बसे रहो सांई नाथ हृदय में गंगा जैसे गंगाजल में
बनी रहे भक्ति मेरे मन में चन्दा जैसे रहे गगन में ।
हे सांई नाथ – 2 तुम्हारो अंग
कैसो रुप रचो पत्थर में – 2
जाको जैसो मन को भाव है – 2
वैसो रुप रचो भक्तन ने
सांई भक्तन की भक्ति
एकहि सांई रुप हजारो
कहीं पै शिवजी कहीं गणपति
सांई भक्तन की भक्ति – 2
कोई लम्बी नाक बनाये कोई बड़े बड़े कान लगाये -2
जाको जैसो मन को भाव है -2
वैसी बनावै मूरति
सांई भक्तन की भक्ति -4
शिरडी की रत जो भी आवै मन वांछित वो फल पावै 2
जाको जैसो मन को भाव है – 2
वैसी उतारे आरती
सांई भक्तन की भक्ति – 4
हे सांई नाथ – 2 तुम्हारो अंग
कैसो रुप रचो पत्थर में – 2
जाको जैसो मन को भाव है – 2
वैसो रुप रचो भक्तन ने
एकहि सांई रुप हजारो
कहीं पै शिवजी कहीं गणपति
सांई भक्तन की भक्ति – 2