रे मन चल तू अब तो सांई द्वारे – 2
अब तो सांई द्वारे मनवा – 3
रे मन चल तू अब तो सांई द्वारे
हर घडी तुझको सांई बुलाये
तू औरों से प्रीत लगाये – 2
साथ ना देगा कोई जीवन में – 2
क्यों औरों में उलझाये
रे मन चल तू अब तो सांई द्वारे
माया मोह का झूठा फन्दा
जिसमें फँसा तू मूर्ख बन्दा – 2
भूल जा अब ये गोरख धन्धा – 2
मान के एक सपना रे
रे मन चल तू अब तो सांई द्वारे
जीवन सारा विफल गँवाया
तू ही बता तूने क्या क्या पाया – 2
अन्त समंय वो ही काम ना आया – 2
जिसे समझा था अपना रे
रे मन चल तू अब तो सांई द्वारे
अब तो सांई द्वारे मनवा – 3