जलती रहे शेरों वाली ज्योति जलती रहे ।
किसने मइया तेरा भवन बनाये, किसने ढुलायो ।
ज्योति तेरी.................।।
भक्तों ने मैया तेरा भवन बनायो, सेवक चमर ढुलायो ।
ज्योति तेरी....................।।
सुआ-2 चोला मइया ध्वजा नारियल, तेरी ही भोग चढ़ायो ।
ज्योति तेरी.................।।
धूप दीप फल ध्वजा नारियल, तेरी भेंट चढ़ायो ।
ज्योति तेरी.................।।
छप्पन भोग चौरासी व्यंजन, तेरा ही भोग लगाओ ।
ज्योति तेरी....................।।
नंगे -2 पैरों मैया अकबर आयो, सोने का छत्तर चढ़यो ।
ज्योति तेरी....................।।
दूर - 2 से यात्री आवें, आकर शीश नवायो ।
ज्योति तेरी.....................।।
ब्रहृ वेद पढ़े तेरे द्वार शंकर ध्यान लगायो ।
ज्योति तेरी.....................।।
ऊँचे पहाड़ों मइया वास तुम्हारा, नीचे शहर बसायो ।
ज्योति तेरी......................।।
आये हुये का मइया संकट काटो खुशी मनाता जाय ।
ज्योति तेरी.......................।।