गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा..................
ब्रहृ जी को आना छुड़ाया मधु कैटभ के बल से ।
मोहनी रुप धर शिव को बचाया, भस्मासुर के छल से ।।
सब देवों पर हुई सहाई माँ, दुष्टों के दल से ।
र भक्तों की है प्यास बुझाई चरण गंगा के जल से ।।
अब मेरी भी सुनो हे मात भवानी - 2
मैं तेरा ही बालक हूँ जगत महारानी, अब मेरी.........
सिंह सवारी करने वाली तेरी शान निराली है
तू है शारदा तू ही लक्ष्मी तू ही तो महाकाली है
शुम्भ निशुम्भ पापी, तू ने सहारे महिषासुर के जैसे तुमने ही मारे
भक्तों के सारे संकट तुमने ही तारेडडड
मैं भी आया हूँ मैया तेरे द्घारे
तेरा यश है उज्जवल निर्मल ज्यों गंगा का पानी
अब मेरी भी सुनो ......................................
ब्रहृ,विष्णु, शंकर ने भी आदि शक्ति को माना है
जय जगदम्बे जय जगदम्बे वेद पुरान बखाना है
शक्ति से ही सेवा होती, शक्ति से ही मान है
शक्ति से ही विजयी होता, हर इन्सान है
शक्ति से ही भक्ति होती, भक्ति से ही मान
शक्ति से ही विजयी होता, हर इन्सान है
शक्ति से ही भक्ति होती, भक्कति में कल्याण माँ डडडडडडड
दे दो मुझे भी शक्ति का गुणगान माँ
कैसे मैं गुणगान करुं माँ, मै तो हूँ अज्ञानी, अब मेरी...............
कण-कण में है देखी सबने, कैसी जोत समाई है
भीड़ पड़ी जब भक्तों पे माँ, दौड़ी आई है ।
मेरी पुकार सुन लो, दर्श दिखा दो,
कर दो दया की दृष्टि, गले से लगा लो
भक्तों का मैया तुमने डडडडड भाग संवारा डडडडडडड
आया शरण मं भक्त इक दुखियारा
करदे देवकी नन्दन पे ओ मैया मेहरबानी, अब मेरी..........