आवरण से भी अत्यंताधिक अचम्भित करती हैं।
    जैसे कुछ भी देखते ही देखते प्रकट हो जाना अथवा किसी देव के साक्षात् दर्शन , Science के सभी नियमो तो तोड़कर या वाणी द्वारा भक्त को आदेश मिलना,अपने भक्त के लिय प्रकृति के नियमो का उल्लंघन कर कृपा करना आदि इसके अंतर्गत हैं।
    साईं सत्चारित्र का श्वास लेना
    (My gurudev sai baba seldom let me share my miraculous experiences with anyone,   but ive submitted this one on hetal's blog,how i felt breathing rythms in sai satcharitra)


    साईं बाबा के साक्षात् दर्शन
    बहुत से लोगों को भगवान के दर्शन की आस रहती हैं
    तो बहुत से बाबा की प्रत्यक्ष में सेवा करना चाहते हैं न
    तो कुछ भक्त दर्शन से भी अधिक प्रेम का वर मांगते हैं
    सभी ठीक हैं
    यहाँ किसी का खंडन नहीं हो रहा
    सब एक ही चीज़ चाहेंगे तो आनन्द नही रहेगा , कोई ज्ञान चाहता हैं कोई भक्ति तो कोई मुक्ति।
    सब एक दुसरे के पूरक तो हैं ही।
    एक बात सोचने की हैं की हम ही तो मूर्ख हैं जो माया नही पहचानते और अद्वैत नहीं पा जाते इससे क्या सत्य बदल जाता हैं???
    जो कृपा भगवान हमपर इन रूपों में करते हैं
    उन्हें क्या दर्शन देने में कोई श्रम लगेगा?
    दर्शन देना उनके लिय अत्यंत छोटी सी बात हैं क्यू की हम सभी जीव उन्ही के हैं
    हमने नही कहा था की हमे भेजो इस मृत्युलोक में।
    उन्होंने ही भेजा हैं।
    जब , जो दीखता हैं सब माया हैं
    और ब्रह्म अव्यक्त हैं
    इसिलिय
    वह ब्रह्म लीला पूर्वक ही देह धारण करते हैं।
    जब ऐसा ही हैं  तो जितनी लीला हमारे काम बनाने में लगती हैं
    उतनी ही तो दर्शन देने में लगनी हैं
    फिर भी दर्शन नही होते।
    दर्शन तीन प्रकार के बताये गये हैं शास्त्रों में

    स्वप्न में

    ध्यान  में

    प्रत्यक्ष दर्शन

    प्रत्यक्ष दर्शन बहुत ही कम भक्तो को होते हैं ये उन दर्शनों की बात हैं जब केवल दर्शन से ही आत्म साक्षात्कार हो जाता हैं
    और फिर वह अपने स्वरुप से नही डिगता।
    ध्यान की बात जहां तक हैं ध्यान के योग्य हर कोई नहीं होता।।
    पर जिन भक्तो ने पुराण आदि में उनका सवरूप वर्णन पढ़ा हैं वे उनके सवरूप को ध्यान में पकड़ने की चेष्टा करते हैं।
    और साईं कृपा हो तो उसे पा भी जाते हैं।
    वह अत्यंत मधुर हैं, वाणी का  विषय नहीं। जिसने देखा केवल वो ही जाने हरी का वह कोमल रूप।
    और मेरा अनुभव हैं की उनकी जैसी इच्छा हो वो वैसे ही कृपा करते हैं। आँखे बंद करो या खोलो साईं ही नजर आये तो धन्यवाद देना बाबा का की ये दर्शन कभी बंद न हो।
    और न हो दर्शन तो भी
    कौन बोले उन्हें हम कठपुतलियो को चलाने वाले बाबा हैं
    हम उनसे मुह फेर ले तो भी हमारा ही नुक्सान हैं।
    दर्शन निष्ठां के लिय उनके बहुत स्वरुप हैं।
    जैसे सूर्य , प्रत्यक्ष देव हैं इसिलिय कभी ये मत सोचो की हमे भगवान नही देख रहा यअ हमने भगवान् नही देखा।
    सूर्य चंद्रमा भगवद विग्रह सभी देव हैं।
    धारणा में बड़ी शक्ति हैं इसिलिय धारणा जैसे होगी परिणाम भी वैसे ही होते हैं।
    उदाहरनार्थ आस पास जो भी हैं उन्हें देवता ही माने वैसे भी यह वेदों के अनुकूल हैं और वेद ही प्रमाण हैं।
    जल देवता वायु देवता सूर्य देव प्लास्टिक देवता metal देवता लकड़ी देवता कागज़ हैं सरस्वती देवी।
    कुछ दिन यह धारणा करो सब बदल जाएगा अगर इनके प्रति प्रेम भी हो।
    भाव इससे उच्च रखना हैं तो यह  मानना चाहिय की बाबा ही इन सब रूपों में मेरे भौतिक साधन के लिय बैठे हैं।
    अभी तक तो miracles होते थे परन्तु यह धारणा के बाद हर वस्तु आपके लिय अपना प्रेम व्यक्त करने लगेगी। अब वो miracle लगे या कुछ और वो आपकी इच्छा।

    « Last Edit: May 01, 2016, 01:09:40 PM by sai ji ka narad muni »
    जिस कर्म से भगवद प्रेम और भक्ति बढ़े वही सार्थक उद्योग हैं।
    ॐ साईं राम

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