जय सांई राम।।।
गगन भैया सबसे पहले तो मै आपका स्वागत करूं बाबा सांई के इस मनोरम मन्दिर में। प्रार्थना तो आपने बहुत सुन्दर की है लेकिन अगर इजाज़त दो तो इसमें मै कुछ कहूँ? भाई किसी की मदद करना बहुत अच्छी बात है लेकिन मदद अगर यह आशा रख कर की गयी है कि इस मदद के बदले जब तुम्हे मदद की जरूरत होगी तो वो तुम्हारी मदद करेगा तो इसमे तुम्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगेगी। 'कहते है ना कि नेकी कर कुंऐं मे डाल' इस नियम को घ्यान में रख कर किसी की मदद करोगे तो निराशा कभी भी नही होगी।
हाँ दुख अगर हुआ है तो वो जायज़ है तुम्हारे उम्र के लियाज़ से।
आखिरी पोस्ट से यह जाहिर हो गया कि तुम सही थे क्योंकि तुम्हारे दोस्त ने अपनी गलती कबूल की और तुमने उसे क्षमा कर दिया, जानकर अच्छा लगा।
राज़ की एक बात और कहूँ सबसे? आप शायद यह जानते होंगे कि प्रकृति एक ऐसी दीवार की तरह होती है। अगर आप इस दीवार पर टेनिस बाल को फेंकें तो वो टकराकर वापस आयेगी। वैसे ही आप अगर अपने प्रकृति से कोई भी काम करते है - अच्छा याँ बुरा वापस जरूर आयेगा टकराकर। जरूरी नही जँहा आपने किया है वंहा से आयेगा।
इस समझ से जब आप कोई भी काम चाहे अच्छा यां बुरा करेंगे तो आप पायेंगे कि कई बार जिसकी आप मदद करते है जरूरी नही वंही से आपको मदद मिले। यह कंही ओर किसी अनजान से आ सकती है। उसी तरह जब किसी का आप बुरा करते है जरुरी नही जिसका बुरा आपने किया है वंही से आपको बुराई मिले, वो बुराई किसी अनजान से मिलेगी। अच्छा यां बुरा मिलेगा जरूर इतने बड़े ब्रह्मंड से टकराकर वापस आपको।
इसलिये धैर्य और बाबा की श्रध्दा सबूरी रखें - बाबा लौटायेंगे जरूर जैसा आपने किया है।
ॐ सांई राम।।।