प्रताप जी,
यह सत्य है की इस घटना से न मात्र भौतिक जगत अपितु अध्यात्मिक जगत भी स्तब्द है ! जिस दरिंदगी के साथ एक नारी की अस्मिता और जीवन को नष्ट किया गया है, वोह अत्यंत निन्दनिये और शोकनीय है ! आपने सत्य कहा की एक और तो जो जगत नारी को माता के रूप मे पूजता है वही इस प्रकार का व्यव्हार किस प्रकार कर सकता है ?
यह घटना तो मात्र एक आइना है समाज के लिए ! वोह समाज जो नारी को एक मनुष्य नहीं बल्कि एक वस्तु और उत्पाद के रूप मे देखता है ! यदि यह घटना न हुई होती तो शायद 31 दिसम्बर को कई जानी मानी शक्शियते भारी रकम के बदले अपने रूप का प्रदर्शन कर रहीं होती ! समस्त विज्ञापन नारी के इसी रूप को प्रचलित करते है !
यह एक साधारण घटना नहीं है, यह तो समाज को एक चेतावनी है ! उस मानसिकता के लिए जो उसे मनुष्यता से दूर कर रही है !
बाबा कहते है - जगत मे कोई भी घटना अकारण नहीं घटती, या तो पुरानी घटनाओं का परिणाम होती है या आने वाली घटनाओं का आरम्भ ! यह भी एक संकेत है - मनुष्यों को, अब भी संभल जाओ अन्यथा यह जगत असीमित ब्रह्माण्ड मे एक धूल के कण से अधिक कुछ भी नहीं !
इश्वर उस बच्ची की आत्मा को शांति दे और संसार को वास्तविक ज्ञान पाने का मार्गदर्शन करे !
ॐ श्री साईं राम !